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जल निकासी को लेकर नगर निगम और लोक निर्माण विभाग में ठनी, जलभराव हुआ तो किसके खिलाफ होगी कार्रवाई?

गोरखपुर में इस बार कॉलोनियों में जलभराव हो होगा तो लोक निर्माण विभाग पर जुर्माने के साथ कार्रवाई भी होगी. नगर आयुक्त ने लोक निर्मण विभाग को 31 मई तक का समय दिया है.

नगर निगम और लोक निर्माण विभाग में ठनी
नगर निगम और लोक निर्माण विभाग में ठनी
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Published : Apr 10, 2023, 3:01 PM IST

नगर निगम और लोक निर्माण विभाग में ठनी

गोरखपुर: शहर को जलभराव से मुक्ति देने के मामले में नगर निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग आमने-सामने आ गए हैं. इसके अलावा कुछ और कार्यदायी संस्थाएं भी सवालों के घेरे में हैं. शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा काफी गहराई के नाले बनाए गए हैं. इन नालों के बनने के बाद भी पिछले वर्ष तमाम मोहल्ले जलभराव की समस्या से जूझते रहे हैं. यही वजह है कि इस बार बरसात से पहले नगर निगम ने लोक निर्माण विभाग को साफ तौर पर कह दिया है कि अपने नालों के तल को मोहल्लों से निकलने वाले पानी के लेबल से मिलाए. अगर मोहल्लों में पानी जमा होता है और लोक निर्माण विभाग के नाले जल निकासी में सफल नहीं होते हैं तो इसके लिए लोक निर्माण विभाग पर जुर्माने के साथ कार्रवाई भी नगर निगम करने के लिए बाध्य होगा. नगर आयुक्त ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को 31 मई 2023 तक का मौका दिया है.

ईटीवी भारत से बातचीत में नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा है कि शहर के अंदर कुल 13 बड़े नाले, 127 छोटे नाले, 117 मझोले नाले हैं. इनके अलावा 128 नालियां हैं, जो बरसात के दिनों में जल निकासी का माध्यम बनती हैं. जनता से भी जलभराव का फीडबैक ले रहे हैं. इसके साथ ही नालों के टेल से लेकर सोर्स तक की सफाई का अभियान चल रहा है. इसके बाद विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर जल निकासी को लेकर मंथन हो रहा है.

असुरन चौक से लेकर मेडिकल कॉलेज तक जो नाला लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया है, उसमें यह पाया गया है कि नाले के तल से लेकर कॉलोनी के जल निकासी लेवल में बड़ा अंतर है. इसकी वजह से कॉलोनियों का पानी नाले में नहीं गिरता और जलभराव होता है. यही वजह है कि करीब 5 किलोमीटर लंबे इस नाले के तल को लोक निर्माण विभाग को कॉलोनी के तल से मिलाने का सुझाव दिया गया है. इस पर तेजी के साथ अमल करने को भी कहा गया है. लापरवाही की दशा में अगर कॉलोनियां डूबती हैं तो निश्चित रूप से इसकी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को उठानी पड़ेगी. इस समस्या से शासन को भी अवगत कराया जा रहा है. इस पर PWD विभाग पर कार्रवाई भी हो सकती है.

मेडिकल कॉलेज रोड के पूरब और पश्चिम दर्जनों कॉलोनियों में लाखों लोग निवास करते हैं, जो पिछले वर्ष जलभराव का बड़ा संकट महीने भर तक झेले थे. यही वजह है कि इसमें सुधार का प्रयास अभी से शुरू हो गया है. लेकिन, यह कितना सफल होगा यह तो बरसात के दिनों में ही देखने को मिलेगा. क्षेत्र के स्थानीय पार्षद और विरोधी दल के नेताओं की भी मानें तो नाले के निर्माण के समय से ही उसके तकनीकी पहलुओं को लेकर शिकायत जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री स्तर तक हुई. लेकिन, लोक निर्माण विभाग अपने मन की करता रहा और अब भी सुधार नहीं कर रहा है. वहीं, नगर निगम पर भी सवाल उठाया गया कि इनके पास जल निकासी का कोई प्रॉपर डिजाइन नहीं है. इस कारण कार्यदायी संस्था और नगर निगम में तालमेल नहीं होने से जलभराव का यह संकट देखने को मिल रहा है.

