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आईटी रेड के बाद गैंलेट सीएमडी का बड़ा बयान, बोले- सैकड़ों करोड़ टैक्स देने का यही नतीजा

गैंलेट स्टील के मालिक चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने इनकम टैक्स की छापेमारी को लेकर सोमवार को प्रेस वार्ता की. चंद्र प्रकाश अग्रवाल की गैलेंट इस्पात कंपनी पूर्वांचल की पहली सेबी रजिस्टर्ड फर्म है.

Income Tax raid on Gauntlet Steel
Income Tax raid on Gauntlet Steel
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Published : May 2, 2023, 8:43 AM IST

गैंलेट स्टील के मालिक चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

गोरखपुरः पूर्वांचल के मशहूर उद्योगपति और स्टील कारोबारी चंद्र प्रकाश अग्रवाल पर 26 अप्रैल को इनकम टैक्स की छापेमारी में हुई थी. छापेमारी से नाराज चंद्र प्रकाश अग्रवाल इस कार्रवाई के बाद सोमवार को प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि गोरखपुर में उन्होंने जिस दौर में उद्योग की स्थापना की थी, वह 80 का दशक था. उस समय यहां गन पॉइंट पर कारोबार होता था. अवैध तमंचे (कट्टे) बनाए जाते थे. अगर उद्योग नहीं लगते, तो यहां तमंचे ही बनते. इनकम टैक्स की छापेमारी में 6 दिनों तक उन्हें घर में बंद रखना कहीं से उचित नहीं था. यह उन्हें हतोत्साहित करता है. ऐसी कार्रवाई गोरखपुर में भविष्य में किए जाने वाले उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करेगा.

गौरतलब है कि चंद्र प्रकाश अग्रवाल की कंपनी गैलेंट इस्पात के नाम से जानी जाती है, जिसका कारोबार गोरखपुर और गुजरात के भुज में होता है. यह पूर्वांचल की पहली ऐसी फर्म है, जो सेबी में रजिस्टर्ड है और प्रतिवर्ष कई सौ करोड़ का टैक्स देती है. सोमवार को प्रेस वार्ता में गैलेंट इस्पात उद्योग के सीएमडी चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में छापेमारी के दौरान विभिन्न तरह की बरामदगी और टैक्स चोरी की खबरें आई जो निराधार हैं. इनकम टैक्स ने उन्हें अभी तक इस तरह की किसी भी चोरी की नोटिस नहीं दी है. उन्होंने इस छापेमारी में पूरा सहयोग किया है. 26 लाख रुपए और करोड़ों के जेवरात जो मिले हैं. उसके कागजात उन्होंने आईटी टीम को उपलब्ध कराया है.

उन्होंने कहा, 'छापेमारी के दौरान यह खबरें भी आती रहीं कि गैलेंट समूह में राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के पैसे लगे हैं, तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि, उनके द्वारा खड़ी की गई इस संस्था में न तो पहले किसी राजनेता और अधिकारी का पैसा लगा था और न ही आज की तारीख में. 1984 से उद्योग की स्थापना करने के बाद संघर्षों के बल पर होने वाली कमाई से मौजूदा दौर में गुणवत्ता और विशिष्ट पहचान का उनका उद्योग खड़ा है, जो हजारों परिवारों को रोजगार देता है. लेकिन, जिस तरह से बड़े स्तर की छापेमारी उनके संस्थानों पर हुई है वह ठीक नहीं.'

उन्होंने आग कहा, 'सैकड़ों करोड़ टैक्स देने का शायद यही नतीजा है. आईटी विभाग के अधिकारी अनुमान लगाता है कि यहां पर शायद टैक्स की चोरी मिलेगी. फिलहाल इनकम टैक्स की टीम खाली हाथ ही लौटी है. उनके यहां कोई कर चोरी नहीं की गई है. बल्कि सरकारी राजस्व के भुगतान में 350 गुना की उन्होने बढ़ोतरी की है. उनके यहां आईटी की छापेमारी में जो कुछ भी बरामद हुआ, उन संपत्तियों के वैध कागजात उन्हें तत्काल उपलब्ध कराये गये हैं.'

गैलेंट इंडस्ट्रीज की नींव रखने को लेकर अग्रवाल ने कहा कि 1 लाख रुपये से उन्होंने उद्योग के कारोबार में कदम रखा था. यह 40 वर्षों बाद बढ़कर दो हजार करोड़ से अधिक निवेश के साथ उत्तर प्रदेश, गुजरात में चल रहा है. आयकर के मद में 2006 में एक करोड़ के और 2023 में 43 करोड़ दिया गया. 700 करोड़ जीएसटी जमा कराई गयी है. फिर भी ऐसी छापेमारी संस्थान के छवि को धूमिल करती है.

