गोरखपुर: गीता प्रेस के नाम से विख्यात धार्मिक पुस्तकों की छपाई का विश्व प्रसिद्ध केंद्र, अयोध्या में बनने जा रहे भगवान राम के विशाल मंदिर परिसर में राम का लीला चित्र मंदिर बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए मंदिर निर्माण समिति से जुड़े हुए पदाधिकारियों और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी प्रबंधन ने सार्थक और सकारात्मक पहल की है. प्रबंधन उम्मीद के आधार पर इस चित्र मंदिर के निर्माण के लिए अपनी तैयारियों का कदम आगे बढ़ा दिया है. भगवत गीता और भगवान कृष्ण की लीलाओं के विशेष वर्णन के लिए जाने वाले गीता प्रेस प्रबंधन के पास गोरखपुर में भगवान राम की लीलाओं को प्रदर्शित करने वाली एक ऐसा अद्भुत विशाल संग्रह है जिसे गीता प्रेस प्रबंधन 'राम का लीला चित्र मंदिर' नाम दिया है.
1955 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने किया था लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन
इस लीला चित्र मंदिर में करीब 154 ऐसी पेंटिंग लगाई गई हैं जो भगवान राम के धरती पर अवतरण के लिए किए जाने वाले पूजा-पाठ, जन्म, बाल लीला, सीता विवाह, वन गमन और लंका कांड के साथ राज्याभिषेक से जुड़ी हुई हैं. यह सभी हाथ से पेंटिंग की गई हैं. जिनकी उम्र 80 वर्ष से लेकर 300 वर्ष तक की है. लेकिन इनमें चमक इस प्रकार बरकरार है. जैसे लगता है कि मानो तत्काल की पेंटिंग बनाई गई हैं. इसके अलावा 50 अन्य फोटो के साथ इन पेंटिंग्स को कंप्यूटर में भी सुरक्षित रखा गया है. जिनको प्रिंट कराकर अयोध्या में बनने वाले लीला चित्र मंदिर में यहां का प्रबंधन रखने का इरादा बना लिया है.
लीला चित्र मंदिर का निर्माण भी अयोध्या में प्रबंधन स्वयं कराएगा. निर्माण समिति और सरकार से उसे जमीन मिलने का इंतजार है. करीब 5 हजार वर्ग मीटर जमीन प्रबंधन ने मांगी है. यहां के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल का कहना है कि गीता प्रेस में मौजूद लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन 1955 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था. इसमें करीब 700 दुर्लभ चित्र हैं. जिसमें 200 के करीब राम की लीला से जुड़े हुए हैं. साथ ही भगवान कृष्ण की लीलाओं का भी इसी प्रकार चित्रांकन किया गया है.
फूल-पत्तियों से तैयार हुए रंग से बनाई गईं हैं यह पेंटिंग
इन चित्रों में एक श्री राम लिखा चित्र है. जिसमें पूरी रामायण लिखी हुई है. इन चित्रों को बनाने का कार्य गीता प्रेस के अनुबंधित चित्रकारों ने भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार और संतों की देखरेख में किया था. इसको बनाने में फूल-पत्तियों के रंगों का प्रयोग हुआ था. गीता प्रेस की पुस्तकों में जो चित्र प्रकाशित होते हैं. वह यहीं से लिए जाते हैं. प्रबंधन का मानना है कि अयोध्या में जो लीला चित्र मंदिर बनेगा. उनमें इन चित्रों के अलावा सूर्यवंश की वंशावली भी प्रदर्शित होगी और एक बुक स्टाल भी बनेगा.
प्रबंधन ने यहां तक निर्णय लिया है कि अगर जमीन मिलने में कोई असुविधा हुई तो मुख्य मंदिर को चित्र और सूर्यवंश की वंशावली गीता प्रेस प्रबंधन भेंट करेगा. ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने कहा कि इन चित्रों को जिन चित्रकारों ने बनाया है पहले उन्हें उस कथा के बारे में बताया जाता था. जिसपर उन्हें चित्र बनाना होता था. इन चित्रों की देखभाल एक चित्रकार के ही हवाले हैं. वहीं इस पर बराबर अपनी निगरानी बनाए रखते हैं.
ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने बताया कि यह मुगल शिल्प और रियल शिल्प पर आधारित बनाए गए चित्र हैं. जिसे बीके मित्रा, भगवान और जगन्नाथ जैसे चित्रकारों ने बनाया है. निश्चित रूप से गीता प्रेस के इस लीला चित्र मंदिर में आकर और इन पेंटिंग्स को देखकर कोई भी भाव विभोर हो जाएगा.
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