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सीएम सिटी में ध्वस्त हो गई है पेयजल व्यवस्था, कई मोहल्लों में नहीं है पाइपलाइन - गोरखपुर में पेयजल व्यवस्था

सीएम सिटी गोरखपुर में पेयजल व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. यहां लोगों को कई महीनों से पानी नहीं मिल रहा है, जिससे लोगों में काफी आक्रोश है. देखें ये स्पेशल रिपोर्ट...

drinking water scheme demolished in cm city
सीएम सिटी में ध्वस्त हो गई है पेयजल व्यवस्था.
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Published : Aug 7, 2020, 7:30 AM IST

गोरखपुर: कहते हैं कि जल ही जीवन है और जीवन के लिए शुद्ध जल का होना तो बेहद जरूरी है. अगर बात करें मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर की, तो इस शहर में ही यह व्यवस्था लड़खड़ा गई है. नगर निगम के 70 वार्डों और जिले की 22 लाख की आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की जिम्मेदारी जल निगम और जलकल की है. पानी की सप्लाई व्यवस्था में आने वाली खामियों को दूर करने का काम जलकल करता है, लेकिन जब खामियां विकराल रूप ले लें तो उसे दूर करने वाला भी परेशान हो जाता है. कुछ यही हाल है गोरखपुर में वाटर सप्लाई की व्यवस्था से जुड़े हुए स्थानीय नागरिकों की, जिन्हें फिलहाल कहीं से कोई मदद मिलती दिखाई नहीं दे रही. भारी बरसात में गंदे पानी में डूबी पाइपलाइनें संक्रमित जल का भी वाहक बन रही है.

स्पेशल रिपोर्ट..

मांग के अनुसार नहीं मिल पा रहा पानी
गोरखपुर शहर के 70 वार्डों में निवास करने वाली जनता की बात करें तो इनकी संख्या करीब 10 लाख है, जिसे शुद्ध पेयजल के लिए 152 एमएलडी पानी की आवश्यकता है. इतने पानी की सप्लाई 121 नलकूपों और 87 मिनी नलकूपों से की जाती है. मांग के अनुसार, करीब 30 एमएलडी पानी कम पड़ता है.

drinking water scheme demolished in cm city
पानी में डूबी पाइप लाइन.

20 साल पुरानी चल रही व्यवस्था
शहर में 31 ओवर हेड टैंक वाटर सप्लाई के लिए बनाए गए हैं, तो वहीं एक भूमिगत जलाशय भी है. प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से करीब 93 एलपीसीडी पानी की आवश्यकता पड़ती है. जिसकी सप्लाई 1180 किलोमीटर के दायरे में पाइप लाइनों के जरिए होता है. शहर में 4174 इंडिया मार्का हैंड पंप के साथ ही 485 वाटर स्टैंड पोस्ट भी बनाए गए हैं, जिससे राह चलते लोगों को भी पानी उपलब्ध हो सके. यह सारी व्यवस्था 20 साल पुरानी चल रही है और मौजूदा समय में आबादी और घरों का विस्तार तेजी के साथ हो रहा है.

drinking water scheme demolished in cm city
पानी में डूबी पाइपलाइन.

शहर के बाहरी वार्ड तक नहीं पहुंचा वाटर सप्लाई
शहर के बाहरी वार्ड तक अभी वाटर सप्लाई नहीं पहुंच सकी है. कार्यदायी संस्था भी स्थानीय पार्षदों की डिमांड पूरी करने में पूरी तरह फेल है. वहीं स्थानीय लोग कहते हैं कि उन्हें अपने खुद के साधन से पानी पीने का इंतजाम करना पड़ता है. उनके घर तक वाटर सप्लाई हुई ही नहीं है, जो जल निगम और नगर निगम की संवेदनहीनता का बड़ा उदाहरण है.

drinking water scheme demolished in cm city
गोरखपुर नगर में पेयजलापूर्ति व्यवस्था आपूर्ति.

घरों तक नहीं पहुंच रहा पानी
मौजूदा समय में सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी शहर में चारों तरफ हो रहा है. गोरखनाथ मंदिर होते हुए नेपाल को जाने वाली सड़क का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है, जिसमें पूर्व में पड़ी हुई पाइपलाइन खुदाई में पूरी तरह डैमेज हो गई है, जिससे आसपास के दर्जनभर कॉलोनियों में लोगों के घरों तक पानी महीनों से नहीं पहुंच रहा.

