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गोरखपुर में उत्पीड़न के शिकार ठेकेदार, ढाई साल से कर रहे भुगतान का इंतजार

यूपी के गोरखपुर में जीडीए का टेंडर लेने वाले ठेकेदारों के काम का बकाया भुगतान लगभग ढाई साल से नहीं हुआ है, जिससे ठेकेदारों में गुस्सा पनपता जा रहा है. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए ठेकेदारों ने बताया कि काम की जांच कराने के बाद भी जीडीए बकाये का भुगतान नहीं कर रहा है.

देवेश चतुर्वेदी, ठेकेदार, जीडीए
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Published : Aug 30, 2019, 10:46 AM IST

गोरखपुर: जिले में सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर काफी परेशान हैं. वहीं वाराणसी में एक ठेकेदार के आत्महत्या किए जाने और लखनऊ में आत्महत्या के प्रयास के बाद इन ठेकेदारों के मन में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण से जुड़ी परियोजनाओं को पूर्ण करने वाले ऐसे करीब 2 दर्जन से ऊपर ठेकेदार हैं, जिनका करोड़ों का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है. वहीं जीडीए ठेकेदारों के काम की जांच भी करा चुका है लेकिन फिर भी इन ठेकेदारों का बकाया नहीं चुकाया जा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ठेकेदारों से बातचीत की और मामले की तस्दीक की.

ठेकेदार ढाई साल से कर रहे हैं भुगतान का इंतजार.

जानिए क्या है मामला

  • जीडीए की सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर परेशान हैं.
  • ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है.
  • जीडीए ठेकेदारों का के काम की जांच भी करा चुका है, लेकिन फिर भी भुगतान नहीं कर रहा है.

काम की गुणवत्ता रिपोर्ट आने के बाद भी नहीं किया गया भुगतान
वहीं भुगतान न पाने वाले ठेकेदारों की संख्या तो अपनी जगह है लेकिन जीडीए द्वारा भुगतान न किया जाना यह एक बड़ा सवाल है. आखिर में जीडीए की लोहिया एनक्लेव, वसुंधरा हाइट्स, अमरावती जैसी परियोजनाओं को पूर्ण करने के अलावा कई सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों का भुगतान क्यों रोका गया है, जबकि उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट जीडीए के इंजीनियरों द्वारा पास कर दी गई है और भुगतान फाइल अधिकारियों के टेबल पर है.

पढ़ें: पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता के कक्ष में ठेकेदार ने गोली मारकर की आत्महत्या

बकाया का भुगतान नहीं होने से ठेकेदार परेशान
वहीं ठेकेदार देवेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने आने वाले थे, तो आनन-फानन में एक सड़क का बनाया जाना बेहद जरूरी था. पहले से ही जीडीए में फंसे पैसे की वजह से कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं था. ऐसे में एक ठेकेदार ने बैंक से कर्ज लेकर उस सड़क को बनाया था. एक दो बार नहीं बल्कि 12 बार उसकी गुणवत्ता की जांच हुई, क्योंकि प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़ा हुआ मामला था. सब कुछ सही पाया गया फिर भी ऐसे ठेकेदार का भी भुगतान जीडीए नहीं कर रहा है.

गोरखपुर: जिले में सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर काफी परेशान हैं. वहीं वाराणसी में एक ठेकेदार के आत्महत्या किए जाने और लखनऊ में आत्महत्या के प्रयास के बाद इन ठेकेदारों के मन में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण से जुड़ी परियोजनाओं को पूर्ण करने वाले ऐसे करीब 2 दर्जन से ऊपर ठेकेदार हैं, जिनका करोड़ों का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है. वहीं जीडीए ठेकेदारों के काम की जांच भी करा चुका है लेकिन फिर भी इन ठेकेदारों का बकाया नहीं चुकाया जा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ठेकेदारों से बातचीत की और मामले की तस्दीक की.

ठेकेदार ढाई साल से कर रहे हैं भुगतान का इंतजार.

जानिए क्या है मामला

  • जीडीए की सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर परेशान हैं.
  • ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है.
  • जीडीए ठेकेदारों का के काम की जांच भी करा चुका है, लेकिन फिर भी भुगतान नहीं कर रहा है.

काम की गुणवत्ता रिपोर्ट आने के बाद भी नहीं किया गया भुगतान
वहीं भुगतान न पाने वाले ठेकेदारों की संख्या तो अपनी जगह है लेकिन जीडीए द्वारा भुगतान न किया जाना यह एक बड़ा सवाल है. आखिर में जीडीए की लोहिया एनक्लेव, वसुंधरा हाइट्स, अमरावती जैसी परियोजनाओं को पूर्ण करने के अलावा कई सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों का भुगतान क्यों रोका गया है, जबकि उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट जीडीए के इंजीनियरों द्वारा पास कर दी गई है और भुगतान फाइल अधिकारियों के टेबल पर है.

