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शकरकंदी से बने 17 तरह के व्यंजन देख मुंह में भर आया पानी - गोरखपुर में शकरकंदी उत्सव

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में शकरकंदी उत्सव का आयोजन किया गया. इसमें न केवल शकरकंदी से विभिन्न तरीके के व्यंजन बनाकर प्रस्तुत किए गए बल्कि शकरकंदी के लाभ भी बताए गए.

गोरखपुर
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Published : Apr 14, 2021, 6:20 PM IST

गोरखपुरः शकरकंदी से बने एक से बढ़कर एक बेहतरीन व्यंजन देखकर न केवल लोगों का मन ललचाने लगा, बल्कि जब इसके फायदे बताये गये तो तमाम लोगों के मुंह से निकला कि अरे, ये तो मुझे पता ही नहीं था. बात हो रही है गोरखपुर में आयोजित शकरकंदी उत्सव और कार्यशाला की. बुधवार को जटाशंकर स्थित दुर्गा मंदिर के सभागार में इस उत्सव का आयोजन किया गया.

शकरकंदी उत्सव का आयोजन

वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत चुनी गई थी शकरकंदी
सुनहरी शकरकंद जिसे आम बोलचाल की भाषा में गंजी भी कहते हैं, अब यह लजीज और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन का भी आधार बन रहा है. इसका अधिकांश प्रयोग लोग व्रत में करते हैं. यह फलाहार के रूप में इसे गिना जाता है. वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत गोरखपुर के लिए शकरकंदी को चुना गया है. इसके उत्पादन और प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को प्रेरित करने में विकास और उद्यान विभाग लगा है. इसी के साथ व्यंजन बनाने में माहिर ममता सिंह ने भी इसका प्रजेंटेशन शहर के महिलाओं के बीच दिया.

उत्सव में बताया शकरकंदी का महत्व
शहर के जटाशंकर स्थित दुर्गा मंदिर के सभागार में बुधवार को यूपी-53 नाम से सुनहरी शकरकंद उत्सव और कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की आयोजक ममता सिंह ने शकरकंदी के 17 व्यंजनों को बनाकर वहां उपस्थित सभी लोगों को खिलाया. इस आयोजन में क्षेत्र की महिला समूह का भी सहयोग रहा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद नीलम तिवारी, प्रधानाचार्य, लेखपाल प्रशिक्षण विद्यालय और विशिष्ट अतिथि के रूप में सुनीता पटेल, उप जिला स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने इस प्रदर्शन को देखा और सराहा भी. इस दौरान आयोजक ममता सिंह ने कहा कि यह 'महिला आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम एक अवसर' भी है. महिलाएं चाहे वह घर के अंदर हों या फिर घर के बाहर, वह आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ सरकार की तमाम योजनाओं में भी साथ निभा रहीं हैं. उन्होंने कहा कि शकरकंदी सिर्फ व्रत और त्योहार में खाने की चीज नहीं बल्कि इसके तमाम व्यंजनों से अपने परिवार को भी स्वस्थ रखने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. महिलाओं को आगे आकर इसका प्रशिक्षण लेना चाहिए. इससे वह इसके बने प्रोडक्ट का व्यापार कर सकें और अपना पालन-पोषण भी कर सकें. शकरकंदी से किसानों को भी फायदा हो रहा है. शकरकंदी में सभी तरह के पौष्टिक गुण होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं. कार्यशाला में शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग से जुड़ी महिलाएं शामिल हुईं.

इसे भी पढ़ेंः कोविड जांच के लिए यूपी में 12 नई प्रयोगशालाएं होंगी शुरू


बनाये ये व्यंजन
व्यंजनों में शकरकंदी से बने दही बड़े, पकोड़ा, जेम, रोल, प्रोटीन पाउडर, मिल्क शेक, कस्टर्ड, कस्टर्ड मिल्क शेक, खट्टी-मीठी चटनी, पुआ आदि प्रमुख रहीं. ममता सिंह ने कहा कि उन्हें इसकी सीख अपनी दादी से मिली थी. ममता ने कहा कि इससे वह पाउडर भी तैयार कर लेती हैं, जो छोटे बच्चों को दूध में मिलाकर देने पर हेल्दी फूड्स का काम करता है. इस आयोजन में अमृता राव, रीता श्रीवास्तव, मीरा तिवारी, निगार खान, करिश्मा सिंह, रूप रानी, विनीता गुप्ता, शशि सिंह, डॉ रेखारानी, वंदना, सीमा, स्मृति, स्वीटी गुप्ता, अक्षिता, परी सहित तमाम महिलाएं उपस्थित रहीं.

