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गोरखपुर: 'प्लास्टिक मुक्त भारत' की ओर शिवम का कदम, प्लास्टिक से बनेगा ईंधन

प्लास्टिक से पेट्रोलियम पदार्थ बनते क्या आपने कभी देखा है. गोरखपुर के शिवम पांडेय ने ऐसा कर दिखाया है. शिवम ने प्लास्टिक के प्रयोग से ईंधन तैयार किया है. चार साल की मेहनत के बाद शिवम को ये सफलता हाथ लगी है और अब तो भारत सरकार ने भी इस शोध को मान्यता दे दी है. साथ ही शिवम अब गोरखपुर में कंपोस्ट प्लांट लगाने की तैयारी में जुटे हैं.

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शिवम पांडेय.
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Published : Dec 18, 2019, 11:31 PM IST

गोरखपुर: भारत सहित पूरे विश्व के लिए प्लास्टिक एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने के लिए उपाय भी खोजे जा रहे हैं. ऐसा ही एक उपाय गोरखपुर के शिवम पांडेय ने खोज निकाला है. शिवम ने प्लास्टिक का सही उपयोग कर एक ऐसा ईंधन तैयार किया है, जो पेट्रोल और डीजल का काम करेगा. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं जब हम आप पेट्रोल-डीजल की बजाय प्लास्टिक से बने ईंधन का प्रयोग कर अपनी गाड़ियों से रफ्तार भरेंगे.

शिवम पांडेय ने बनाया प्लास्टिक से ईंधन.

पर्यावरण के लिए मुसीबत बन चुके प्लास्टिक कचरे से बचने के लिए गोरखपुर के शिवम ने पेट्रोलियम पदार्थ यानी की कच्चा तेल बनाया है. युवा वैज्ञानिक शिवम पांडेय के इस शोध को भारत सरकार ने भी मान्यता दे दी है और उसका फार्मूला भी पेटेंट हो गया है. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद शिवम को यह सफलता मिली है. उन्होंने यह प्रयास कक्षा 10 से ही शुरू कर दिया था.

बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रूव किया लोन
आर्थिक रूप से कमजोर शिवम को गोरखपुर में लोन और प्लांट के लिए जमीन की समस्या आ रही थी, लेकिन अब उस समस्या को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने हल कर दिया है. शिवम के पेटेंट का सर्टिफिकेट आने के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उनका लोन अप्रूव कर दिया है, जिसके बाद शिवम का प्रोजेक्ट गोरखपुर में शुरू हो जाएगा. इस तेल को विभिन्न स्तर पर प्यूरिफाई करते हुए पेट्रोल, डीजल, केरोसिन ऑयल भी तैयार हो सकेगा. अगर शोध का समर्थन और संवर्धन हुआ तो भारत में पेट्रोलियम की प्रचुरता होनी निश्चित है.

शिवम ने घर पर किया परीक्षण
शिवम बताते हैं कि उन्होंने जब जलते हुए प्लास्टिक से तेल जैसा द्रव्य गिरता देखा तो उन्हें विचार आया कि हाइड्रोकार्बन को भी तोड़ा जा सकता है. इसी कड़ी में उन्हें प्लास्टिक और पॉलीथिन को भी डीकंपोज करने का ख्याल आया. शिवम ने इसका परीक्षण घर पर ही किया और सफलता प्राप्त की, जिससे वह अपनी सोच को आगे बढ़ाता चला गया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में शिवम ने हाइड्रोकार्बन को तोड़ने की सभी स्टेज के बारे में बहुत बारीकी से बात की. साथ ही कहा कि जब यह शोध पूरा हुआ तो उन्होंने कई बार जांच की और फिर इसके सफल होनी की पुष्टि की. मौजूदा समय में शिवम बीएससी कर रहे हैं.

45 से 50 रुपया प्रति लीटर होगा दाम
शिवम की मानें तो इस कच्चे तेल की लागत करीब 20 रुपया प्रति लिटर आएगी और बाजार में इसकी कीमत 45 से 50 रुपया प्रति लीटर होगी. उनका पहला प्रोजेक्ट इंदौर की कंपनी हीरा एनर्जी सिस्टम से तालमेल के साथ स्थापित हो चुका है. वह पूरे प्रदेश में इसको स्थापित करने के प्रयास में हैं. शिवम बताते हैं कि किसी भी प्लास्टिक की उम्र करीब 400 साल होती है. अगर प्रतिदिन इस शोध के माध्यम से एक हजार मीट्रिक टन क्रूड ऑयल तैयार किया जाए तो भी पूरे यूरोप और इंडिया में मौजूद प्लास्टिक 150 साल तक खत्म नहीं होगी.