पढ़ें: पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता के कक्ष में ठेकेदार ने गोली मारकर की आत्महत्या

बकाया का भुगतान नहीं होने से ठेकेदार परेशान
वहीं ठेकेदार देवेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने आने वाले थे, तो आनन-फानन में एक सड़क का बनाया जाना बेहद जरूरी था. पहले से ही जीडीए में फंसे पैसे की वजह से कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं था. ऐसे में एक ठेकेदार ने बैंक से कर्ज लेकर उस सड़क को बनाया था. एक दो बार नहीं बल्कि 12 बार उसकी गुणवत्ता की जांच हुई, क्योंकि प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़ा हुआ मामला था. सब कुछ सही पाया गया फिर भी ऐसे ठेकेदार का भी भुगतान जीडीए नहीं कर रहा है.

Intro:Big News...

गोरखपुर। सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके गोरखपुर के ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर काफी परेशान हैं। वाराणसी में एक ठेकेदार द्वारा आत्महत्या किए जाने और लखनऊ में आत्महत्या के प्रयास के बाद इन ठेकेदारों का मन और भी परेशान हो उठा है। लिहाजा यह अपने हक की मांग को लेकर अब और तेज हो गए हैं। गोरखपुर विकास प्राधिकरण से जुड़ी परियोजनाओं को पूर्ण करने वाले ऐसे करीब 2 दर्जन से ऊपर ठेकेदार हैं जिनका करोड़ों का भुगतान गोरखपुर विकास प्राधिकरण योजनाओं को पूर्ण करने और गुणवत्ता की सकारात्मक जांच रिपोर्ट के बाद भी नहीं कर रहा है। अब ठेकेदारों ने अपनी आवाज बुलंद की है जिससे शायद उनकी बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच सके और उनका भला हो सके।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:भुगतान न पाने वाले ठेकेदारों की संख्या तो अपनी जगह है लेकिन जीडीए द्वारा भुगतान न किया जाना यह बड़ा सवाल है। आखिर में जीडीए की लोहिया एनक्लेव, वसुंधरा हाइट्स,अमरावती जैसी परियोजनाओं को पूर्ण करने के अलावा कई सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों का भुगतान क्यों रोका गया है जबकि उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट जीडीए के इंजीनियरों द्वारा पास कर दी गई है और भुगतान फाइल अधिकारियों के टेबल पर है। एक हैरानी भरी घटना यह भी है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने आने वाले थे तो आनन-फानन में एक सड़क का बनाया जाना बेहद जरूरी था। पहले से ही जीडीए में फंसे पैसे की वजह से कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं था। ऐसे में एक ठेकेदार ने बैंक से कर्ज लेकर उस सड़क को बनाया। एक दो बार नहीं बल्कि 12 बार उसकी गुणवत्ता की जांच हुई क्योंकि प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़ा हुआ मामला था। सब कुछ सही पाया गया फिर भी ऐसे ठेकेदार का भी भुगतान जीडीए नहीं कर रहा है।

बाइट--देवेश चतुर्वेदी, ठेकेदार, जीडीए
बाइट-जीपी जायसवाल, ठेकेदार


Conclusion:सूत्रों की माने तो जीडीए ने चुनाव के दौरान जनता को लुभाने के लिए कुछ ऐसी परियोजनाओं में आनन-फानन में खूब बजट खर्च कर दिया जो ठेकेदारों को भुगतान किया जा सकता था। मौजूदा समय में जीडीए को शासन से बजट आवंटन की उम्मीद है। जिसके बाद ही लंबित भुगतान को निपटाया जा सकता है। लेकिन कर्ज, जीएसटी टैक्स, बैंक का ब्याज भरने के लिए परेशान ठेकेदारों को तो अपना पैसा चाहिए। वह भी तब जब उन्होंने अपना कार्य पूर्ण कर दिया हो। उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वह लगातार दौड़ रहे हैं। इस बीच वाराणसी और लखनऊ में आत्महत्या और और उसके प्रयास करने जैसी घटना से ऐसे ठेकेदार विचलित हैं। अब वह अपनी लड़ाई को आर-पार लड़ने के मूड में हैं। परिणाम चाहे जो कुछ भी हो। साथ ही अपनी आवाज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी पहुंचाना चाहते हैं जिससे शायद उनका भला हो जाए।

बाइट--ए दिनेश कुमार, वीसी, जीडीए

क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
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