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Gorakhpur Fertilizer Plant: इंजीनियर बेटियों के हौसले से नवनिर्मित खाद कारखाने को मिलेगी नई पहचान

गोरखपुर में नवनिर्मित खाद कारखाने में 7 इंजीनियर बेटियां बखूबी रोल निभाएंगी. इन बेटियों का चयन कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद हुआ है. जहां इनका कहना है कि वे दिन रात-मेहनत से कारखाने को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगी.

इंजीनियर बेटियों के हौसले से नवनिर्मित खाद कारखाने को मिलेगी नई पहचान.
इंजीनियर बेटियों के हौसले से नवनिर्मित खाद कारखाने को मिलेगी नई पहचान.
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Published : Dec 2, 2021, 12:21 PM IST

गोरखपुर: 'मंजिल उनको मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है'. यह पंक्तियां उन साहसी और पराक्रमी लोगों के लिए कही जातीं हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने हौसले के बल पर ऊंचाई को छू लेते हैं. ईटीवी भारत अपने पाठकों के लिए एक ऐसी ही खबर लेकर आया है. जहां समाज मे अबला और कमजोर कही जाने वाली बेटियों ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कमाल कर दिखाया है.

पीएम मोदी के हाथों गोरखपुर के जिस नवनिर्मित खाद कारखाने की शुरुआत 7 दिसंबर को होने जा रही है. उस कारखाने को चलाने में 7 इंजीनियर बेटियां भी अपना बखूबी रोल निभाएंगी. यह सभी लड़कियां एक दम फ्रेशर हैं और चयन की कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद सिलेक्ट होकर खाद कारखाने को दिन-रात अपनी मेहनत से ऊंचाई पर ले जाने की बात कह रही हैं.

जानकारी देतीं छात्राएं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करती हुई इन इंजीनियर बेटियों ने कहा कि उनके लिए यह अवसर वास्तव में बड़ा ही चैलेंज वाला है. एक फ्रेशर के तौर पर उनकी सीधी नियुक्ति इतने बड़े प्रोजेक्ट में बतौर इंजीनियर हुई है. जहां पर मशीनों की ठक-ठक के बीच दिन रात काम करना होगा.

दिल्ली, कानपुर, गोरखपुर, सलेमपुर जैसे शहरों से आने वाली इन बेटियों का कहना है कि वह अपने कठिन परिश्रम से कारखाने को नई ऊंचाई देने का पूरा प्रयास करेंगी. जिससे इसकी पहचान सिर्फ यूपी और भारत में ही न रह कर दुनिया में भी स्थापित हो. इन बच्चियों का कहना है कि काम के घंटे और दिन-रात के वर्किंग शेड्यूल से भी वह अपने को जोड़ेंगी. इस अवसर को परिणाम में बदलकर कुछ बेहतर करने का मिलकर प्रयास करेंगी.


बच्चियों का कहना है कि उनका चयन आने वाले दौर में और छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणादाई बने ऐसा प्रयास होगा. अपने राज्य में इस तरह की नौकरी का मिलना उनके लिए काफी सुखद क्षण है. इन इंजीनियर ने पीएम मोदी की भी तारीफ करते कहा कि उन्होंने जो सपना दिखाया था. वह सच साबित हुआ है. यह देखकर लोगों को भी खुशी मिल रही होगी. उन्होंने कहा कि उनके बाद आने वाला जो बैच है उनसे कुछ सीख सकें ऐसी कोशिश होगी.

लड़कियों को लेकर अक्सर ऐसा समझा जाता है कि ऐसी कठिन जगहों पर वह बेहतर परिणाम नहीं दे सकती, लेकिन हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (HURL) ने उन्हें जो अवसर दिया है उस पर वह खरा उतरकर समाज को एक बड़ा संदेश देने का कार्य करेंगी. इंजीनियर के रूप में सेवा शुरू करने जा रही बेटियों में शुचि त्रिपाठी, ऐश्वर्या शाही, अनुराधा, प्रिया, साफिया, अंकिता और प्रियंका शामिल हैं.

इसे भी पढे़ं- डिजिटल इंडिया : प्रधानमंत्री ने वाराणसी की बेटियों से की बात, कारीगरी को किया सलाम

गोरखपुर: 'मंजिल उनको मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है'. यह पंक्तियां उन साहसी और पराक्रमी लोगों के लिए कही जातीं हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने हौसले के बल पर ऊंचाई को छू लेते हैं. ईटीवी भारत अपने पाठकों के लिए एक ऐसी ही खबर लेकर आया है. जहां समाज मे अबला और कमजोर कही जाने वाली बेटियों ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कमाल कर दिखाया है.

पीएम मोदी के हाथों गोरखपुर के जिस नवनिर्मित खाद कारखाने की शुरुआत 7 दिसंबर को होने जा रही है. उस कारखाने को चलाने में 7 इंजीनियर बेटियां भी अपना बखूबी रोल निभाएंगी. यह सभी लड़कियां एक दम फ्रेशर हैं और चयन की कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद सिलेक्ट होकर खाद कारखाने को दिन-रात अपनी मेहनत से ऊंचाई पर ले जाने की बात कह रही हैं.

जानकारी देतीं छात्राएं.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करती हुई इन इंजीनियर बेटियों ने कहा कि उनके लिए यह अवसर वास्तव में बड़ा ही चैलेंज वाला है. एक फ्रेशर के तौर पर उनकी सीधी नियुक्ति इतने बड़े प्रोजेक्ट में बतौर इंजीनियर हुई है. जहां पर मशीनों की ठक-ठक के बीच दिन रात काम करना होगा.

दिल्ली, कानपुर, गोरखपुर, सलेमपुर जैसे शहरों से आने वाली इन बेटियों का कहना है कि वह अपने कठिन परिश्रम से कारखाने को नई ऊंचाई देने का पूरा प्रयास करेंगी. जिससे इसकी पहचान सिर्फ यूपी और भारत में ही न रह कर दुनिया में भी स्थापित हो. इन बच्चियों का कहना है कि काम के घंटे और दिन-रात के वर्किंग शेड्यूल से भी वह अपने को जोड़ेंगी. इस अवसर को परिणाम में बदलकर कुछ बेहतर करने का मिलकर प्रयास करेंगी.


बच्चियों का कहना है कि उनका चयन आने वाले दौर में और छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणादाई बने ऐसा प्रयास होगा. अपने राज्य में इस तरह की नौकरी का मिलना उनके लिए काफी सुखद क्षण है. इन इंजीनियर ने पीएम मोदी की भी तारीफ करते कहा कि उन्होंने जो सपना दिखाया था. वह सच साबित हुआ है. यह देखकर लोगों को भी खुशी मिल रही होगी. उन्होंने कहा कि उनके बाद आने वाला जो बैच है उनसे कुछ सीख सकें ऐसी कोशिश होगी.

लड़कियों को लेकर अक्सर ऐसा समझा जाता है कि ऐसी कठिन जगहों पर वह बेहतर परिणाम नहीं दे सकती, लेकिन हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (HURL) ने उन्हें जो अवसर दिया है उस पर वह खरा उतरकर समाज को एक बड़ा संदेश देने का कार्य करेंगी. इंजीनियर के रूप में सेवा शुरू करने जा रही बेटियों में शुचि त्रिपाठी, ऐश्वर्या शाही, अनुराधा, प्रिया, साफिया, अंकिता और प्रियंका शामिल हैं.

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