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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट ने छीना रोजगार

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने का कार्य उत्तर प्रदेश परिवहन कार्यालय ने कोलकाता की कंपनी कालटिक्स को सौंपा है. अब गाड़ियों पर लगने वाली नंबर प्लेट हाई सिक्योरिटी युक्त होगी. गोरखपुर में नव्या नाम की कंपनी डीलरों के माध्यम से मिलने वाली नंबर प्लेट को बनाने का काम कर रही है. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट-

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट.
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट.
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Published : Dec 12, 2020, 10:34 PM IST

गोरखपुर: गाड़ियों पर लगने वाली नंबर प्लेट हाई सिक्योरिटी युक्त होगी. यह सरकार का फैसला है, लेकिन इस फैसले ने हजारों लोगों को बेरोजर कर दिया है. शायद यह जानकारी आपको न हो. ईटीवी भारत ने इस मामले की पड़ताल की, जिसमें चौकाने वाली बात सामने आई हैं.

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट.

जानिए पूरा मामला

दरअसल हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नई गाड़ियों में गाड़ी एजेंसी की तरफ से बनवाकर मिल रही है. वहीं, पुरानी गाड़ियों में इसे लगवाने के लिए गाड़ी मालिक को किसी भी एजेंसी में इसका आवेदन करना है, या फिर bookmyhsrp और makemyhsrp पोर्टल पर जाकर आवेदन करना है. इसके लिए वाहन स्वामी को मूल्य भी चुकाना होगा. दरअसल, यह मूल्य सरकार ने नहीं, बल्कि एजेंसियों ने तय कर रखा है. यहीं वजह है जिससे हजारों लोग पूरे प्रदेश में बेरोजगार हो रहे हैं और उनकी आवाज सुनने वाला भी कोई नहीं है.

नंबर प्लेट
नंबर प्लेट

सरकार भी नहीं सुन रही गुहार

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने का कार्य उत्तर प्रदेश परिवहन कार्यालय ने कोलकाता की कंपनी कालटिक्स को सौंपा है. इस फर्म ने पूरे प्रदेश में नंबर प्लेट बनाए जाने के लिए अपने अधीन 3 फर्मों को काम बांट दिया है. इसके तहत एरिया भी निर्धारित कर दिया गया है. गोरखपुर में नव्या नाम की कंपनी डीलरों के माध्यम से मिलने वाले नंबर प्लेट को बनाने का काम कर रही है. जबकि पहले की व्यवस्था में कोई भी ग्राहक एजेंसी से गाड़ी खरीदता था और वह अपने मन मुताबिक नंबर लगाने आरटीओ कार्यालय पहुंचता था.

परिवहन कार्यालय
परिवहन कार्यालय

पेंटरों का छिना रोजगार

आरटीओ कार्यालय के बाहर सड़क किनारे दिहाड़ी मजदूर के जैसे जिंदगी जीने वाले पेंटर, नंबर प्लेट बनाने का काम करते थे. स्टीकर से लेकर पेंट-ब्रश के सहारे अन्य प्रकार की भी नंबर प्लेट लगाने में यह माहिर हैं. इससे ग्राहक का भी काम सस्ते में हो जाता था और इन पेंटरों को भी रोजगार मिलता था. अब सरकार के एक फरमान ने इनकी रोजी-रोटी पर संकट ला दिया है. यही वजह है कि यह बेहद दुखी हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

नंबर प्लेट बनाने का कार्य करने वाले कर्मचारी.
नंबर प्लेट बनाने का कार्य करने वाले कर्मचारी.



पुरानी गाड़ियों पर भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनुबंधित

गोरखपुर में अब तक कुल 9 लाख 87 हजार गाड़ियां रोड पर चल रही हैं. इनमें 9 लाख 48 हजार पुरानी गाड़ियां हैं. शेष गाड़ियां लॉकडाउन के बाद बिक्री हुई हैं. ऐसी सभी गाड़ियां हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के साथ सड़कों पर हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि नई गाड़ियों के साथ पुरानी गाड़ियों पर भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनुबंधित की गई. एजेंसियों के माध्यम से करीब 378 रुपये से लेकर 540 रुपये में ग्राहकों को नंबर प्लेट उपलब्ध कराई जाएगी, तो इन पेंटरों के हाथ से उनका हुनर, रोजगार और उनकी उम्मीद सब टूट जाएगी. ऐसे कर्मचारी हर दिन आरटीओ कार्यालय के गेट पर इसी उम्मीद के साथ डटे हुए हैं कि कोई तो आएगा, जो उनके लिए 2 जून की रोटी का सहारा बनेगा.

