गोरखपुरः माह-ए रमजान का एक-एक पल, हर लम्हा बरकतों से भरा होता है. अल्लाह ताला इस पवित्र महीने रमजान के सदके में जहन्नुम का दरवाजा बन्द और रहमतों का खजाना खोल देता है. पवित्र रमजान का आखिरी 'अशरा' अकीदतमंदों को नर्क से आजादी दिलाने वाला है. फिलहाल ईद करीब है, लेकिन लॉकडाउन के कारण तैयारियां फीकी पड़ी हैं.
पवित्र रमजान का 21वां रोजा रखने के साथ बन्दों ने तीसरे जुमे की नमाज को घरों में पढ़ी और परवरदिगार को राजी करने में जुटे रहे. अरबी पंचांग के मुताबिक माह-ए रमजान साल का नौवां महीना सबसे अफजल (पवित्र) माना जाता है. रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है. हर हिस्से में दस- दस दिन आते हैं. हर दस दिन के हिस्से को 'अशरा' कहते हैं. अल्लाह ताला ने हर अशरे में अलग-अलग नेमतें बख्शी हैं.
जहन्नुम से आजादी के लिए अल्लाह के सामने गुनाहों से तौबा करें.
पिपराइच क्षेत्र के परसोना स्थित मदरसा मकतब के प्रधानाचार्य मौलाना फहीम बस्तवी ने बताया कि माह-ए रमजान का आखिरी अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है. गुनहगार बन्दों को अपने ऊपर गुनाहों का बोझ समझते हुए जहन्नुम से आजादी के लिए अल्लाह के सामने गुनाहों से तौबा करें. उसके रहमों करम से गुनहगारों को गुनाहों से छुटकारा मिलेगा और जहन्नुम से आजादी.
मौलाना फहीम बस्तवी ने ईटीवी भारत के माध्यम से समुदाय के लोगों से अपील की है कि अल्लाह रब्बुल इज्जत के बारगाह में अधिक से अधिक गिरियाजारी (गिडगिड़ा) कर दुआ करें. ताकि हमारे मुल्क, हमारी कौम के लोग कोरोना जैसी भयावह बिमारी से जल्द से जल्द महफूज हो जाएं.