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हनुमान जयंती 2021: शुभ योग में बजरंगबली का जन्मोत्सव, जानें महत्व व पूजा मुहूर्त - महा-औदायिक योग

पवन पुत्र श्री हनुमान जी का जन्मोत्सव पर्व 27 अप्रैल को भक्तिभाव से मनाया जा रहा है. हनुमान मंदिरों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. ज्योतिष के अनुसार बजरंगली का यह जन्मोत्सव पर्व 'ध्वज' नामक महा-औदायिक योग में हो रहा है, जो कष्टों का हरण करेगा.

हनुमान जयंती आज
हनुमान जयंती आज
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Published : Apr 27, 2021, 10:59 AM IST

गोरखपुर: 27 अप्रैल दिन मंगलवार को बल बुद्धि के दाता भगवान हनुमान का जन्मोत्सव पर्व मनाया जा रहा है. विद्वान ज्योतिष पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार बजरंगली का यह जन्मोत्सव पर्व 'ध्वज' नामक महा-औदायिक योग में हो रहा है, जो कष्टों का हरण करेगा. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इस दिवस को हनुमत जयन्ती भी कहते हैं, लेकिन सत्यता यह है कि बजरंगली का जन्मोत्सव है. ऐसा इसलिए क्योंकि बजरंगली अजर और अमर हैं. जिनकी मृत्यु हो गई होती है उनकी जयंती मनाई जाती है, लेकिन जो जीवित हैं उनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा न कि जयंती.

इसे भी पढ़ें-हनुमान जयंती आज, कोविड प्रोटोकॉल के तहत होगा पूजन

आज मंगलवार के दिन स्वाती नक्षत्र होने से ‘ध्वज' नामक महा-औदायिक योग बन रहा है. धर्मशास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिणा को प्रातः काल मेष लग्न में हुआ था. ऐसा व्रतरत्नाकर ग्रन्थ में वर्णित है. सूर्योदय के समय मेष लग्न विद्यमान है.

हनुमान जयंती पर पाठ का आयोजन
हनुमान जयंती पर पाठ का आयोजन
हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा-पाठ का विधान

चैत्र पूर्णिमा के दिन एक चित्र हनुमान जी का रामपरिवार सहित या स्वतन्त्र हो तो उसे स्थापित करें और संकल्प के अनन्तर पूजन करें- "अमुक गोत्र अमुक नामाहं मम सपरिवारस्य हनुमत् प्रीति द्वारा सकल मनोकामना सिद्धयर्थं हनुमत् जन्म उपलक्ष्ये हनुमत् पूजनं करिष्ये" - इस प्रकार हनुमान जी की विधि से पूजन करें. इस दिन वाल्मिकी रामायण अथवा तुलसीकृत रामचरित मानस या सुन्दरकाण्ड अथवा हनुमान चालीसा के अखण्ड पाठ का आयोजन करें. इस महामारी के समय केवल परिवार के ही सदस्य एकत्रित होकर पूजा-पाठ में संलग्न हों तो अच्छा रहेगा. इस दिन हनुमत मन्त्र का जप श्रेयष्कर माना गया है. हनुमान जी को श्रंगार, सिन्दूर आदि अर्पण करें. नैवेद्य में भीगा या भुना हुआ चना, गुड़, बेसन के लड्डू, पेड़ा और फल विशेष तौर पर केले का फल अवश्य होना चाहिए. इस दिन घर में पकवान बनाकर भी हनुमान जी को अर्पण करने की परम्परा है. नैवेद्य में चना रखने का कारण यह है कि यह वानर जाति का प्रिय खाद्य पदार्थ है. बेशन और बूंदी दोनों चने से ही बनते हैं और गुड़ शक्ति देने वाला है. चना और गुड़ का योग बल-बुद्धि प्रदान करता है. भारतवर्ष में सर्वत्र हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी की पूजा होती है और इनकी जयन्ती मनाई जाती है.

हनुमान जी के भक्तों को नहीं होती शनि ग्रह से पेरशानी

पुराणों की कथाओं के अनुसार शनिदेव का हनुमान जी से युद्ध हुआ था, जिसमें शनि की पराजय हुई. जब हनुमान जी शनि की दुर्दशा करने लगे तो उसने वरदान दिया कि जो कोई आपकी आराधना करेगा, उसे वह पीड़ा नहीं देगें. इसलिए हनुमान जयन्ती के दिन या शनिवार और मंगलवार को इनके भक्त इनकी विशेष आराधना करते हैं. शत्रुओं से पीड़ित अवस्था में भी इनकी पूजा की जाती है और उसका सकारात्मक प्रभाव भी देखा जाता है. भगवान हनुमान जी अपने भक्तों के प्रहरी हैं.

