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Dairies in Gorakhpur City: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं सुधरा गोरखपुर नगर निगम, धड़ल्ले से शहर में संचालित हो रहीं 800 डेरियां - गोरखपुर शहर को डेरियों से मुक्त

गोरखपुर शहर में डेरियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नगर निगम (Gorakhpur Municipal Corporation) कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिससे शहर की नालियों में बदबू और गंदगी की वजह से लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

नगर आयुक्त अविनाश सिंह
नगर आयुक्त अविनाश सिंह
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Published : Feb 7, 2023, 7:34 PM IST

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया.

गोरखपुर: शहर के लोग बीमारियों से दूर रह सकें. इसके लिए शहर में स्वच्छता और सफाई को लेकर कोर्ट सख्त है. इसलिए शहरी क्षेत्र में स्थापित डेरियों को सुप्रीम कोर्ट ने शहर से बाहर करने का निर्देश दे रखा है. इसके बावजूद गोरखपुर शहर क्षेत्र से डेरियां नहीं हटाई जा रही हैं. शहर में करीब 800 डेरियों की वजह से मोहल्लों में गंदगी बनी हुई है. इससे बदबू और गंदगी चारों तरफ फैल रही है. इसके बावजूद भी इन डेरियों पर नगर निगम प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिससे डेरियों का कारोबार शहर के अंदर बढ़ता ही जा रहा है.

शिकाय कर्ताओं का कहना है कि आखिर में उनकी शिकायत और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी डेरियां क्यों नहीं हटाई जा रही हैं. लोगों का कहना है कि या तो इसकी आड़ में काली कमाई की जा रही या नगर निगम की आंखों में काली पट्टी बंधी हुई है. ईटीवी भारत ने भी इस मसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साथ नगर आयुक्त अविनाश सिंह के समक्ष रखा. इसके बाद नगर आयुक्त ने कहा कि शहर में डेरियों का संचालन बंद होना चाहिए. इसके बाद वह कार्रवाई में भी जुट गए. उन्होंने शहर के करीब नगर क्षेत्र में डेरी संचालक रईस अहमद की मनमानी पर रोक लगाने के लिए न सिर्फ नोटिस जारी किया. बल्कि उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया.

नगर आयुक्त ने कहा कि डेरी समय से शहर क्षेत्र से कहीं बाहर स्थानांतरित की जाए, नहीं तो निगम प्रशासन अपने स्तर से कार्रवाई करेगा. नगर आयुक्त ने कहा कि ऐसा करके इस अभियान को तेज किया जाएगा. साथ ही गोरखपुर शहर को डेरियों से मुक्त कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि डेरियों की वजह से गंदगी, बदबू और नालियों के चोक होने की समस्या होती है. जो उन्होंने कार्रवाई के दौरान खुद देखा है. उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर की लंबाई में नाली गोबर की गंदगी से पूरी तरह से जाम पड़ी हुई थी. इस कारण से पानी का बहाव नहीं हो रहा था. वहीं, चारों तरफ बदबू फैल रही है.

गोरखपुर शहर में करीब 800 से ज्यादा डेयरी संचालित हो रही हैं. ज्यादातर डेरी सड़कों पर ही संचालित होती हैं. जिसकी नालियां यहां जाम रहती हैं. फिर भी नगर निगम के जिम्मेदारों अधिकारियों को ये सब दिखाई नहीं देता है. वहीं, पैडलेगंज पुलिस चौकी से मोहद्दीपुर सड़क पर खुलेआम डेरियां संचालित होती हैं. कई जनप्रतिनिधि भी इस कारोबार में धड़ल्ले से उतरे हुए हैं. लेकिन नगर निगम की टेढ़ी नजर नहीं होने से इनका कारोबार खूब फल-फूल रहा है. वहीं, गंदगी और जलभराव का खामियाजा शहर की जनता भोग रही है. कभी-कभी सड़कों पर छोड़ दिए जाने वाले डेयरी के जानवर लोगों के लिए जान का दुश्मन भी बन जाते हैं.

शहर निवासी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट बधाई का पात्र है. जिसने इस समस्या का संज्ञान लिया है. लेकिन नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, यह हैरानी की बात है. नगर निगम को इस कार्य में तेजी लाकर लोगों को समस्या से मुक्ति दिलानी चाहिए. शहर निवासी रवि सोनकर भी लोगों को अपने घरों में इस कारोबार को बंद करने की बात कहते हैं. उन्होंने कहा कि इससे सड़कों पर गंदगी नहीं फैलनी चाहिए.

