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माह-ए-रमजान की तैयारियां जोरों पर, 6 या 7 मई से रखा जाएगा रोजा - रोजा

माह-ए-रमजान की तैयारियां शुरू हो गई हैं. 6 या 7 मई से रमजान का आगाज होगा. अजान के साथ रोजा प्रारंभ होता है और पूरा दिन बिना भोजन निर्जल रहना पड़ता है. वहीं धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि अल्लाह ताला इस महीने में रहमतों की बरसात करता है.

रमजान की तैयारियां जोरों पर
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Published : May 3, 2019, 9:13 PM IST

गोरखपुर: माह-ए-रमजान की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस दौरान मुस्लिम समुदाय पवित्र रमजान का एक महीना रोजा रखेगा. इस बार चांद दिखाई देने पर रमजान का आगाज 6 मई से होगा. वहीं चांद के न दिखाई देने पर 7 मई से रोजदार रोजा रखेंगे. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. इबादतगाहों में साफ-सफाई कराई जा रही है. तरावीह नमाज पढ़ाने के लिए शहर के करीब चार सौ मस्जिदों में हाफिज का चयन किया जा रहा है.

रमजान की तैयारियां जोरों पर
  • अरबी पंचांग के मुताबिक साल का नौवां महीना सबसे सर्वश्रेष्ठ और पवित्र महीना रमजान करीम के नाम से पुकारा जाता है.
  • रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोगों का अधिकतर ध्यान उपवास रखने और रब की इबादतों में मशगूल रहता है.
  • रोजा रखनेवाला रोजदार बुराइयों से दूर भागता है.
  • गरीबों का विशेष ख्याल रखते हुए दान पुण्य किया जाता है.
  • संसार में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग, जैसे सिया, सुन्नी, वहाबी, देवबंदी आदि के हर बालिग के ऊपर रमजान का पूरा रोजा रखना फर्ज है.

कैसे रखा जाता है रोजा-

  • रोजा रखने के लिए सर्वप्रथम सूर्योदय और फजर के अजान से पहले (सहरी) भोजन करना चाहिए.
  • अजान के साथ रोजा प्रारंभ होता है और पूरा दिन बिना भोजन निर्जल रहना पड़ता है.
  • साथ ही दिनचर्या के कामकाज के साथ पांच वक्त की नमाज पढ़ना भी उतना ही आवश्यक है.
  • सूर्यास्त के समय मगरिब के अजान के साथ ही उपवास का पारन यानी इफ्तार करना उसके बाद मन चाहा पकवानों का भोजन कर सकते हैं.
  • थोड़ी देर बाद एशा के नमाज के पश्चात नमाज-ए-तरावीह पढ़ी जाती है.

क्या कहते हैं धर्म गुरु-

  • जनपद के बैलो स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारुल उलूम के धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि चांद दिखाई देने पर रोजा 6 मई से वरना 7 मई से शुरू होगा.
  • रोजा रखना हर मोमिन बंदे का फर्ज है.
  • इससे पहले जितने नबी आएं उनके उम्मतों पर रोजा रखने का हुक्म था, लेकिन सूरतें अलग-अलग थीं.
  • रमजान के महीने में शैतान को कैद कर दिया जाता है. जहन्नुम के दरवाजे बंद और जन्नत के दरवाजे खोल दिया जाता है.
  • अल्लाह ताला इस महीने में रहमतों की बरसात करता है.
  • रमजान महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें. नेकी करें, बुराईयों से दूर रहें.
  • गरीबों की मदद करें.

रमजान में खासतौर पर क्या करना चाहिए-

  • रमजान-ए-मुकद्दस में उपवास रखना अदृश्य इबादत है.
  • उपवास रखने वाले व्यक्ति को साफ सुथरा रहना जरूरी होता है.
  • बुरे कामों से दूर और मन को एकाग्र करके प्रार्थना करनी चाहिए.
  • गरीब, असहाय लोगों को अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए.
  • संसार की तमाम बुराइयों से बचते हुए अपने कर्मों का निर्वाह करना चाहिए.

क्या नहीं करना चाहिए-

  • रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है, बल्कि जो रोजा रखे उसे चाहिए कि वो अपने कानों से अपशब्द न सुनें.
  • जुबान से किसी को बुरे शब्द न बोलें. आखों पर भी काबू रखें कि नजर गलत जगह न पडे़ं.
  • किसी को तकलीफ न पहुंचाएं.
  • साथ ही साथ मन में किसी के प्रति गलत विचार न करें, जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचे.

गोरखपुर: माह-ए-रमजान की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस दौरान मुस्लिम समुदाय पवित्र रमजान का एक महीना रोजा रखेगा. इस बार चांद दिखाई देने पर रमजान का आगाज 6 मई से होगा. वहीं चांद के न दिखाई देने पर 7 मई से रोजदार रोजा रखेंगे. इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं. इबादतगाहों में साफ-सफाई कराई जा रही है. तरावीह नमाज पढ़ाने के लिए शहर के करीब चार सौ मस्जिदों में हाफिज का चयन किया जा रहा है.

