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गोरखपुर: मिसाल हैं 103 साल के केएल गुप्ता, रेलवे यूनियन के 1952 से हैं महामंत्री

1947 से पूर्वोत्तर रेलवे को अपनी सेवाएं दे रहे केएल गुप्ता लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. उनकी उम्र 103 साल की हो गई है लेकिन इस उम्र में भी वह चुस्त हैं और एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री के रूप में काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की.

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Published : Dec 13, 2019, 9:46 AM IST

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केएल गुप्ता

गोरखपुर: काम के बोझ और जीवन के संघर्ष से हिम्मत हार जाने वालों के लिए पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी रहे 103 साल के केएल गुप्ता एक नजीर हैं. इस उम्र में भी वह मानसिक और शारीरिक रूप से एक्टिव रहकर एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. वह रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज को पूरी मजबूती के साथ बुलंद कर रहे हैं. यही नहीं देश में कहीं भी इस मुद्दे को लेकर सम्मेलन हो रहा है तो वह ऐसी जगह पर पूरी सक्रियता के साथ शिरकत करने पहुंचते हैं.

केएल गुप्ता हैं लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत.

पूर्वोत्तर रेलवे को 1947 से दे रहे हैं सेवाएं
साधारण कुर्ते पायजामे में नजर आने वाली यह शख्सियत आजादी के बाद से ही यानि 1947 से पूर्वोत्तर रेलवे को अपनी सेवा दे रही है. 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय से ही यह एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री हैं. केएल गुप्ता पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के साथ काम कर चुके हैं. जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से प्रभावित होकर केएल गुप्ता ने मजदूर हितों के लिए अपने आपको पूरी तरह झोंक दिया.

क्या कहते हैं रेलवे के निजीकरण पर
रेलवे के निजीकरण पर केएल गुप्ता ले कहा कि 1991 में इसको री-ऑर्गेनाइज करने के लिए प्रकाश टंडन कमेटी बनी. जो आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के विरोध से भंग हुई. वर्ष 1998-99 में भी एक बार पुणे राकेश कमेटी बनी और फिर मोदी सरकार में 2014-15 में विवेक देवराय कमिटी गठित हुई. यह कमेटी रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में विभाजित करना चाहती है लेकिन मजदूर यूनियन ऐसा होने नहीं देगा.

फेडरेशन आजादी के पहले से कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ रहा है और हमेशा लड़ता रहेगा. सरकार पुरानी पेंशन सहित सभी नीतिगत मांगों का निस्तारण करे नहीं तो सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर उसे कर्मचारी हित में फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा. फेडरेशन 50 बिंदुओं वाले प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है. जिन्होंने आश्वासन दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा.
-केएल गुप्ता, महामंत्री

गोरखपुर: काम के बोझ और जीवन के संघर्ष से हिम्मत हार जाने वालों के लिए पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी रहे 103 साल के केएल गुप्ता एक नजीर हैं. इस उम्र में भी वह मानसिक और शारीरिक रूप से एक्टिव रहकर एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. वह रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज को पूरी मजबूती के साथ बुलंद कर रहे हैं. यही नहीं देश में कहीं भी इस मुद्दे को लेकर सम्मेलन हो रहा है तो वह ऐसी जगह पर पूरी सक्रियता के साथ शिरकत करने पहुंचते हैं.

केएल गुप्ता हैं लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत.

पूर्वोत्तर रेलवे को 1947 से दे रहे हैं सेवाएं
साधारण कुर्ते पायजामे में नजर आने वाली यह शख्सियत आजादी के बाद से ही यानि 1947 से पूर्वोत्तर रेलवे को अपनी सेवा दे रही है. 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय से ही यह एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री हैं. केएल गुप्ता पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के साथ काम कर चुके हैं. जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से प्रभावित होकर केएल गुप्ता ने मजदूर हितों के लिए अपने आपको पूरी तरह झोंक दिया.

क्या कहते हैं रेलवे के निजीकरण पर
रेलवे के निजीकरण पर केएल गुप्ता ले कहा कि 1991 में इसको री-ऑर्गेनाइज करने के लिए प्रकाश टंडन कमेटी बनी. जो आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के विरोध से भंग हुई. वर्ष 1998-99 में भी एक बार पुणे राकेश कमेटी बनी और फिर मोदी सरकार में 2014-15 में विवेक देवराय कमिटी गठित हुई. यह कमेटी रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में विभाजित करना चाहती है लेकिन मजदूर यूनियन ऐसा होने नहीं देगा.

