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बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बने डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल, सीएम योगी के लिए छोड़ी थी सीट - Bharatiya Janata Party Mohan Das Agarwal

राज्यसभा के सांसद डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महामंत्री बनाया है. 2022 के चुनावों में डॉक्टर अग्रवाल ने सीएम योगी के लिए अपनी विधायक की सीट छोड़ी थी.

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डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल
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Published : Jul 29, 2023, 9:30 PM IST

गोरखपुर: जिले की सदर विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक और मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महामंत्री बनाया है. शनिवार को घोषित की गई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में डॉ. अग्रवाल का महामंत्री के रूप में नाम आने से उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. साथ ही बहुत दिनों से लगाई जा रही कयास पर भी विराम लग गया कि, डॉ. अग्रवाल को बीजेपी बहुत जल्द किसी बड़े पद से नवाजने वाली है.

डॉ. अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ होने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित स्वयंसेवक रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी संगठन में इसके पहले इनके पास कोई पद नहीं था. राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में इनकी तैनाती कुछ लोगों के लिए हैरानी भरी हो सकती है. लेकिन, यह इनके समर्पण, परिश्रम और वाकपटुता के साथ त्याग का परिणाम है. लगातार चार बार से विधायक चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सदर सीट से 2022 का चुनाव लड़ने पर, इन्होंने अपनी सीट को सहर्ष छोड़ दिया था. जिसके बाद पार्टी ने इन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. लेकिन, संगठन में अब राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व देकर बीजेपी ने उनके कद को और बड़ा कर दिया है.

डॉ. अग्रवाल का बीजेपी संगठन के लिए काम करने का अनुभव भले नहीं हो, लेकिन राज्यसभा सदस्य बनाए जाने के बाद इन्हें अंडमान निकोबार का प्रभारी और केरल में बीजेपी का प्रदेश सह प्रभारी बनाया गया. डॉ. अग्रवाल अपने दायित्व को बखूबी निभा रहे थे. पीएम मोदी अभी 5 जुलाई को गोरखपुर दौरे पर थे तो एयरपोर्ट पर उतरने के साथ ही, उन्होंने डॉ. अग्रवाल से केरल के संगठन को लेकर चर्चा की. मोदी ने केरल की एक सभा में यह भी कहा था कि डॉ. अग्रवाल जो यहां के सह प्रभारी हैं, उनकी ससुराल केरल में है. यह पूरे मन से पार्टी को यहां खड़ा करेंगे. वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में डॉ. अग्रवाल पहली बार गोरखपुर से विधायक चुने गए थे. हैरानी की बात यह है कि तब यह बीजेपी उम्मीदवार नहीं थे. बल्कि, हिंदू महासभा के प्रत्याशी के रूप में बीजेपी प्रत्याशी और चारबार से गोरखपुर सीट को जीतते आ रहे शिव प्रताप शुक्ला(वर्तमान राज्यपाल ,हिमाचल) को इन्होंने हराने का कार्य किया था.

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डॉ. अग्रवाल की इस जीत का श्रेय तत्कालीन बीजेपी सांसद और प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया जाता है. जिन्होंने बीजेपी से बगावत कर इनको खुले आम चुनाव लड़ाया था. हालांकि इसके बाद के चुनाव में लगातार तीन बार डॉ. अग्रवाल बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव लड़े और जीते. लेकिन वर्ष 2012 से इनकी और योगी आदित्यनाथ के संबंध में थोड़ी खटास महसूस की जाने लगी, और दिखने भी लगी थी. डॉ. अग्रवाल योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्य नाथ के बेहद करीबी थे. उनका चुनाव प्रबंधन पूरे विश्वास के साथ देखते थे. इसीलिए जब शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ प्रत्याशी चयन की बात आई तो योगी आदित्यनाथ के गुरु ने, डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का नाम आगे बढ़ाया. यहीं से डॉक्टर अग्रवाल का न सिर्फ राजनीतिक करियर शुरू हुआ बल्कि, मौजूदा समय में वह गोरखपुर में भारतीय जनता पार्टी से अलग और योगी आदित्यनाथ के नापसंद किए जाने वाले नेता के रूप में पहचाने जाने लगे हैं. शायद यही वजह है कि इनको लगातार प्रोन्नति भी मिल रही है जो योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ा संदेश है.