रमजान की तैयारियां जोरों पर
  • अरबी पंचांग के मुताबिक साल का नौवां महीना सबसे सर्वश्रेष्ठ और पवित्र महीना रमजान करीम के नाम से पुकारा जाता है.
  • रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोगों का अधिकतर ध्यान उपवास रखने और रब की इबादतों में मशगूल रहता है.
  • रोजा रखनेवाला रोजदार बुराइयों से दूर भागता है.
  • गरीबों का विशेष ख्याल रखते हुए दान पुण्य किया जाता है.
  • संसार में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग, जैसे सिया, सुन्नी, वहाबी, देवबंदी आदि के हर बालिग के ऊपर रमजान का पूरा रोजा रखना फर्ज है.

कैसे रखा जाता है रोजा-

  • रोजा रखने के लिए सर्वप्रथम सूर्योदय और फजर के अजान से पहले (सहरी) भोजन करना चाहिए.
  • अजान के साथ रोजा प्रारंभ होता है और पूरा दिन बिना भोजन निर्जल रहना पड़ता है.
  • साथ ही दिनचर्या के कामकाज के साथ पांच वक्त की नमाज पढ़ना भी उतना ही आवश्यक है.
  • सूर्यास्त के समय मगरिब के अजान के साथ ही उपवास का पारन यानी इफ्तार करना उसके बाद मन चाहा पकवानों का भोजन कर सकते हैं.
  • थोड़ी देर बाद एशा के नमाज के पश्चात नमाज-ए-तरावीह पढ़ी जाती है.

क्या कहते हैं धर्म गुरु-

  • जनपद के बैलो स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत अनवारुल उलूम के धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि चांद दिखाई देने पर रोजा 6 मई से वरना 7 मई से शुरू होगा.
  • रोजा रखना हर मोमिन बंदे का फर्ज है.
  • इससे पहले जितने नबी आएं उनके उम्मतों पर रोजा रखने का हुक्म था, लेकिन सूरतें अलग-अलग थीं.
  • रमजान के महीने में शैतान को कैद कर दिया जाता है. जहन्नुम के दरवाजे बंद और जन्नत के दरवाजे खोल दिया जाता है.
  • अल्लाह ताला इस महीने में रहमतों की बरसात करता है.
  • रमजान महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें. नेकी करें, बुराईयों से दूर रहें.
  • गरीबों की मदद करें.

रमजान में खासतौर पर क्या करना चाहिए-

  • रमजान-ए-मुकद्दस में उपवास रखना अदृश्य इबादत है.
  • उपवास रखने वाले व्यक्ति को साफ सुथरा रहना जरूरी होता है.
  • बुरे कामों से दूर और मन को एकाग्र करके प्रार्थना करनी चाहिए.
  • गरीब, असहाय लोगों को अधिक से अधिक दान पुण्य करना चाहिए.
  • संसार की तमाम बुराइयों से बचते हुए अपने कर्मों का निर्वाह करना चाहिए.

क्या नहीं करना चाहिए-

  • रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नहीं है, बल्कि जो रोजा रखे उसे चाहिए कि वो अपने कानों से अपशब्द न सुनें.
  • जुबान से किसी को बुरे शब्द न बोलें. आखों पर भी काबू रखें कि नजर गलत जगह न पडे़ं.
  • किसी को तकलीफ न पहुंचाएं.
  • साथ ही साथ मन में किसी के प्रति गलत विचार न करें, जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचे.
Intro:माह ए रमजान की तैयारियां शुरु हो गई है. दुनिया के हर हिस्से मेंं रहने वाला मुस्लिम समुदाय पवित्र रमज़ान का एक महीना रोजा रखें गें। इस बार चांद दिखाई देने पर रमजान का आगाज 6 मई से होगा. चांद एक दिन लेट दिखाई देने पर 7 मई से रोजदार रोजा रखेंगे. तैयारियां शुरु हो गई है. इबादतगाहों में साफ सफाई कराई जारही है. तराबीह नमाज पढाने के लिए शहर के करीब चार सौ मस्जिदों में हाफिज का चयन किया जारहा है.

गोरखपुर पिपराइचः अरबी पंचांग के मुताबिक साल का नौवां महीना सबसे सर्वश्रेष्ठ एवं पवित्र महीना रमजान करीम के नाम से पुकारा जाता है. रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोगों का अधिकतर ध्यान उपवास रखने तथा रब की इबादतों में मश्गूल रहता है. मुकद्दस रमज़ान में कर्मो का फल सत्तर गुना अधिक मिलता है. रोज़ा रखनेवाला रोज़दार बुराईयों से दूर भागता है। अल्लाह ताला शैतान को जंजीरों में बांध कर कैद कर देता है. कैदीयों को अजाद कर देता है. गरीबों को विशेष ख्याल रखते हुऐ दान पुनः किया जाता है. जान व माल (तन और धन) दोनो का जकात (दान) निकाल कर गरीबों में तकसीम किया जाता है।Body:सम्पूर्ण संसार में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग, जैसे सिया, सुन्नी, वहाबी, देवबंदी आदि के हर बालिग के ऊपर रमज़ान का पूरा रोज़ा रखना फर्ज (परम कर्तव्य) है. हरहाल में रमजान का रोजा रखने के अल्लाह का निर्देश है. बावजूद इसके रोज़ा न रखने वाले लोगों से अल्लाह ना खुश तो होता ही है वही समुदाय के लोग भी नाखुश रहते है. रोज़ा एक शांन्तिमय, खामूस एबादत है.