शोध से पर्यावरण होगा शुद्ध
साथ ही शिवम कहते हैं कि जब तक प्लास्टिक के प्रयोग से उपयोगी चीज नहीं बनती तब तक पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में काफी समय लगेगा. शिवम कहते हैं कि अगर सरकार उनके कार्यों में मदद करे तो इसका परिणाम बहुत अच्छा होगा.

पढ़ें: लखनऊ: कुत्ता पालने का है शौक तो लाइसेंस लेना न भूलें, नहीं तो भरना होगा जुर्माना

शिवम की मां बेहद खुश
शिवम के इस शोध से उनकी मां बेहद खुश हैं. उन्होंने बताया कि जब वह बचपन में कूड़े-कचरे के साथ खेलता था तो वह बहुत परेशान होती थी, लेकिन शिवम ने जिस तरह से दिन रात मेहनत कर इस शोध में सफलता हासिल की है वह काबिले तारीफ है.

ऐसे तैयार होगा कच्चा तेल

  • प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें केमिकल जेड एसएम-5, चीनी मिट्टी, पाली अमोनियम सिलिकेट और एलुमिना को एक निश्चित मात्रा में मिलाया जाएगा.
  • इस दौरान वैक्यूम प्रेशर से ऑक्सीजन निकाल दिया जाएगा.
  • ऑक्सीजन के बिना इसे साढे़ 400 से 500 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाएगा.
  • आसवन विधि से एक निश्चित तापमान और दबाव पर दोबारा गर्म किया जाएगा.
  • इस दौरान जो गैस निकलेगी उसे ठंडा कर लेंगे और जो तैयार द्रव्य होगा वह कच्चा तेल होगा.
  • इस दौरान ईंधन योग्य गैस भी निकलेगी, जिसे प्लांट को गर्म करने में इस्तेमाल किया जाएगा.
  • सबसे खास बात यह है कि इस पेट्रोलियम की कीमत दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों की अपेक्षा बेहद कम है.
  • 1 लीटर पेट्रोल बनाने का खर्च अधिकतम 20 रुपया आंका जा रहा है.

गोरखपुर: भारत सहित पूरे विश्व के लिए प्लास्टिक एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने के लिए उपाय भी खोजे जा रहे हैं. ऐसा ही एक उपाय गोरखपुर के शिवम पांडेय ने खोज निकाला है. शिवम ने प्लास्टिक का सही उपयोग कर एक ऐसा ईंधन तैयार किया है, जो पेट्रोल और डीजल का काम करेगा. जी हां, अब वह दिन दूर नहीं जब हम आप पेट्रोल-डीजल की बजाय प्लास्टिक से बने ईंधन का प्रयोग कर अपनी गाड़ियों से रफ्तार भरेंगे.

शिवम पांडेय ने बनाया प्लास्टिक से ईंधन.

पर्यावरण के लिए मुसीबत बन चुके प्लास्टिक कचरे से बचने के लिए गोरखपुर के शिवम ने पेट्रोलियम पदार्थ यानी की कच्चा तेल बनाया है. युवा वैज्ञानिक शिवम पांडेय के इस शोध को भारत सरकार ने भी मान्यता दे दी है और उसका फार्मूला भी पेटेंट हो गया है. चार साल की कड़ी मेहनत के बाद शिवम को यह सफलता मिली है. उन्होंने यह प्रयास कक्षा 10 से ही शुरू कर दिया था.

बैंक ऑफ इंडिया ने अप्रूव किया लोन
आर्थिक रूप से कमजोर शिवम को गोरखपुर में लोन और प्लांट के लिए जमीन की समस्या आ रही थी, लेकिन अब उस समस्या को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने हल कर दिया है. शिवम के पेटेंट का सर्टिफिकेट आने के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उनका लोन अप्रूव कर दिया है, जिसके बाद शिवम का प्रोजेक्ट गोरखपुर में शुरू हो जाएगा. इस तेल को विभिन्न स्तर पर प्यूरिफाई करते हुए पेट्रोल, डीजल, केरोसिन ऑयल भी तैयार हो सकेगा. अगर शोध का समर्थन और संवर्धन हुआ तो भारत में पेट्रोलियम की प्रचुरता होनी निश्चित है.