गंदे पानी में डूबी हुई हैं पाइपलाइनें
तस्वीरें इस बात की खुद गवाही देती हैं कि जल निगम अस्थाई पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों में पानी पहुंचाने का जुगाड़ तो कर रहा है फिर भी लोगों को समय से पानी नहीं मिल पा रहा है. यह पाइपलाइनें गंदे पानी में भी डूबी हुई हैं. लोग हर जिम्मेदार अधिकारी और संस्था पर सवाल उठा रहे हैं. यहां तक कि सीएम योगी पर भी उनका गुस्सा फूटता है, फिर भी उनके हाथ निराशा ही लगी हुई है.

'अमृत योजना से होगी पानी की सप्लाई'
जल निगम के जीएम एसपी श्रीवास्तव वाटर सप्लाई की व्यवस्था पर पूरी विस्तार से जानकारी रखते हैं. वह कहते हैं कि दो संस्थाओं के सहारे होने वाली जलापूर्ति में दिक्कत में तो बहुत हैं, फिर भी बेहतर सप्लाई की कोशिश की जाती है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो आने वाले समय में शहर में वाटर सप्लाई की समस्या बहुत हद तक दूर हो जाएगी, क्योंकि 'अमृत योजना' के तहत पूरे शहर में 173 किलोमीटर की नई पाइप लाइन डाली जानी है, जिसमें 173 किलोमीटर पड़ भी चुकी है.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर की स्थापना में गोरखपुर के इन तीन लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका

2024 तक हर घर तक पहुंचेगा पानी
मार्च 2019 से यह योजना शहर में कार्य कर रही है, लेकिन कुछ परिस्थितियों से कार्य में देरी हुई है. अमृत योजना के तहत 28,519 कनेक्शन दिए जाना हैं, जिससे अधिकांश घरों को आच्छादित किया जा सकता है. वहीं गोरखनाथ रोड के चौड़ीकरण में 4 करोड़ रुपये पाइप लाइन पर खर्च करके व्यवस्था को दुरुस्त करने का कार्य किया जाएगा. विभागीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार के 'जल जीवन मिशन' के तहत साल 2024 तक जिले के हर गांव और घर तक वाटर सप्लाई की व्यवस्था पहुंच जाएगी.

गोरखपुर: कहते हैं कि जल ही जीवन है और जीवन के लिए शुद्ध जल का होना तो बेहद जरूरी है. अगर बात करें मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर की, तो इस शहर में ही यह व्यवस्था लड़खड़ा गई है. नगर निगम के 70 वार्डों और जिले की 22 लाख की आबादी तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने की जिम्मेदारी जल निगम और जलकल की है. पानी की सप्लाई व्यवस्था में आने वाली खामियों को दूर करने का काम जलकल करता है, लेकिन जब खामियां विकराल रूप ले लें तो उसे दूर करने वाला भी परेशान हो जाता है. कुछ यही हाल है गोरखपुर में वाटर सप्लाई की व्यवस्था से जुड़े हुए स्थानीय नागरिकों की, जिन्हें फिलहाल कहीं से कोई मदद मिलती दिखाई नहीं दे रही. भारी बरसात में गंदे पानी में डूबी पाइपलाइनें संक्रमित जल का भी वाहक बन रही है.

स्पेशल रिपोर्ट..

मांग के अनुसार नहीं मिल पा रहा पानी
गोरखपुर शहर के 70 वार्डों में निवास करने वाली जनता की बात करें तो इनकी संख्या करीब 10 लाख है, जिसे शुद्ध पेयजल के लिए 152 एमएलडी पानी की आवश्यकता है. इतने पानी की सप्लाई 121 नलकूपों और 87 मिनी नलकूपों से की जाती है. मांग के अनुसार, करीब 30 एमएलडी पानी कम पड़ता है.

drinking water scheme demolished in cm city
पानी में डूबी पाइप लाइन.