ये भी पढ़ेंः प्रयागराज में सीएम योगी का दौरा आज, अतीक अहमद के गढ़ में करेंगे जनसभा

गैंलेट स्टील के मालिक चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस

गोरखपुरः पूर्वांचल के मशहूर उद्योगपति और स्टील कारोबारी चंद्र प्रकाश अग्रवाल पर 26 अप्रैल को इनकम टैक्स की छापेमारी में हुई थी. छापेमारी से नाराज चंद्र प्रकाश अग्रवाल इस कार्रवाई के बाद सोमवार को प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि गोरखपुर में उन्होंने जिस दौर में उद्योग की स्थापना की थी, वह 80 का दशक था. उस समय यहां गन पॉइंट पर कारोबार होता था. अवैध तमंचे (कट्टे) बनाए जाते थे. अगर उद्योग नहीं लगते, तो यहां तमंचे ही बनते. इनकम टैक्स की छापेमारी में 6 दिनों तक उन्हें घर में बंद रखना कहीं से उचित नहीं था. यह उन्हें हतोत्साहित करता है. ऐसी कार्रवाई गोरखपुर में भविष्य में किए जाने वाले उद्योगों की स्थापना को प्रभावित करेगा.

गौरतलब है कि चंद्र प्रकाश अग्रवाल की कंपनी गैलेंट इस्पात के नाम से जानी जाती है, जिसका कारोबार गोरखपुर और गुजरात के भुज में होता है. यह पूर्वांचल की पहली ऐसी फर्म है, जो सेबी में रजिस्टर्ड है और प्रतिवर्ष कई सौ करोड़ का टैक्स देती है. सोमवार को प्रेस वार्ता में गैलेंट इस्पात उद्योग के सीएमडी चंद्र प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि मीडिया में छापेमारी के दौरान विभिन्न तरह की बरामदगी और टैक्स चोरी की खबरें आई जो निराधार हैं. इनकम टैक्स ने उन्हें अभी तक इस तरह की किसी भी चोरी की नोटिस नहीं दी है. उन्होंने इस छापेमारी में पूरा सहयोग किया है. 26 लाख रुपए और करोड़ों के जेवरात जो मिले हैं. उसके कागजात उन्होंने आईटी टीम को उपलब्ध कराया है.

उन्होंने कहा, 'छापेमारी के दौरान यह खबरें भी आती रहीं कि गैलेंट समूह में राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के पैसे लगे हैं, तो मैं साफ कर देना चाहता हूं कि, उनके द्वारा खड़ी की गई इस संस्था में न तो पहले किसी राजनेता और अधिकारी का पैसा लगा था और न ही आज की तारीख में. 1984 से उद्योग की स्थापना करने के बाद संघर्षों के बल पर होने वाली कमाई से मौजूदा दौर में गुणवत्ता और विशिष्ट पहचान का उनका उद्योग खड़ा है, जो हजारों परिवारों को रोजगार देता है. लेकिन, जिस तरह से बड़े स्तर की छापेमारी उनके संस्थानों पर हुई है वह ठीक नहीं.'

उन्होंने आग कहा, 'सैकड़ों करोड़ टैक्स देने का शायद यही नतीजा है. आईटी विभाग के अधिकारी अनुमान लगाता है कि यहां पर शायद टैक्स की चोरी मिलेगी. फिलहाल इनकम टैक्स की टीम खाली हाथ ही लौटी है. उनके यहां कोई कर चोरी नहीं की गई है. बल्कि सरकारी राजस्व के भुगतान में 350 गुना की उन्होने बढ़ोतरी की है. उनके यहां आईटी की छापेमारी में जो कुछ भी बरामद हुआ, उन संपत्तियों के वैध कागजात उन्हें तत्काल उपलब्ध कराये गये हैं.'

गैलेंट इंडस्ट्रीज की नींव रखने को लेकर अग्रवाल ने कहा कि 1 लाख रुपये से उन्होंने उद्योग के कारोबार में कदम रखा था. यह 40 वर्षों बाद बढ़कर दो हजार करोड़ से अधिक निवेश के साथ उत्तर प्रदेश, गुजरात में चल रहा है. आयकर के मद में 2006 में एक करोड़ के और 2023 में 43 करोड़ दिया गया. 700 करोड़ जीएसटी जमा कराई गयी है. फिर भी ऐसी छापेमारी संस्थान के छवि को धूमिल करती है.

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