जनप्रतिनिधि के रूप में डॉ. अग्रवाल ईमानदार नेता माने जाते हैं. अपनी निधि से बनाई गई सड़कों की उम्र यह 50 साल होने का दावा करते हैं. डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि बिना कमीशन खोरी के बनी सड़कों की उम्र यही होती है. डॉ. अग्रवाल बीजेपी के विधायक रहते हुए पिछली योगी सरकार में कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लेटलतीफी को लेकर सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठा चुके है. अखिलेश यादव ने इन्हीं खुले मंच से अपने साथ आने का न्योता दिया था. लेकिन, जिद्दी और तार्किक स्वभाव वाले डॉक्टर अग्रवाल, भविष्य को पढ़ना भी जानते थे. वह बीजेपी छोड़कर नहीं गए.जब योगी आदित्यनाथ उनकी सीट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने आए तो भी उनके लिए ऑफर था. डॉ अग्रवाल चुप रहे, विरोध नहीं किया. भले ही भारी मन से वह मंच साझा करते रहे. चुनाव प्रचार में उनकी सक्रियता कम देखी गई. सूत्र बताते हैं डॉ. अग्रवाल को दुख था उनकी सीट जाने का.

डॉ. अग्रवाल इतने संवेदनशील हैं कि शहर के सबसे पुराने राजकीय अयोध्या दास बालिका इंटर कॉलेज को उन्होंने अपने सांसद निधि की पूरी 5 करोड़ धनराशि छात्राओं को पढ़ने के लिए कमरे बनाने, लैब, कंप्यूटर, शौचालय आदि की व्यवस्था के लिए एकमुश्त दे दिया. जो पूरे देश में एक नजीर है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में खस्ताहाल होते जा रहे हैं. ऐसे में जन प्रतिनिधियों को इसके लिए आगे आना चाहिए. जनता के टैक्स से जो उन्हें निधि के रूप में धनाराशि मिलती है, वह ऐसे ही पुनीत कार्य में खर्च होना चाहिए. डॉ. अग्रवाल ने बीजेपी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने पर हर्ष व्यक्त किया है. उन्होने कहा कि पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूं ऐसा प्रयास पूरे मनोयोग से करूंगा.


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गोरखपुर: जिले की सदर विधानसभा सीट से लगातार चार बार विधायक और मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महामंत्री बनाया है. शनिवार को घोषित की गई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में डॉ. अग्रवाल का महामंत्री के रूप में नाम आने से उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. साथ ही बहुत दिनों से लगाई जा रही कयास पर भी विराम लग गया कि, डॉ. अग्रवाल को बीजेपी बहुत जल्द किसी बड़े पद से नवाजने वाली है.

डॉ. अग्रवाल बाल रोग विशेषज्ञ होने के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित स्वयंसेवक रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी संगठन में इसके पहले इनके पास कोई पद नहीं था. राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में इनकी तैनाती कुछ लोगों के लिए हैरानी भरी हो सकती है. लेकिन, यह इनके समर्पण, परिश्रम और वाकपटुता के साथ त्याग का परिणाम है. लगातार चार बार से विधायक चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर सदर सीट से 2022 का चुनाव लड़ने पर, इन्होंने अपनी सीट को सहर्ष छोड़ दिया था. जिसके बाद पार्टी ने इन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया था. लेकिन, संगठन में अब राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व देकर बीजेपी ने उनके कद को और बड़ा कर दिया है.

डॉ. अग्रवाल का बीजेपी संगठन के लिए काम करने का अनुभव भले नहीं हो, लेकिन राज्यसभा सदस्य बनाए जाने के बाद इन्हें अंडमान निकोबार का प्रभारी और केरल में बीजेपी का प्रदेश सह प्रभारी बनाया गया. डॉ. अग्रवाल अपने दायित्व को बखूबी निभा रहे थे. पीएम मोदी अभी 5 जुलाई को गोरखपुर दौरे पर थे तो एयरपोर्ट पर उतरने के साथ ही, उन्होंने डॉ. अग्रवाल से केरल के संगठन को लेकर चर्चा की. मोदी ने केरल की एक सभा में यह भी कहा था कि डॉ. अग्रवाल जो यहां के सह प्रभारी हैं, उनकी ससुराल केरल में है. यह पूरे मन से पार्टी को यहां खड़ा करेंगे. वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में डॉ. अग्रवाल पहली बार गोरखपुर से विधायक चुने गए थे. हैरानी की बात यह है कि तब यह बीजेपी उम्मीदवार नहीं थे. बल्कि, हिंदू महासभा के प्रत्याशी के रूप में बीजेपी प्रत्याशी और चारबार से गोरखपुर सीट को जीतते आ रहे शिव प्रताप शुक्ला(वर्तमान राज्यपाल ,हिमाचल) को इन्होंने हराने का कार्य किया था.