20 साल पुरानी चल रही व्यवस्था
शहर में 31 ओवर हेड टैंक वाटर सप्लाई के लिए बनाए गए हैं, तो वहीं एक भूमिगत जलाशय भी है. प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से करीब 93 एलपीसीडी पानी की आवश्यकता पड़ती है. जिसकी सप्लाई 1180 किलोमीटर के दायरे में पाइप लाइनों के जरिए होता है. शहर में 4174 इंडिया मार्का हैंड पंप के साथ ही 485 वाटर स्टैंड पोस्ट भी बनाए गए हैं, जिससे राह चलते लोगों को भी पानी उपलब्ध हो सके. यह सारी व्यवस्था 20 साल पुरानी चल रही है और मौजूदा समय में आबादी और घरों का विस्तार तेजी के साथ हो रहा है.

drinking water scheme demolished in cm city
पानी में डूबी पाइपलाइन.

शहर के बाहरी वार्ड तक नहीं पहुंचा वाटर सप्लाई
शहर के बाहरी वार्ड तक अभी वाटर सप्लाई नहीं पहुंच सकी है. कार्यदायी संस्था भी स्थानीय पार्षदों की डिमांड पूरी करने में पूरी तरह फेल है. वहीं स्थानीय लोग कहते हैं कि उन्हें अपने खुद के साधन से पानी पीने का इंतजाम करना पड़ता है. उनके घर तक वाटर सप्लाई हुई ही नहीं है, जो जल निगम और नगर निगम की संवेदनहीनता का बड़ा उदाहरण है.

drinking water scheme demolished in cm city
गोरखपुर नगर में पेयजलापूर्ति व्यवस्था आपूर्ति.

घरों तक नहीं पहुंच रहा पानी
मौजूदा समय में सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी शहर में चारों तरफ हो रहा है. गोरखनाथ मंदिर होते हुए नेपाल को जाने वाली सड़क का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है, जिसमें पूर्व में पड़ी हुई पाइपलाइन खुदाई में पूरी तरह डैमेज हो गई है, जिससे आसपास के दर्जनभर कॉलोनियों में लोगों के घरों तक पानी महीनों से नहीं पहुंच रहा.

गंदे पानी में डूबी हुई हैं पाइपलाइनें
तस्वीरें इस बात की खुद गवाही देती हैं कि जल निगम अस्थाई पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों में पानी पहुंचाने का जुगाड़ तो कर रहा है फिर भी लोगों को समय से पानी नहीं मिल पा रहा है. यह पाइपलाइनें गंदे पानी में भी डूबी हुई हैं. लोग हर जिम्मेदार अधिकारी और संस्था पर सवाल उठा रहे हैं. यहां तक कि सीएम योगी पर भी उनका गुस्सा फूटता है, फिर भी उनके हाथ निराशा ही लगी हुई है.

'अमृत योजना से होगी पानी की सप्लाई'
जल निगम के जीएम एसपी श्रीवास्तव वाटर सप्लाई की व्यवस्था पर पूरी विस्तार से जानकारी रखते हैं. वह कहते हैं कि दो संस्थाओं के सहारे होने वाली जलापूर्ति में दिक्कत में तो बहुत हैं, फिर भी बेहतर सप्लाई की कोशिश की जाती है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो आने वाले समय में शहर में वाटर सप्लाई की समस्या बहुत हद तक दूर हो जाएगी, क्योंकि 'अमृत योजना' के तहत पूरे शहर में 173 किलोमीटर की नई पाइप लाइन डाली जानी है, जिसमें 173 किलोमीटर पड़ भी चुकी है.

ये भी पढ़ें: राम मंदिर की स्थापना में गोरखपुर के इन तीन लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका

2024 तक हर घर तक पहुंचेगा पानी
मार्च 2019 से यह योजना शहर में कार्य कर रही है, लेकिन कुछ परिस्थितियों से कार्य में देरी हुई है. अमृत योजना के तहत 28,519 कनेक्शन दिए जाना हैं, जिससे अधिकांश घरों को आच्छादित किया जा सकता है. वहीं गोरखनाथ रोड के चौड़ीकरण में 4 करोड़ रुपये पाइप लाइन पर खर्च करके व्यवस्था को दुरुस्त करने का कार्य किया जाएगा. विभागीय जानकारी के अनुसार, भारत सरकार के 'जल जीवन मिशन' के तहत साल 2024 तक जिले के हर गांव और घर तक वाटर सप्लाई की व्यवस्था पहुंच जाएगी.

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