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Gorakhpur news : न्यायालय का निर्णय हत्यारोपियों में बढ़ा रहा खौफ, कई अपराधियाें काे मिल चुकी सजा

गोरखपुर में हत्याराेपियाें और बदमाशाें काे काेर्ट की ओर से कम दिन में ही सजा दे दी जा रही है. इससे पीड़िताें काे जहां जल्द न्याय मिल जा रहा है, वहीं अपराधियाें के हौसले भी पस्त हाेते जा रहे हैं.

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Published : Feb 21, 2023, 3:34 PM IST

न्यायालय के निर्णय से हत्यारोपियों के हौसले पस्त हाे रहे हैं.
न्यायालय के निर्णय से हत्यारोपियों के हौसले पस्त हाे रहे हैं.
न्यायालय के निर्णय से हत्यारोपियों के हौसले पस्त हाे रहे हैं.

गोरखपुर : हत्या और हत्या के प्रयास, अपहरण, दुष्कर्म जैसे मामलों में सिविल कोर्ट के अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश प्रवीण कुमार सिंह की अदालत से अपराधियाें काे ताबड़ताेड़ सजा दी जा रही है. इससे अपराधियों की नींद हराम हो गई है. पिछले 15 दिनों में इस कोर्ट से हत्या के कई दाेषियाें काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. एक- एक दिन में छह-छह अपराधियाें काे सजा सुनाई जा चुकी है.

इससे वादकारियों को न्याय मिल रहा है. लोगों का न्यायालय पर भरोसा भी तेजी के साथ बढ़ रहा है. वादकारियाें की उम्मीद पर राज्य सरकार की ऑपरेशन शिकंजा योजना ने परवान चढ़ा दिया. ताजा मामला 17 फरवरी 2023 का है. एडीजीसी शरदेंदु प्रताप नारायण सिंह के विशेष प्रयास और कोर्ट में बहस के बाद, हत्या के छह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इन सभी को 70-70 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. एडीजीसी ने बताया कि 8 अगस्त सन 2014 को इस मामले से जुड़े आरोपियों ने कैंट थाना क्षेत्र निवासी राजू दुबे की जमीन विवाद में हत्या कर दी थी. इस मामले को लेकर मृतक के भाई शिवप्रताप यादव और साधु यादव लगातार मुकदमे में पैरवी करते रहे. हालांकि इस बीच आरोपियों ने कई बार धमकी भी दी. बीच-बीच में कैंट थाने में कई मुकदमे दर्ज हुए.

साधु यादव को पुलिस की सुरक्षा भी प्रशासन को देनी पड़ी, लेकिन भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए इन्होंने भी ठान रखा था. कोर्ट में एडीजीसी की मजबूत पैरवी ने, ऐसे अपराधियों को न सिर्फ जेल के सलाखों के पीछे भेजा, बल्कि आजीवन कारावास की सजा का दाेषी भी बना दिया. ऐसे विभिन्न मामलों के तमाम आरोपियों को सजा हो रही है. साधू यादव कहते हैं कि अगर लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो वहां भी वह उन्हें सजा दिलाने के लिए पूरी मजबूती से लड़ेंगे. एडीजीसी शरदेंदु प्रताप सिंह की माने तो 31 मार्च तक अभी करीब 30 फाइलों को न्यायालय में प्रस्तुत करना है. जिसके आधार पर तमाम अन्य आरोपियों को ऐसी सजा होने की पूरी उम्मीद है.

ऐसे और मामलों की बात करें तो 1 फरवरी को खोराबार थाना में पंजीकृत नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने वीरेंद्र को 7 वर्ष की कठोर कारावास और ₹80 हजार का अर्थदंड लगाया था. इसी दिन वर्ष 2004 में थाना कैंपियरगंज में अपहरण और हत्या के मामले में दोषसिद्ध होने पर तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इनके ऊपर 18-18 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. इसी प्रकार 2 फरवरी को वर्ष 1999 में तिवारीपुर थाना क्षेत्र में पंजीकृत डकैती और हत्या के प्रयास के मामले में चार लोगों को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. उनके ऊपर भी अर्थदंड लगाया गया.

इसी प्रकार 3 फरवरी को ऑपरेशन शिकंजा अभियान के तहत वर्ष 2015 में सहजनवा थाना क्षेत्र में नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के पंजीकृत मामले में, अभियुक्त संतोष काे कारावास की सजा सुनाई गई. ₹25 हजार का अर्थदंड भी लगा. 8 फरवरी को वर्ष 2001 में थाना बेलघाट में पंजीकृत हत्या के मामले में दोषी सिद्ध होने पर चार दाेषियाें काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और इनके ऊपर 25-25 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. 9 फरवरी को थाना सिकरीगंज में पंजीकृत अपहरण के मामले में अभियोग सिद्ध होने पर अभियुक्त को कारावास की सजा व ₹5000 का अर्थदंड भी लगाया गया.

9 फरवरी को ही वर्ष 2002 में थाना बड़हलगंज में पंजीकृत हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने महिला अभियुक्त दुर्गावती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. ₹30 हजार का उस पर अर्थदंड भी लगाया. इसी प्रकार 14 फरवरी को वर्ष 2014 में थाना झंगहा में पंजीकृत नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने अभियुक्त को कठोर आजीवन कारावास और ₹30 हजार का अर्थदंड लगाया. ऐसे कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा हो रही है. जिससे अपराधियों में खौफ बढ़ रहा है. 14 फरवरी को ही वर्ष 2016 में गोला थाना में पंजीकृत अपहरण और दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को कारावास की सजा और ₹40 हजार का अर्थदंड लगाया.

