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कल्याण के संपादक राधेश्याम खेमका के निधन पर पीएम और सीएम ने जताया शोक - सीएम योगी आदित्यनाथ ने जताया शोक

कल्याण पत्रिका का संपादन करने वाले राधेश्याम खेमका के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है.

राधेश्याम खेमका
राधेश्याम खेमका
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Published : Apr 5, 2021, 5:53 PM IST

गोरखपुरः मासिक पत्रिका 'कल्याण' के संपादन का कार्य करने वाले राधेश्याम खेमका के निधन के बाद धर्म क्षेत्र से जुड़े विद्वानों, साधु-संतों में शोक की लहर है. यही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के जरिए उनके निधन पर दुख जताया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी शोक संवेदना, शोक संदेश पत्र के माध्यम से दी. खेमका का निधन 3 अप्रैल को वाराणसी के केदार घाट पर हुआ था. कल्याण पत्रिका का प्रकाशन धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के प्रसिद्ध केंद्र गीता प्रेस से होता था. गीता प्रेस संस्थान इस वर्ष अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है. इसी बीच इस बड़ी क्षति से प्रबंधन में शोक व्याप्त हो गया है. इस आयोजन में कल्याण के 95 विशेष अंकों से 100 महत्वपूर्ण लेख लेकर एक स्वतंत्र ग्रंथ प्रकाशित करने पर भी सहमति बनी थी. फिलहाल गीता प्रेस प्रबंधन इस अपूरणीय क्षति के बाद शताब्दी समारोह को लेकर अभी कोई भी टिप्पणी नहीं कर रहा. इस समारोह के लिए खेमका जी पीएम मोदी से कुछ दिनों पूर्व मिलकर भी आये थे.

'पत्तल' में खाना और 'कुल्हड़' में पानी पीते थे खेमका जी
गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी की मानें तो खेमका जी के प्रयासों से गीता प्रेस ने कर्मकांड और अन्य संस्कारों से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन शुरू किया था. जिसमें नित्यकर्म पूजा प्रकाश, गरुड़ पुराण, अयोध्या दर्शन,अयोध्या महात्म, श्राद्ध पद्धति, त्रिपिंडी पद्धति प्रमुख पुस्तकें हैं. इसमें खेमका जी का निर्देशन होता रहा है. लालमणि तिवारी का कहना है कि राधेश्याम खेमका धार्मिक और सात्विक प्रवृत्ति के थे. वह पत्तल में ही भोजन करते थे और कुल्हड़ में पानी पीते थे. उन्होंने अपने जीवन में चमड़े से बनी वस्तुओं का कोई प्रयोग नहीं किया. वह पूरी तरह से धार्मिक और सात्विक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. बस सिर्फ भगवान के कार्य में लीन थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन गीता प्रेस को समर्पित कर दिया था. उन्हें खोने का गीता प्रेस प्रबंधन को बेहद ही दुख और अपार क्षति है. जिसकी भरपाई संभव नहीं.

इसे भी पढ़ेंः AMU के दृष्टिबाधित छात्र ने संस्कृत में की पैगंबर साहब की स्तुति, लोग कर रहे पसंद

40 वर्षों तक खेमका जी ने गीता प्रेस को दी सेवाएं
राधेश्याम खेमका 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. जिससे जनमानस को भी कई धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना से जुड़ने का अवसर मिला. लब्ध प्रतिष्ठित लोगों के साथ यह संतों के भी प्रिय लोगों में से थे. इनके निधन पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी अपार दुख प्रकट किया है और इसे धार्मिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. खेमका जी पिछले कई वर्षों से काशी के केदारघाट पर निवास कर रहे थे. उनकी इच्छा थी कि काशी में उनका प्राण निकले जिससे उन्हें सद्गति और ईश्वर की शरण में जाने का मार्ग प्राप्त हो. उनकी अंत्येष्टि भी केदारघाट क्षेत्र में ही वाराणसी में संपन्न हुई थी.

गोरखपुरः मासिक पत्रिका 'कल्याण' के संपादन का कार्य करने वाले राधेश्याम खेमका के निधन के बाद धर्म क्षेत्र से जुड़े विद्वानों, साधु-संतों में शोक की लहर है. यही नहीं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के जरिए उनके निधन पर दुख जताया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी शोक संवेदना, शोक संदेश पत्र के माध्यम से दी. खेमका का निधन 3 अप्रैल को वाराणसी के केदार घाट पर हुआ था. कल्याण पत्रिका का प्रकाशन धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के प्रसिद्ध केंद्र गीता प्रेस से होता था. गीता प्रेस संस्थान इस वर्ष अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है. इसी बीच इस बड़ी क्षति से प्रबंधन में शोक व्याप्त हो गया है. इस आयोजन में कल्याण के 95 विशेष अंकों से 100 महत्वपूर्ण लेख लेकर एक स्वतंत्र ग्रंथ प्रकाशित करने पर भी सहमति बनी थी. फिलहाल गीता प्रेस प्रबंधन इस अपूरणीय क्षति के बाद शताब्दी समारोह को लेकर अभी कोई भी टिप्पणी नहीं कर रहा. इस समारोह के लिए खेमका जी पीएम मोदी से कुछ दिनों पूर्व मिलकर भी आये थे.

'पत्तल' में खाना और 'कुल्हड़' में पानी पीते थे खेमका जी
गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी की मानें तो खेमका जी के प्रयासों से गीता प्रेस ने कर्मकांड और अन्य संस्कारों से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन शुरू किया था. जिसमें नित्यकर्म पूजा प्रकाश, गरुड़ पुराण, अयोध्या दर्शन,अयोध्या महात्म, श्राद्ध पद्धति, त्रिपिंडी पद्धति प्रमुख पुस्तकें हैं. इसमें खेमका जी का निर्देशन होता रहा है. लालमणि तिवारी का कहना है कि राधेश्याम खेमका धार्मिक और सात्विक प्रवृत्ति के थे. वह पत्तल में ही भोजन करते थे और कुल्हड़ में पानी पीते थे. उन्होंने अपने जीवन में चमड़े से बनी वस्तुओं का कोई प्रयोग नहीं किया. वह पूरी तरह से धार्मिक और सात्विक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. बस सिर्फ भगवान के कार्य में लीन थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन गीता प्रेस को समर्पित कर दिया था. उन्हें खोने का गीता प्रेस प्रबंधन को बेहद ही दुख और अपार क्षति है. जिसकी भरपाई संभव नहीं.

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40 वर्षों तक खेमका जी ने गीता प्रेस को दी सेवाएं
राधेश्याम खेमका 40 वर्षों से गीता प्रेस में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया. जिससे जनमानस को भी कई धार्मिक और आध्यात्मिक चेतना से जुड़ने का अवसर मिला. लब्ध प्रतिष्ठित लोगों के साथ यह संतों के भी प्रिय लोगों में से थे. इनके निधन पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने भी अपार दुख प्रकट किया है और इसे धार्मिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति बताया है. खेमका जी पिछले कई वर्षों से काशी के केदारघाट पर निवास कर रहे थे. उनकी इच्छा थी कि काशी में उनका प्राण निकले जिससे उन्हें सद्गति और ईश्वर की शरण में जाने का मार्ग प्राप्त हो. उनकी अंत्येष्टि भी केदारघाट क्षेत्र में ही वाराणसी में संपन्न हुई थी.

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