1 दिसम्बर 2020 से यह नंबर प्लेट सभी गाड़ियों पर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. 1 अप्रैल 2019 से जो गाड़ियां नई निकल रही हैं, उनपर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगकर आ रही है.

-श्याम लाल, एआरटीओ प्रशासन

गोरखपुर: गाड़ियों पर लगने वाली नंबर प्लेट हाई सिक्योरिटी युक्त होगी. यह सरकार का फैसला है, लेकिन इस फैसले ने हजारों लोगों को बेरोजर कर दिया है. शायद यह जानकारी आपको न हो. ईटीवी भारत ने इस मामले की पड़ताल की, जिसमें चौकाने वाली बात सामने आई हैं.

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट.

जानिए पूरा मामला

दरअसल हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नई गाड़ियों में गाड़ी एजेंसी की तरफ से बनवाकर मिल रही है. वहीं, पुरानी गाड़ियों में इसे लगवाने के लिए गाड़ी मालिक को किसी भी एजेंसी में इसका आवेदन करना है, या फिर bookmyhsrp और makemyhsrp पोर्टल पर जाकर आवेदन करना है. इसके लिए वाहन स्वामी को मूल्य भी चुकाना होगा. दरअसल, यह मूल्य सरकार ने नहीं, बल्कि एजेंसियों ने तय कर रखा है. यहीं वजह है जिससे हजारों लोग पूरे प्रदेश में बेरोजगार हो रहे हैं और उनकी आवाज सुनने वाला भी कोई नहीं है.

नंबर प्लेट
नंबर प्लेट

सरकार भी नहीं सुन रही गुहार

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने का कार्य उत्तर प्रदेश परिवहन कार्यालय ने कोलकाता की कंपनी कालटिक्स को सौंपा है. इस फर्म ने पूरे प्रदेश में नंबर प्लेट बनाए जाने के लिए अपने अधीन 3 फर्मों को काम बांट दिया है. इसके तहत एरिया भी निर्धारित कर दिया गया है. गोरखपुर में नव्या नाम की कंपनी डीलरों के माध्यम से मिलने वाले नंबर प्लेट को बनाने का काम कर रही है. जबकि पहले की व्यवस्था में कोई भी ग्राहक एजेंसी से गाड़ी खरीदता था और वह अपने मन मुताबिक नंबर लगाने आरटीओ कार्यालय पहुंचता था.

परिवहन कार्यालय
परिवहन कार्यालय

पेंटरों का छिना रोजगार

आरटीओ कार्यालय के बाहर सड़क किनारे दिहाड़ी मजदूर के जैसे जिंदगी जीने वाले पेंटर, नंबर प्लेट बनाने का काम करते थे. स्टीकर से लेकर पेंट-ब्रश के सहारे अन्य प्रकार की भी नंबर प्लेट लगाने में यह माहिर हैं. इससे ग्राहक का भी काम सस्ते में हो जाता था और इन पेंटरों को भी रोजगार मिलता था. अब सरकार के एक फरमान ने इनकी रोजी-रोटी पर संकट ला दिया है. यही वजह है कि यह बेहद दुखी हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

नंबर प्लेट बनाने का कार्य करने वाले कर्मचारी.
नंबर प्लेट बनाने का कार्य करने वाले कर्मचारी.



पुरानी गाड़ियों पर भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनुबंधित

गोरखपुर में अब तक कुल 9 लाख 87 हजार गाड़ियां रोड पर चल रही हैं. इनमें 9 लाख 48 हजार पुरानी गाड़ियां हैं. शेष गाड़ियां लॉकडाउन के बाद बिक्री हुई हैं. ऐसी सभी गाड़ियां हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के साथ सड़कों पर हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि नई गाड़ियों के साथ पुरानी गाड़ियों पर भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट अनुबंधित की गई. एजेंसियों के माध्यम से करीब 378 रुपये से लेकर 540 रुपये में ग्राहकों को नंबर प्लेट उपलब्ध कराई जाएगी, तो इन पेंटरों के हाथ से उनका हुनर, रोजगार और उनकी उम्मीद सब टूट जाएगी. ऐसे कर्मचारी हर दिन आरटीओ कार्यालय के गेट पर इसी उम्मीद के साथ डटे हुए हैं कि कोई तो आएगा, जो उनके लिए 2 जून की रोटी का सहारा बनेगा.

1 दिसम्बर 2020 से यह नंबर प्लेट सभी गाड़ियों पर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. 1 अप्रैल 2019 से जो गाड़ियां नई निकल रही हैं, उनपर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगकर आ रही है.

-श्याम लाल, एआरटीओ प्रशासन

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