यह भी पढ़ें : युवक को दौड़ा दौड़ाकर लोहे की रॉड और डंडे से पीटने का वीडियो वायरल

न्यायालय के निर्णय से हत्यारोपियों के हौसले पस्त हाे रहे हैं.

गोरखपुर : हत्या और हत्या के प्रयास, अपहरण, दुष्कर्म जैसे मामलों में सिविल कोर्ट के अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश प्रवीण कुमार सिंह की अदालत से अपराधियाें काे ताबड़ताेड़ सजा दी जा रही है. इससे अपराधियों की नींद हराम हो गई है. पिछले 15 दिनों में इस कोर्ट से हत्या के कई दाेषियाें काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. एक- एक दिन में छह-छह अपराधियाें काे सजा सुनाई जा चुकी है.

इससे वादकारियों को न्याय मिल रहा है. लोगों का न्यायालय पर भरोसा भी तेजी के साथ बढ़ रहा है. वादकारियाें की उम्मीद पर राज्य सरकार की ऑपरेशन शिकंजा योजना ने परवान चढ़ा दिया. ताजा मामला 17 फरवरी 2023 का है. एडीजीसी शरदेंदु प्रताप नारायण सिंह के विशेष प्रयास और कोर्ट में बहस के बाद, हत्या के छह आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इन सभी को 70-70 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. एडीजीसी ने बताया कि 8 अगस्त सन 2014 को इस मामले से जुड़े आरोपियों ने कैंट थाना क्षेत्र निवासी राजू दुबे की जमीन विवाद में हत्या कर दी थी. इस मामले को लेकर मृतक के भाई शिवप्रताप यादव और साधु यादव लगातार मुकदमे में पैरवी करते रहे. हालांकि इस बीच आरोपियों ने कई बार धमकी भी दी. बीच-बीच में कैंट थाने में कई मुकदमे दर्ज हुए.

साधु यादव को पुलिस की सुरक्षा भी प्रशासन को देनी पड़ी, लेकिन भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए इन्होंने भी ठान रखा था. कोर्ट में एडीजीसी की मजबूत पैरवी ने, ऐसे अपराधियों को न सिर्फ जेल के सलाखों के पीछे भेजा, बल्कि आजीवन कारावास की सजा का दाेषी भी बना दिया. ऐसे विभिन्न मामलों के तमाम आरोपियों को सजा हो रही है. साधू यादव कहते हैं कि अगर लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो वहां भी वह उन्हें सजा दिलाने के लिए पूरी मजबूती से लड़ेंगे. एडीजीसी शरदेंदु प्रताप सिंह की माने तो 31 मार्च तक अभी करीब 30 फाइलों को न्यायालय में प्रस्तुत करना है. जिसके आधार पर तमाम अन्य आरोपियों को ऐसी सजा होने की पूरी उम्मीद है.

ऐसे और मामलों की बात करें तो 1 फरवरी को खोराबार थाना में पंजीकृत नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने वीरेंद्र को 7 वर्ष की कठोर कारावास और ₹80 हजार का अर्थदंड लगाया था. इसी दिन वर्ष 2004 में थाना कैंपियरगंज में अपहरण और हत्या के मामले में दोषसिद्ध होने पर तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इनके ऊपर 18-18 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. इसी प्रकार 2 फरवरी को वर्ष 1999 में तिवारीपुर थाना क्षेत्र में पंजीकृत डकैती और हत्या के प्रयास के मामले में चार लोगों को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई. उनके ऊपर भी अर्थदंड लगाया गया.

इसी प्रकार 3 फरवरी को ऑपरेशन शिकंजा अभियान के तहत वर्ष 2015 में सहजनवा थाना क्षेत्र में नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के पंजीकृत मामले में, अभियुक्त संतोष काे कारावास की सजा सुनाई गई. ₹25 हजार का अर्थदंड भी लगा. 8 फरवरी को वर्ष 2001 में थाना बेलघाट में पंजीकृत हत्या के मामले में दोषी सिद्ध होने पर चार दाेषियाें काे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और इनके ऊपर 25-25 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया. 9 फरवरी को थाना सिकरीगंज में पंजीकृत अपहरण के मामले में अभियोग सिद्ध होने पर अभियुक्त को कारावास की सजा व ₹5000 का अर्थदंड भी लगाया गया.

9 फरवरी को ही वर्ष 2002 में थाना बड़हलगंज में पंजीकृत हत्या के मामले में दोष सिद्ध होने पर न्यायालय ने महिला अभियुक्त दुर्गावती को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. ₹30 हजार का उस पर अर्थदंड भी लगाया. इसी प्रकार 14 फरवरी को वर्ष 2014 में थाना झंगहा में पंजीकृत नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने अभियुक्त को कठोर आजीवन कारावास और ₹30 हजार का अर्थदंड लगाया. ऐसे कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ आजीवन कारावास की सजा हो रही है. जिससे अपराधियों में खौफ बढ़ रहा है. 14 फरवरी को ही वर्ष 2016 में गोला थाना में पंजीकृत अपहरण और दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त को कारावास की सजा और ₹40 हजार का अर्थदंड लगाया.

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