गोरखपुर: गोरखपुर एम्स के निदेशक का पदभार ग्रहण करने ऋषिकेश से गोरखपुर पहुंची डॉ. सुरेखा किशोर ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत की. उन्होंने अपनी प्राथमिकता गिनाते हुए कहा कि स्वास्थ्य के इस उच्च केंद्र से ऐसे डॉक्टर तैयार करना है, जो मरीजों की सेवा के लिए गांव तक पहुंचे और वहां भी खुश रहें. गोरखपुर क्षेत्र इंसेफेलाइटिस और कई अन्य तरह की बीमारियों से जूझने वाला इलाका है. इसके साथ ही यहां महिला मृत्यु दर काफी ज्यादा है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से एम्स की गतिविधियां, इंफ्रास्ट्रक्चर के कार्य रुके पड़े हैं. जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा एम्स प्रबंधन इसे तेजी के साथ पूरा करने में जुट जाएगा.
गांव को गोद लेने की प्रक्रिया से भी जुड़ेगा एम्स
डॉ. सुरेखा किशोर ने कहा कि एम्स में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेस्ट फैकल्टी देना है. जनता की सेवा उनकी प्राथमिकता है. एम्स प्रबंधन स्थानीय लीडर, आंगनवाड़ी, आशा कार्यकत्री के अलावा पंचायत के प्रधान और शिक्षकों को जोड़ने का अभियान शुरू करेगा. इसके पीछे का उद्देश्य यह है कि ऐसे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं की ट्रेनिंग दी जाए और उन्हें जागरूक बनाया जाएगा, ताकि समाज को सीधा लाभ मिले.
गोरखपुर एम्स की निदेशक ने कहा कि अगर स्कूल का एक शिक्षक एम्स से ट्रेंड हो जाएगा तो वह स्कूल में बच्चों को होने वाली परेशानी को तत्काल समझ लेगा और बेहतर इलाज दिलाने में कामयाब होगा. साथ ही एम्स गांव को गोद लेने की प्रक्रिया से भी जुड़ेगा. एम्स के डॉक्टर जाकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराएंगे और पीड़ितों के इतने करीब पहुंचेंगे, ताकि मरीज उनके परिवार का सदस्य जैसे बन सकें.
गोरखपुर एम्स देश में एक अलग पहचान बनाएगा
डॉ. सुरेखा किशोर के बारे में बताया जाए तो वे महात्मा गांधी की डॉक्टर रहीं सुशीला नायर की शिष्या हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में गोरखपुर एम्स ने टेलीमेडिसिन की सुविधा प्रारंभ की है, जिसे जारी रखा जाएगा. साथ ही इसकी समय सीमा रात के 8:00 बजे तक करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा, ताकि कोई भी पीड़ित उस नंबर पर फोन कर सलाह पा सके.
आने वाले समय में निश्चित रूप से गोरखपुर एम्स अपनी सेवा के जरिए देश में एक अलग पहचान बनाएगा. गोरखपुर पहुंचने से पहले उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी हुई है. सीएम योगी ने भी उन्हें हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया है. वह एम्स को एक बेहतर चिकित्सा केंद्र बनाने में जुट गई हैं.