गोरखपुर: जिले में सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर काफी परेशान हैं. वहीं वाराणसी में एक ठेकेदार के आत्महत्या किए जाने और लखनऊ में आत्महत्या के प्रयास के बाद इन ठेकेदारों के मन में भय का माहौल उत्पन्न हो गया है. गोरखपुर विकास प्राधिकरण से जुड़ी परियोजनाओं को पूर्ण करने वाले ऐसे करीब 2 दर्जन से ऊपर ठेकेदार हैं, जिनका करोड़ों का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है. वहीं जीडीए ठेकेदारों के काम की जांच भी करा चुका है लेकिन फिर भी इन ठेकेदारों का बकाया नहीं चुकाया जा रहा है. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने ठेकेदारों से बातचीत की और मामले की तस्दीक की.
जानिए क्या है मामला
- जीडीए की सरकारी परियोजनाओं का कार्य पूर्ण कर चुके ठेकेदार पिछले ढाई साल से अपने करोड़ों रुपए के भुगतान को लेकर परेशान हैं.
- ठेकेदारों का करोड़ों रुपये का भुगतान जीडीए के ऊपर बकाया है.
- जीडीए ठेकेदारों का के काम की जांच भी करा चुका है, लेकिन फिर भी भुगतान नहीं कर रहा है.
काम की गुणवत्ता रिपोर्ट आने के बाद भी नहीं किया गया भुगतान
वहीं भुगतान न पाने वाले ठेकेदारों की संख्या तो अपनी जगह है लेकिन जीडीए द्वारा भुगतान न किया जाना यह एक बड़ा सवाल है. आखिर में जीडीए की लोहिया एनक्लेव, वसुंधरा हाइट्स, अमरावती जैसी परियोजनाओं को पूर्ण करने के अलावा कई सड़कों को बनाने वाले ठेकेदारों का भुगतान क्यों रोका गया है, जबकि उनकी गुणवत्ता रिपोर्ट जीडीए के इंजीनियरों द्वारा पास कर दी गई है और भुगतान फाइल अधिकारियों के टेबल पर है.
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बकाया का भुगतान नहीं होने से ठेकेदार परेशान
वहीं ठेकेदार देवेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करने आने वाले थे, तो आनन-फानन में एक सड़क का बनाया जाना बेहद जरूरी था. पहले से ही जीडीए में फंसे पैसे की वजह से कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं था. ऐसे में एक ठेकेदार ने बैंक से कर्ज लेकर उस सड़क को बनाया था. एक दो बार नहीं बल्कि 12 बार उसकी गुणवत्ता की जांच हुई, क्योंकि प्रधानमंत्री की यात्रा से जुड़ा हुआ मामला था. सब कुछ सही पाया गया फिर भी ऐसे ठेकेदार का भी भुगतान जीडीए नहीं कर रहा है.