यह भी पढ़ें: Varanasi News : सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पल रहीं गाय-भैंस हटाने का आदेश

नगर निगम और लोक निर्माण विभाग में ठनी

गोरखपुर: शहर को जलभराव से मुक्ति देने के मामले में नगर निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग आमने-सामने आ गए हैं. इसके अलावा कुछ और कार्यदायी संस्थाएं भी सवालों के घेरे में हैं. शहर के विभिन्न क्षेत्रों में लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा काफी गहराई के नाले बनाए गए हैं. इन नालों के बनने के बाद भी पिछले वर्ष तमाम मोहल्ले जलभराव की समस्या से जूझते रहे हैं. यही वजह है कि इस बार बरसात से पहले नगर निगम ने लोक निर्माण विभाग को साफ तौर पर कह दिया है कि अपने नालों के तल को मोहल्लों से निकलने वाले पानी के लेबल से मिलाए. अगर मोहल्लों में पानी जमा होता है और लोक निर्माण विभाग के नाले जल निकासी में सफल नहीं होते हैं तो इसके लिए लोक निर्माण विभाग पर जुर्माने के साथ कार्रवाई भी नगर निगम करने के लिए बाध्य होगा. नगर आयुक्त ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को 31 मई 2023 तक का मौका दिया है.

ईटीवी भारत से बातचीत में नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा है कि शहर के अंदर कुल 13 बड़े नाले, 127 छोटे नाले, 117 मझोले नाले हैं. इनके अलावा 128 नालियां हैं, जो बरसात के दिनों में जल निकासी का माध्यम बनती हैं. जनता से भी जलभराव का फीडबैक ले रहे हैं. इसके साथ ही नालों के टेल से लेकर सोर्स तक की सफाई का अभियान चल रहा है. इसके बाद विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर जल निकासी को लेकर मंथन हो रहा है.

असुरन चौक से लेकर मेडिकल कॉलेज तक जो नाला लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाया गया है, उसमें यह पाया गया है कि नाले के तल से लेकर कॉलोनी के जल निकासी लेवल में बड़ा अंतर है. इसकी वजह से कॉलोनियों का पानी नाले में नहीं गिरता और जलभराव होता है. यही वजह है कि करीब 5 किलोमीटर लंबे इस नाले के तल को लोक निर्माण विभाग को कॉलोनी के तल से मिलाने का सुझाव दिया गया है. इस पर तेजी के साथ अमल करने को भी कहा गया है. लापरवाही की दशा में अगर कॉलोनियां डूबती हैं तो निश्चित रूप से इसकी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को उठानी पड़ेगी. इस समस्या से शासन को भी अवगत कराया जा रहा है. इस पर PWD विभाग पर कार्रवाई भी हो सकती है.

मेडिकल कॉलेज रोड के पूरब और पश्चिम दर्जनों कॉलोनियों में लाखों लोग निवास करते हैं, जो पिछले वर्ष जलभराव का बड़ा संकट महीने भर तक झेले थे. यही वजह है कि इसमें सुधार का प्रयास अभी से शुरू हो गया है. लेकिन, यह कितना सफल होगा यह तो बरसात के दिनों में ही देखने को मिलेगा. क्षेत्र के स्थानीय पार्षद और विरोधी दल के नेताओं की भी मानें तो नाले के निर्माण के समय से ही उसके तकनीकी पहलुओं को लेकर शिकायत जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री स्तर तक हुई. लेकिन, लोक निर्माण विभाग अपने मन की करता रहा और अब भी सुधार नहीं कर रहा है. वहीं, नगर निगम पर भी सवाल उठाया गया कि इनके पास जल निकासी का कोई प्रॉपर डिजाइन नहीं है. इस कारण कार्यदायी संस्था और नगर निगम में तालमेल नहीं होने से जलभराव का यह संकट देखने को मिल रहा है.

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