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डॉ. अग्रवाल की इस जीत का श्रेय तत्कालीन बीजेपी सांसद और प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दिया जाता है. जिन्होंने बीजेपी से बगावत कर इनको खुले आम चुनाव लड़ाया था. हालांकि इसके बाद के चुनाव में लगातार तीन बार डॉ. अग्रवाल बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव लड़े और जीते. लेकिन वर्ष 2012 से इनकी और योगी आदित्यनाथ के संबंध में थोड़ी खटास महसूस की जाने लगी, और दिखने भी लगी थी. डॉ. अग्रवाल योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्य नाथ के बेहद करीबी थे. उनका चुनाव प्रबंधन पूरे विश्वास के साथ देखते थे. इसीलिए जब शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ प्रत्याशी चयन की बात आई तो योगी आदित्यनाथ के गुरु ने, डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल का नाम आगे बढ़ाया. यहीं से डॉक्टर अग्रवाल का न सिर्फ राजनीतिक करियर शुरू हुआ बल्कि, मौजूदा समय में वह गोरखपुर में भारतीय जनता पार्टी से अलग और योगी आदित्यनाथ के नापसंद किए जाने वाले नेता के रूप में पहचाने जाने लगे हैं. शायद यही वजह है कि इनको लगातार प्रोन्नति भी मिल रही है जो योगी आदित्यनाथ के लिए एक बड़ा संदेश है.

जनप्रतिनिधि के रूप में डॉ. अग्रवाल ईमानदार नेता माने जाते हैं. अपनी निधि से बनाई गई सड़कों की उम्र यह 50 साल होने का दावा करते हैं. डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि बिना कमीशन खोरी के बनी सड़कों की उम्र यही होती है. डॉ. अग्रवाल बीजेपी के विधायक रहते हुए पिछली योगी सरकार में कई सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लेटलतीफी को लेकर सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठा चुके है. अखिलेश यादव ने इन्हीं खुले मंच से अपने साथ आने का न्योता दिया था. लेकिन, जिद्दी और तार्किक स्वभाव वाले डॉक्टर अग्रवाल, भविष्य को पढ़ना भी जानते थे. वह बीजेपी छोड़कर नहीं गए.जब योगी आदित्यनाथ उनकी सीट पर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने आए तो भी उनके लिए ऑफर था. डॉ अग्रवाल चुप रहे, विरोध नहीं किया. भले ही भारी मन से वह मंच साझा करते रहे. चुनाव प्रचार में उनकी सक्रियता कम देखी गई. सूत्र बताते हैं डॉ. अग्रवाल को दुख था उनकी सीट जाने का.

डॉ. अग्रवाल इतने संवेदनशील हैं कि शहर के सबसे पुराने राजकीय अयोध्या दास बालिका इंटर कॉलेज को उन्होंने अपने सांसद निधि की पूरी 5 करोड़ धनराशि छात्राओं को पढ़ने के लिए कमरे बनाने, लैब, कंप्यूटर, शौचालय आदि की व्यवस्था के लिए एकमुश्त दे दिया. जो पूरे देश में एक नजीर है. उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में खस्ताहाल होते जा रहे हैं. ऐसे में जन प्रतिनिधियों को इसके लिए आगे आना चाहिए. जनता के टैक्स से जो उन्हें निधि के रूप में धनाराशि मिलती है, वह ऐसे ही पुनीत कार्य में खर्च होना चाहिए. डॉ. अग्रवाल ने बीजेपी का राष्ट्रीय महामंत्री बनाए जाने पर हर्ष व्यक्त किया है. उन्होने कहा कि पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरूं ऐसा प्रयास पूरे मनोयोग से करूंगा.


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