गोरखपुर: 27 अप्रैल दिन मंगलवार को बल बुद्धि के दाता भगवान हनुमान का जन्मोत्सव पर्व मनाया जा रहा है. विद्वान ज्योतिष पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार बजरंगली का यह जन्मोत्सव पर्व 'ध्वज' नामक महा-औदायिक योग में हो रहा है, जो कष्टों का हरण करेगा. उन्होंने कहा कि बहुत से लोग इस दिवस को हनुमत जयन्ती भी कहते हैं, लेकिन सत्यता यह है कि बजरंगली का जन्मोत्सव है. ऐसा इसलिए क्योंकि बजरंगली अजर और अमर हैं. जिनकी मृत्यु हो गई होती है उनकी जयंती मनाई जाती है, लेकिन जो जीवित हैं उनका जन्मोत्सव मनाया जाएगा न कि जयंती.

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आज मंगलवार के दिन स्वाती नक्षत्र होने से ‘ध्वज' नामक महा-औदायिक योग बन रहा है. धर्मशास्त्रों के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र शुक्ल पूर्णिणा को प्रातः काल मेष लग्न में हुआ था. ऐसा व्रतरत्नाकर ग्रन्थ में वर्णित है. सूर्योदय के समय मेष लग्न विद्यमान है.

हनुमान जयंती पर पाठ का आयोजन
हनुमान जयंती पर पाठ का आयोजन
हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा-पाठ का विधान

चैत्र पूर्णिमा के दिन एक चित्र हनुमान जी का रामपरिवार सहित या स्वतन्त्र हो तो उसे स्थापित करें और संकल्प के अनन्तर पूजन करें- "अमुक गोत्र अमुक नामाहं मम सपरिवारस्य हनुमत् प्रीति द्वारा सकल मनोकामना सिद्धयर्थं हनुमत् जन्म उपलक्ष्ये हनुमत् पूजनं करिष्ये" - इस प्रकार हनुमान जी की विधि से पूजन करें. इस दिन वाल्मिकी रामायण अथवा तुलसीकृत रामचरित मानस या सुन्दरकाण्ड अथवा हनुमान चालीसा के अखण्ड पाठ का आयोजन करें. इस महामारी के समय केवल परिवार के ही सदस्य एकत्रित होकर पूजा-पाठ में संलग्न हों तो अच्छा रहेगा. इस दिन हनुमत मन्त्र का जप श्रेयष्कर माना गया है. हनुमान जी को श्रंगार, सिन्दूर आदि अर्पण करें. नैवेद्य में भीगा या भुना हुआ चना, गुड़, बेसन के लड्डू, पेड़ा और फल विशेष तौर पर केले का फल अवश्य होना चाहिए. इस दिन घर में पकवान बनाकर भी हनुमान जी को अर्पण करने की परम्परा है. नैवेद्य में चना रखने का कारण यह है कि यह वानर जाति का प्रिय खाद्य पदार्थ है. बेशन और बूंदी दोनों चने से ही बनते हैं और गुड़ शक्ति देने वाला है. चना और गुड़ का योग बल-बुद्धि प्रदान करता है. भारतवर्ष में सर्वत्र हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी की पूजा होती है और इनकी जयन्ती मनाई जाती है.

हनुमान जी के भक्तों को नहीं होती शनि ग्रह से पेरशानी

पुराणों की कथाओं के अनुसार शनिदेव का हनुमान जी से युद्ध हुआ था, जिसमें शनि की पराजय हुई. जब हनुमान जी शनि की दुर्दशा करने लगे तो उसने वरदान दिया कि जो कोई आपकी आराधना करेगा, उसे वह पीड़ा नहीं देगें. इसलिए हनुमान जयन्ती के दिन या शनिवार और मंगलवार को इनके भक्त इनकी विशेष आराधना करते हैं. शत्रुओं से पीड़ित अवस्था में भी इनकी पूजा की जाती है और उसका सकारात्मक प्रभाव भी देखा जाता है. भगवान हनुमान जी अपने भक्तों के प्रहरी हैं.

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