गोरखपुर: शत्रु संपत्तियों को चिन्हित किए जाने में गोरखपुर जिला प्रशासन को लगातार सफलता मिल रही है. राजस्व परिषद के निर्देश पर चल रहे इस अभियान में करीब दर्जनभर संपत्तियां चिन्हित हुई हैं, जिनका मूल्य 100 करोड़ से ज्यादा का है. इन संपत्तियों का ऑनलाइन डाटा तैयार किया जा रहा है. जिसे इस माह हर हाल में तैयार कर राजस्व परिषद को भेज देना है. माना जा रहा है कि यह संपत्तियां जिला प्रशासन अपने कब्जे में लेकर कुछ को किराए पर संचालित कर सकता है. तो कुछ को सरकारी उपयोग के साथ अन्य उपयोग में भी ला सकता है. गोरखपुर में इस कार्य की निगरानी अपर जिला अधिकारी वित्त एवं राजस्व के हवाले है, जो इसे पूर्ण कराने में पूरी जिम्मेदारी से जुटे हैं.
चिन्हित 16 संपत्तियों का क्षेत्रफल 21.96 एकड़ है
जो शत्रु संपत्तियां चिन्हित की गई हैं, वह कई शहर और 10 गांव में फैली हुई हैं. प्रशासन इनकी फोटोग्राफी भी करा रहा है. जिसे वह राजस्व परिषद की वेबसाइट पर अपलोड भी करेगा. करीब 3 साल पहले केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्तियों को नीलाम करने का फैसला किया था, जिसके अनुपालन में 2017 में प्रदेश में सर्वे का कार्य शुरू हुआ. गोरखपुर में जो रिपोर्ट निकलकर आई, उसमें 16 संपत्तियां चिन्हित की गई हैं. इनका क्षेत्रफल 21.96 एकड़ है. यह संपत्तियां आवासीय हैं और अधिकतर सदर तहसील क्षेत्र की हैं.
शहर की यह संपत्तियां हैं शत्रु संपत्ति
निजामपुर में 0.25 एकड़ में वाणिज्य भवन, सदर क्षेत्र में 0.32 एकड़ भूमि, सदर क्षेत्र में 0.7 एकड़ आवासीय भूमि, इलाहीबाग क्षेत्र में 0.41 एकड़ आवासी भवन, मोहद्दीपुर में 0.275 एकड़ वाणिज्य भवन, घासी कटरा में 0.73 एकड़ भवन, इलाहीबाग में 0.57 एकड़ भवन, नया गांव में 0.32 एकड़ जमीन, तुर्कवालिया में 1.822 एकड़ भूमि, पिपराइच में 0.325 एकड़ में भवन, पिपराइच में 0.26 एकड़ आवासीय परिसर, पिपराइच में 1.22 एकड़ आवासीय परिसर, पिपराइच में 0.04 एकड़ आवासीय भूमि, बांसगांव में 0.72 एकड़ भूमि और करमहा में 9.7 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है.
क्या होती है शत्रु संपत्ति
देश के विभाजन के समय और वर्ष 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बीच देश छोड़कर जाने वाले लोगों की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जाता है. 1947 से 1965 तक गोरखपुर के 16 परिवार पाकिस्तान चले गए थे. उनकी संपत्ति का कोई वारिस गोरखपुर में नहीं है. संपत्तियों का नए सिरे से ब्योरा जुटाने के बाद यह जानकारी जिला प्रशासन के हाथ लगी है. इसके बाद इन पर काबिज लोगों से प्रशासन कब्जा हटवाएगा और उसे अपने रिकॉर्ड में शामिल करेगा. यही नहीं, प्रशासन इसे विभिन्न तरह से अपने उपयोग में भी लाएगा.