गोरखपुरः शकरकंदी से बने एक से बढ़कर एक बेहतरीन व्यंजन देखकर न केवल लोगों का मन ललचाने लगा, बल्कि जब इसके फायदे बताये गये तो तमाम लोगों के मुंह से निकला कि अरे, ये तो मुझे पता ही नहीं था. बात हो रही है गोरखपुर में आयोजित शकरकंदी उत्सव और कार्यशाला की. बुधवार को जटाशंकर स्थित दुर्गा मंदिर के सभागार में इस उत्सव का आयोजन किया गया.

शकरकंदी उत्सव का आयोजन

वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत चुनी गई थी शकरकंदी
सुनहरी शकरकंद जिसे आम बोलचाल की भाषा में गंजी भी कहते हैं, अब यह लजीज और स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन का भी आधार बन रहा है. इसका अधिकांश प्रयोग लोग व्रत में करते हैं. यह फलाहार के रूप में इसे गिना जाता है. वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तहत गोरखपुर के लिए शकरकंदी को चुना गया है. इसके उत्पादन और प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को प्रेरित करने में विकास और उद्यान विभाग लगा है. इसी के साथ व्यंजन बनाने में माहिर ममता सिंह ने भी इसका प्रजेंटेशन शहर के महिलाओं के बीच दिया.

उत्सव में बताया शकरकंदी का महत्व
शहर के जटाशंकर स्थित दुर्गा मंदिर के सभागार में बुधवार को यूपी-53 नाम से सुनहरी शकरकंद उत्सव और कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की आयोजक ममता सिंह ने शकरकंदी के 17 व्यंजनों को बनाकर वहां उपस्थित सभी लोगों को खिलाया. इस आयोजन में क्षेत्र की महिला समूह का भी सहयोग रहा. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद नीलम तिवारी, प्रधानाचार्य, लेखपाल प्रशिक्षण विद्यालय और विशिष्ट अतिथि के रूप में सुनीता पटेल, उप जिला स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सूचना अधिकारी ने इस प्रदर्शन को देखा और सराहा भी. इस दौरान आयोजक ममता सिंह ने कहा कि यह 'महिला आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम एक अवसर' भी है. महिलाएं चाहे वह घर के अंदर हों या फिर घर के बाहर, वह आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ सरकार की तमाम योजनाओं में भी साथ निभा रहीं हैं. उन्होंने कहा कि शकरकंदी सिर्फ व्रत और त्योहार में खाने की चीज नहीं बल्कि इसके तमाम व्यंजनों से अपने परिवार को भी स्वस्थ रखने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. महिलाओं को आगे आकर इसका प्रशिक्षण लेना चाहिए. इससे वह इसके बने प्रोडक्ट का व्यापार कर सकें और अपना पालन-पोषण भी कर सकें. शकरकंदी से किसानों को भी फायदा हो रहा है. शकरकंदी में सभी तरह के पौष्टिक गुण होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं. कार्यशाला में शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस विभाग से जुड़ी महिलाएं शामिल हुईं.

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बनाये ये व्यंजन
व्यंजनों में शकरकंदी से बने दही बड़े, पकोड़ा, जेम, रोल, प्रोटीन पाउडर, मिल्क शेक, कस्टर्ड, कस्टर्ड मिल्क शेक, खट्टी-मीठी चटनी, पुआ आदि प्रमुख रहीं. ममता सिंह ने कहा कि उन्हें इसकी सीख अपनी दादी से मिली थी. ममता ने कहा कि इससे वह पाउडर भी तैयार कर लेती हैं, जो छोटे बच्चों को दूध में मिलाकर देने पर हेल्दी फूड्स का काम करता है. इस आयोजन में अमृता राव, रीता श्रीवास्तव, मीरा तिवारी, निगार खान, करिश्मा सिंह, रूप रानी, विनीता गुप्ता, शशि सिंह, डॉ रेखारानी, वंदना, सीमा, स्मृति, स्वीटी गुप्ता, अक्षिता, परी सहित तमाम महिलाएं उपस्थित रहीं.

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