फेडरेशन आजादी के पहले से कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ रहा है और हमेशा लड़ता रहेगा. सरकार पुरानी पेंशन सहित सभी नीतिगत मांगों का निस्तारण करे नहीं तो सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर उसे कर्मचारी हित में फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा. फेडरेशन 50 बिंदुओं वाले प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है. जिन्होंने आश्वासन दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा.
-केएल गुप्ता, महामंत्री

Intro:गोरखपुर। काम के बोझ और जीवन के संघर्ष से हिम्मत हार जाने वालों के लिए पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी रहे 103 साल के केएल गुप्ता एक बड़ी नजीर हैं। इस उम्र में भी वह मानसिक और शारीरिक रूप से एक्टिव रहकर एनई रेलवे मजदूर यूनियन(नरमू) के महामंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। वह रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज को पूरी मजबूती के साथ बुलंद कर रहे हैं। यही नहीं देश में कहीं भी इस मुद्दे को लेकर सम्मेलन हो रहा है तो वह ऐसी जगह पर पूरी सक्रियता के साथ शिरकत करने पहुंचते हैं। ईटीवी भारत से एक्सकलुसिव बातचीत में वह कहते हैं कि रेलवे का निजीकरण सरकार के नजरिए से भले ही अच्छा हो लेकिन यह न तो देश हित में है और ना ही रेलवे कर्मचारियों के। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले के खिलाफ वह लड़ाई लड़ते रहेंगे।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।..स्पेशल/एक्सकलुसिव कटेगरी की स्टोरी है।


Body:साधारण कुर्ते पायजामे में नजर आने वाली यह शख्सियत आजादी के बाद से ही यानि 1947 से पूर्वोत्तर रेलवे को अपनी सेवा दे रही है। 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय से ही यह एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री हैं। अपने दौर में यह पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के साथ काम कर चुके हैं। जयप्रकाश नारायण से प्रभावित होकर यह मजदूर हितों के लिए अपने आपको पूरी तरह झोंक दिए। रेलवे के निजीकरण पर केएल गुप्ता पूरा तल्ख मिजाज रखते हैं वह कहते हैं कि 1991 में इसको री-ऑर्गेनाइज करने के लिए प्रकाश टंडन कमेटी बनी जो आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के विरोध से भंग हुई। वर्ष 1998 99 में भी एक बार पुणे राकेश कमेटी बनी और फिर मोदी सरकार में 2014-15 में विवेक देवराय कमिटी गठित हुई। यह कमेटी रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में विभाजित करना चाहती है लेकिन मजदूर यूनियन ऐसा होने नहीं देगा आगामी बजट सत्र में संसद भवन के सामने प्रदर्शन होगा।

बाइट--केएल गुप्ता, महामंत्री, एनई रेलवे मजदूर यूनियन


Conclusion:103 वर्ष की आयु में भी केएल गुप्ता पूरी तरह फिट हैं। वह अपने खान-पान में दाल -रोटी को ही प्रमुखता देते हैं। बाकी खाद्य पदार्थ इन्हें अनफिट बना देते हैं। यह पूरी तरह एक्टिव हैं और कार्यालय में बैठकर सिर्फ कागजी कार्य ही नहीं निपटाते बल्कि संगठन से जुड़े हुए लोगों को फोन करके एक्टिव किए रहते हैं। वह रेलवे को बिकने नहीं देने के लिए संकल्पित हैं। गुप्ता जी कहते हैं कि फेडरेशन आजादी के पहले से कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ रहा है और हमेशा लड़ता रहेगा। उनकी मांग है कि सरकार पुरानी पेंशन सहित सभी नीतिगत मांगों का निस्तारण करें नहीं तो सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर उसे कर्मचारी हित में फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि फेडरेशन 50 बिंदुओं वाले प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है जिन्होंने आश्वासन दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा।

बाइट--केएल गुप्ता, महामंत्री

क्लोजिंग पीटीसी....
मुकेश पाण्डेय
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