यह भी पढ़ें-Maharajganj News: घर में लगी आग से 2 साल की मासूम बेटी के साथ जिंदा जली गर्भवती मां

नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया.

गोरखपुर: शहर के लोग बीमारियों से दूर रह सकें. इसके लिए शहर में स्वच्छता और सफाई को लेकर कोर्ट सख्त है. इसलिए शहरी क्षेत्र में स्थापित डेरियों को सुप्रीम कोर्ट ने शहर से बाहर करने का निर्देश दे रखा है. इसके बावजूद गोरखपुर शहर क्षेत्र से डेरियां नहीं हटाई जा रही हैं. शहर में करीब 800 डेरियों की वजह से मोहल्लों में गंदगी बनी हुई है. इससे बदबू और गंदगी चारों तरफ फैल रही है. इसके बावजूद भी इन डेरियों पर नगर निगम प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है. जिससे डेरियों का कारोबार शहर के अंदर बढ़ता ही जा रहा है.

शिकाय कर्ताओं का कहना है कि आखिर में उनकी शिकायत और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भी डेरियां क्यों नहीं हटाई जा रही हैं. लोगों का कहना है कि या तो इसकी आड़ में काली कमाई की जा रही या नगर निगम की आंखों में काली पट्टी बंधी हुई है. ईटीवी भारत ने भी इस मसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साथ नगर आयुक्त अविनाश सिंह के समक्ष रखा. इसके बाद नगर आयुक्त ने कहा कि शहर में डेरियों का संचालन बंद होना चाहिए. इसके बाद वह कार्रवाई में भी जुट गए. उन्होंने शहर के करीब नगर क्षेत्र में डेरी संचालक रईस अहमद की मनमानी पर रोक लगाने के लिए न सिर्फ नोटिस जारी किया. बल्कि उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोक दिया.

नगर आयुक्त ने कहा कि डेरी समय से शहर क्षेत्र से कहीं बाहर स्थानांतरित की जाए, नहीं तो निगम प्रशासन अपने स्तर से कार्रवाई करेगा. नगर आयुक्त ने कहा कि ऐसा करके इस अभियान को तेज किया जाएगा. साथ ही गोरखपुर शहर को डेरियों से मुक्त कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि डेरियों की वजह से गंदगी, बदबू और नालियों के चोक होने की समस्या होती है. जो उन्होंने कार्रवाई के दौरान खुद देखा है. उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ से 2 किलोमीटर की लंबाई में नाली गोबर की गंदगी से पूरी तरह से जाम पड़ी हुई थी. इस कारण से पानी का बहाव नहीं हो रहा था. वहीं, चारों तरफ बदबू फैल रही है.

गोरखपुर शहर में करीब 800 से ज्यादा डेयरी संचालित हो रही हैं. ज्यादातर डेरी सड़कों पर ही संचालित होती हैं. जिसकी नालियां यहां जाम रहती हैं. फिर भी नगर निगम के जिम्मेदारों अधिकारियों को ये सब दिखाई नहीं देता है. वहीं, पैडलेगंज पुलिस चौकी से मोहद्दीपुर सड़क पर खुलेआम डेरियां संचालित होती हैं. कई जनप्रतिनिधि भी इस कारोबार में धड़ल्ले से उतरे हुए हैं. लेकिन नगर निगम की टेढ़ी नजर नहीं होने से इनका कारोबार खूब फल-फूल रहा है. वहीं, गंदगी और जलभराव का खामियाजा शहर की जनता भोग रही है. कभी-कभी सड़कों पर छोड़ दिए जाने वाले डेयरी के जानवर लोगों के लिए जान का दुश्मन भी बन जाते हैं.

शहर निवासी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट बधाई का पात्र है. जिसने इस समस्या का संज्ञान लिया है. लेकिन नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, यह हैरानी की बात है. नगर निगम को इस कार्य में तेजी लाकर लोगों को समस्या से मुक्ति दिलानी चाहिए. शहर निवासी रवि सोनकर भी लोगों को अपने घरों में इस कारोबार को बंद करने की बात कहते हैं. उन्होंने कहा कि इससे सड़कों पर गंदगी नहीं फैलनी चाहिए.

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