शिवम ने घर पर किया परीक्षण
शिवम बताते हैं कि उन्होंने जब जलते हुए प्लास्टिक से तेल जैसा द्रव्य गिरता देखा तो उन्हें विचार आया कि हाइड्रोकार्बन को भी तोड़ा जा सकता है. इसी कड़ी में उन्हें प्लास्टिक और पॉलीथिन को भी डीकंपोज करने का ख्याल आया. शिवम ने इसका परीक्षण घर पर ही किया और सफलता प्राप्त की, जिससे वह अपनी सोच को आगे बढ़ाता चला गया. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में शिवम ने हाइड्रोकार्बन को तोड़ने की सभी स्टेज के बारे में बहुत बारीकी से बात की. साथ ही कहा कि जब यह शोध पूरा हुआ तो उन्होंने कई बार जांच की और फिर इसके सफल होनी की पुष्टि की. मौजूदा समय में शिवम बीएससी कर रहे हैं.

45 से 50 रुपया प्रति लीटर होगा दाम
शिवम की मानें तो इस कच्चे तेल की लागत करीब 20 रुपया प्रति लिटर आएगी और बाजार में इसकी कीमत 45 से 50 रुपया प्रति लीटर होगी. उनका पहला प्रोजेक्ट इंदौर की कंपनी हीरा एनर्जी सिस्टम से तालमेल के साथ स्थापित हो चुका है. वह पूरे प्रदेश में इसको स्थापित करने के प्रयास में हैं. शिवम बताते हैं कि किसी भी प्लास्टिक की उम्र करीब 400 साल होती है. अगर प्रतिदिन इस शोध के माध्यम से एक हजार मीट्रिक टन क्रूड ऑयल तैयार किया जाए तो भी पूरे यूरोप और इंडिया में मौजूद प्लास्टिक 150 साल तक खत्म नहीं होगी.

शोध से पर्यावरण होगा शुद्ध
साथ ही शिवम कहते हैं कि जब तक प्लास्टिक के प्रयोग से उपयोगी चीज नहीं बनती तब तक पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में काफी समय लगेगा. शिवम कहते हैं कि अगर सरकार उनके कार्यों में मदद करे तो इसका परिणाम बहुत अच्छा होगा.

पढ़ें: लखनऊ: कुत्ता पालने का है शौक तो लाइसेंस लेना न भूलें, नहीं तो भरना होगा जुर्माना

शिवम की मां बेहद खुश
शिवम के इस शोध से उनकी मां बेहद खुश हैं. उन्होंने बताया कि जब वह बचपन में कूड़े-कचरे के साथ खेलता था तो वह बहुत परेशान होती थी, लेकिन शिवम ने जिस तरह से दिन रात मेहनत कर इस शोध में सफलता हासिल की है वह काबिले तारीफ है.

ऐसे तैयार होगा कच्चा तेल

  • प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें केमिकल जेड एसएम-5, चीनी मिट्टी, पाली अमोनियम सिलिकेट और एलुमिना को एक निश्चित मात्रा में मिलाया जाएगा.
  • इस दौरान वैक्यूम प्रेशर से ऑक्सीजन निकाल दिया जाएगा.
  • ऑक्सीजन के बिना इसे साढे़ 400 से 500 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाएगा.
  • आसवन विधि से एक निश्चित तापमान और दबाव पर दोबारा गर्म किया जाएगा.
  • इस दौरान जो गैस निकलेगी उसे ठंडा कर लेंगे और जो तैयार द्रव्य होगा वह कच्चा तेल होगा.
  • इस दौरान ईंधन योग्य गैस भी निकलेगी, जिसे प्लांट को गर्म करने में इस्तेमाल किया जाएगा.
  • सबसे खास बात यह है कि इस पेट्रोलियम की कीमत दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों की अपेक्षा बेहद कम है.
  • 1 लीटर पेट्रोल बनाने का खर्च अधिकतम 20 रुपया आंका जा रहा है.
Intro:यह खबर स्पेशल कैटेगरी की है। इनपुट हेड शैलेंद्र जी और आशुतोष जी के विशेष निर्देशन में उपयुक्त वीडियो और बाइट के साथ भेजी जा रही है। मैं आवाज खराब होने की वजह से वॉइस ओवर नहीं कर पाया हूं। खराब वॉइस का सैंपल आपको भेजा हूं स्टोरी के साथ अटैच है। कृपया उसे सुनकर डिलीट कर दें।....

