गोरखपुरः भारतीय इंजीनियरिंग सर्विस (IES) में सफलता का झंडा फहराने वाले प्रशांत कुमार पासवान ने पूरे जिले का मान बढ़ाया है. साथ ही उसने अपने सैनिक पिता के सपनों को भी साकार किया है. प्रशांत के पिता राम भूषण का कहना है कि इस 'राम' के घर दीवाली का दिया तो प्रशांत की सफलता से जल उठा है.
गांव की पृष्ठभूमि से निकलकर देश की इतनी बड़ी परीक्षा में सफलता पाकर उसने पूरे इलाके का मान बढ़ाया है. ईटीवी भारत ने चयनित अभ्यर्थी से खास बातचीत की.
सफलता का गाड़ा झंडा
प्रशांत ने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में तीन साल पहले बीटेक की डिग्री हासिल की, जिसके बाद वह भारतीय इंजीनियरिंग सेवा में जाने के लिए लगातार प्रयत्नशील थे. आखिरकार उन्होंने तीसरे प्रयास में यह सफलता हासिल कर ही ली. वह अपनी सफलता पर बेहद खुश हैं. इसके लिए उसने अपने माता- पिता के साथ अपने गुरु और प्रिय मित्रों को श्रेय दिया.
दो बार की असफलता के बाद वह तीसरे प्रयास में सफलता हासिल करने के लिए दिल्ली की ओर रुख किया और अपने अंदर की कमियों को दूर करते हुए सफलता का ऐसा झंडा गाड़ा की उसके समाज, गांव में शोर मच गया.
'जो मेहनत करता है वहीं सफल होता है'
प्रशांत के पिता राम भूषण का कहना है कि कठिन परिश्रम करने वाले को सफलता हर हाल में मिलती है, इसलिए मेहनत से नहीं भागना चाहिए. साथ ही उनका कहना है कि वह दलित समाज है, जहां शिक्षा अभी भी बहुत कम है, लेकिन 'जो मेहनत करता है वहीं सफल होता है', चाहे वह किसी भी समाज का हो.
लक्ष्य के प्रति पूरे मनोयोग से जुटे
इस दौरान प्रशांत ने कहा कि सिविल इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की सबसे पुरानी विधा है. विकसित होते भारत में इसका काफी स्कोप है, इसलिए इसके विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य के प्रति पूरे मनोयोग से जुट जाना चाहिए.
इसे भी पढ़ें- मथुरा: मानवेंद्र ने PCS-2017 में हासिल की 16वीं रैंक, गांव में जोरदार हुआ स्वागत