माह ए रमजान कैसे रखा जाता है रोजा
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रोजा रखने के लिए सर्वप्रथम सुर्योदय तथा फजिर के अज़ान से पहले (सेहरी) भोजन करना चाहिए भोजन के बाद रोज़े की नीयत करना भी अनिवार्य होता है, आजान के साथ रोजा प्रारम्भ होता है और पुरा दिन बिना भोजन निर्जल ही रहना पडता है. साथ ही साथ दिनचर्या के काम काज के साथ पांच वक्त की नमाज पढना भी उतना ही अवश्यक है कि जितना रोजा रखना है. सुर्यअस्त के समय मगरिब के अजान के साथ ही उपवास का पारन यानी इफ्तार करना उसके बाद मन चाहा पकवानों का भोजन कर सकते है थोडी देर बाद एशा के नमाज के पश्चात नमाए ए तराबी पढी जाती है।
       बताते चलें ताराबी नमाज एक प्रकार की खास नमाज है. जो सिर्फ पवित्र रमजान महीने में दो प्रकार से पढने का हुक्म है. एक छोटी तराबी दूसरा बडी तराबी. बडी तराबी पढाने के लिए एक मोकम्मल हाफिज कुर्आन ईमाम की आवश्यकता पढती है. वही छोटी तराबी कोई भी ईमाम पढा सकता है.
Conclusion:
*क्या कहते है धर्म गुरु ?*

गोरखपुर जनपद के बैलो स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुनन्नत अनवारुल उलूम के धर्म गुरु मौलाना आस मोहम्मद ने बताया कि चांद दिखाई देने पर रोजा 6 मई से वरना 7 मई से शुरु होगा. रोजा रखना हर मोमिन बंदे पर फर्ज है. अल्लाह ताला उम्मते मोहम्मदिया पर रोजा रखना फर्ज करार दिया है. इससे पहले जितने नबी आये उनके भी उम्मतीयों पर रोजा रखने का हुक्म था। लेकिन सूरतें अलग अलग थी. रोजा रखने की बड़ी फजीलतें है. रमजान के महीने में शैतान को कैद कर दिया जाता है. जहन्नम के दरवाजे बंद और जन्नत के दरवाजे को खोल देता है. अल्लाह ताला इस महिने में रहमतों की बरसात करता है. गुनहगारों को बख्शीश का परवाना अता करता है. अखिरी असरे में जहन्नम से अजादी दिलाता है.
रमजान महीने में ज्यादा से ज्यादा इबादत करें. नेकी करें बुराईयों से दूर रहें. सदका खैरात करें. गरीबों मिस्कीनों की मदद करें, लोगों को इफ्तार करने का बंदोबस्त करे. आसपढोस के पढोसीयों का चाहे किसी भी धर्म का मानने वाला हो उसकी मदद करें जो भी उसकी जरुरतें है उसको पूरी करें अल्लाह ताला इसका सवाब अता फरमायेगा.

*रमजान में खास तौर पर क्या करना चाहिये*

रमज़ान ए मुकद्दश में उपवास रखना अदृश्य इबादत है. उपवास रखने वाले व्यक्ति को साफसुथरा पाक (पवित्र) रहना जरूरी होता है। बुरे कामों से दूर तथा मन को एकाग्र करके एक ईश्वर की प्रथार्ना करनी चाहिए. विशेष रुप से गरीब, यतीम, असाहाय लोगों में अधिक से अधिक ख्याल रखते हुऐ दानपुनः खैरात, सदका, फितरा, अधिक से अधिक देना जरुरी होता है. संसार की तमाम बुराईयों से बचते हुए अपने कर्मों का निर्वाह करना चाहिए।

*क्या नही करना चाहिए ?*

रोजा सिर्फ भूखा रहने का नाम नही है. बल्कि जो रोजा रखे उसे चाहिए कि वो अपने कानों से असब्द न सूने, जूबान से किसी को बुरे शब्द न बोले, आखों पर भी काबू रखे कि गलत जगह न पडे़. अपने हाथों से किसी को तकलीफ न पहूचाए, अपने कदमों से चलकर किसी गलत स्थान पर न जाए. साथ ही साथ मन में किसी के प्रति गलत विचार न करे जिससे दूसरों को तकलीफ़ पहूचे। 
         गोरखपुर पिपराइच- एम आर अन्सरी.
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