गोरखपुर। पर्यावरण के लिए मुसीबत बन चुके प्लास्टिक कचरे से अब गोरखपुर का बेटा पेट्रोलियम पदार्थ (कच्चा तेल) बनाएगा। युवा वैज्ञानिक शिवम पांडेय के इस शोध को भारत सरकार ने भी मान्यता दे दिया है और उसका फार्मूला पेटेंट हो गया है। दसवीं कक्षा में पढ़ते हुए पिछले 4 साल से अपने शोध में जुटे शिवम को यह सफलता मिली है और वह अपना पहला प्लांट इंदौर में लगा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर शिवम को गोरखपुर में लोन और प्लांट के लिए जमीन समस्या आ रही थी। हालांकि अब उसके प्रोजेक्ट को देखते हुए और पेटेंट का सर्टिफिकेट आने के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने उसका लोन अप्रूव कर दिया है। जिसके बाद शिवम का प्रोजेक्ट गोरखपुर में भी शुरू हो जाएगा जिससे कच्चा तेल निकलेगा। इस तेल को विभिन्न स्तर पर प्यूरिफाई करते हुए पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आयल भी तैयार हो सकेगा। मतलब शोध का समर्थन और संवर्धन हुआ तो भारत देश में पेट्रोलियम पदार्थ के मात्रा की प्रचुरता हो जाएगी।



Body:शिवम का कहना है कि जब उन्होंने जलते हुए प्लास्टिक से तेल जैसा द्रव्य गिरता देखा तभी विचार आया है कि हाइड्रोकार्बन को भी तोड़ा जा सकता है। फिर प्लास्टिक और पॉलीथिन को डीकंपोज करने का ख्याल आया। शिवम ने घर पर ही मॉडल के रूप में प्रयोग किया और सफलता मिली। जिससे वह अपनी सोच को आगे बढ़ाता चला गया। ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में शिवम ने हाइड्रोकार्बन को तोड़ने के सभी स्टेज को बहुत बारीकी से बताया और कहा कि जब वह अपने शोध के आखिरी बिंदु को प्राप्त कर लिया तो इंश्योर हो गया कि उसका कार्य सफल हुआ। मौजूदा समय में शिवम बीएससी कर रहा है। शिवम की माने तो उसके द्वारा तैयार किया गए कच्चे तेल की लागत करीब 20 रुपया प्रति लिटर आएगी तो बाजार में इसकी कीमत शुद्धता के साथ 45 से 50 रुपया प्रति लीटर होगी। उसका पहला प्रोजेक्ट इंदौर की कंपनी हीरा एनर्जी सिस्टम से तालमेल के साथ स्थापित हो चुका है। और वह पूरे प्रदेश में इसको स्थापित करने के प्रयास में है।

बाइट--शिवम पाण्डेय, युवा वैज्ञानिक


Conclusion:शिवम कहता है कि किसी भी प्लास्टिक की उम्र करीब 400 साल होती है। पूरे यूरोप से लेकर इंडिया में मौजूदा समय तक जितनी प्लास्टिक है अगर प्रतिदिन एक हजार मिट्रिक टन के हिसाब से भी इस शोध के माध्यम से क्रूड आयल तैयार करने में लगाया जाए तो भी डेढ़ सौ से ज्यादा साल तक प्लास्टिक खत्म नहीं होगी। उसने कहा कि उसकी सोच है कि देश को जहां इस विनाशकारी कचरे के उपयोग से लाभकारी चीज प्राप्त हो सकेगी वहीं पर पर्यावरण की शुद्धता के लिए भी कार्य किया जाए। वह अपने शोध को सेकंड करा चुका है और कहता है कि अगर सरकार उसके कार्यों में मदद करें और किसी भी तरह की रोक-टोक ना करें तो इसका परिणाम बहुत अच्छा होगा। शिवम के शोध पर उसके माता जी को बेहद खुशी है। जब वह बचपन में उसे कूड़े-कचरे के साथ खेलते, धुआं करते और जलाते देखती थी तो बहुत परेशान होती थीं। लेकिन वह जिस तरह से आगे बढ़ चला है उससे उसकी सफलता की वह दिन रात कामना कर रही हैं।

बाइट--शिवम पाण्डेय, युवा वैज्ञानिक

बाइट--शांति देवी, शिवम की मां

ऐसे तैयार होगा कच्चा तेल....

प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़े करके उसमें केमिकल जेड एसएम-5, चीनी मिट्टी, पाली अमोनियम सिलिकेट, एलुमिना को एक निश्चित मात्रा में मिलाते हैं। इस दौरान वेक्यूम प्रेशर से ऑक्सीजन निकाल लेते हैं। ऑक्सीजन के बिना इसे साडे 400 से 500 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाता है। आसवन विधि से एक निश्चित तापमान और दबाव पर दोबारा गर्म करते हैं। इस दौरान जो गैस निकलेगी उसे ठंडा कर लेंगे। इसे तैयार द्रव्य कच्चा तेल होगा। इस दौरान ईंधन योग्य गैस भी निकलेगी उसे प्लांट को गर्म करने में इस्तेमाल किया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस पेट्रोलियम की कीमत दूसरे पेट्रोलियम पदार्थों की अपेक्षा बेहद कम है 1 लीटर पेट्रोल में बनाने का खर्च अधिकतम 20 रुपया आंका जा रहा है।


मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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