गोरखपुर: काम के बोझ और जीवन के संघर्ष से हिम्मत हार जाने वालों के लिए पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारी रहे 103 साल के केएल गुप्ता एक नजीर हैं. इस उम्र में भी वह मानसिक और शारीरिक रूप से एक्टिव रहकर एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. वह रेलवे के निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज को पूरी मजबूती के साथ बुलंद कर रहे हैं. यही नहीं देश में कहीं भी इस मुद्दे को लेकर सम्मेलन हो रहा है तो वह ऐसी जगह पर पूरी सक्रियता के साथ शिरकत करने पहुंचते हैं.
पूर्वोत्तर रेलवे को 1947 से दे रहे हैं सेवाएं
साधारण कुर्ते पायजामे में नजर आने वाली यह शख्सियत आजादी के बाद से ही यानि 1947 से पूर्वोत्तर रेलवे को अपनी सेवा दे रही है. 14 अप्रैल 1952 को पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय से ही यह एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री हैं. केएल गुप्ता पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस के साथ काम कर चुके हैं. जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से प्रभावित होकर केएल गुप्ता ने मजदूर हितों के लिए अपने आपको पूरी तरह झोंक दिया.
क्या कहते हैं रेलवे के निजीकरण पर
रेलवे के निजीकरण पर केएल गुप्ता ले कहा कि 1991 में इसको री-ऑर्गेनाइज करने के लिए प्रकाश टंडन कमेटी बनी. जो आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के विरोध से भंग हुई. वर्ष 1998-99 में भी एक बार पुणे राकेश कमेटी बनी और फिर मोदी सरकार में 2014-15 में विवेक देवराय कमिटी गठित हुई. यह कमेटी रेलवे को टुकड़े-टुकड़े में विभाजित करना चाहती है लेकिन मजदूर यूनियन ऐसा होने नहीं देगा.
फेडरेशन आजादी के पहले से कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ रहा है और हमेशा लड़ता रहेगा. सरकार पुरानी पेंशन सहित सभी नीतिगत मांगों का निस्तारण करे नहीं तो सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर उसे कर्मचारी हित में फैसला लेने के लिए मजबूर कर दिया जाएगा. फेडरेशन 50 बिंदुओं वाले प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के समक्ष प्रस्तुत कर चुका है. जिन्होंने आश्वासन दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा.
-केएल गुप्ता, महामंत्री