गोरखपुर: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में 20 से 22 मार्च तक आयोजित होने वाले 'नाथपंथ के वैश्विक प्रदेय' विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों होगा. उद्घाटन समारोह में सीएम विवि की महत्वाकांक्षी योजना 'अर्न बाय लर्न' का लोकार्पण भी करेंगे. पहले चरण में 100 विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ उनकी क्षमता के मुताबिक रोजगार भी विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से प्रदान किया जाएगा. विद्यार्थियों के चयन की प्रक्रिया अधिष्ठाता छात्र कल्याण की ओर से शुरू की जा रही है. इसके साथ ही साथ ही गृह विज्ञान विभाग की ओर से सोविनियर शाॅप और बिजनेस इनक्यूबेटर सेल का भी लोकार्पण होगा.
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर से नाथ पंथ पर आयोजित होने वाली तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में छात्रों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए नाथ पंथ पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता, सांस्कृतिक संध्या और पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन होगा. पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन विश्वविद्यालय स्तर और कॉलेज स्तर पर अलग-अलग किया जाएगा.
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नाथ पंथ साहित्य के संकलन और अनुवाद पर होगा छठा सत्र
कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक का आयोजन प्रशासनिक भवन स्थित कमेटी हॉल में किया गया. कुलपति ने कहा कि पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम तीन-तीन स्थान हासिल करने वाले विद्यार्थियों को 20 मार्च को आयोजित होने वाले उद्घाटन समारोह में सीएम के हाथों सम्मानित होने का मौका मिलेगा. विद्यार्थियों को नगद पुरस्कार के साथ साथ सांत्वना पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जाएगा. प्रतियोगिता में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की ओर से तैयार किए जाने वाले पोस्टर की भव्य प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इसके साथ ही साथ 20 मार्च को नाथ पंथ को समर्पित सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा. इसके आयोजन की जिम्मेदारी ललित कला एवं संगीत विभाग को दी गई है.
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अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में पांच प्रमुख क्षेत्रों पर देश-विदेश के विद्वान मंथन करेंगे
बीते दिनों सीएम के साथ हुई कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह की मुलाकात में सीएम ने नाथ पंथ के साहित्य संकलन और अनुवाद की इच्छा जताई थी, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से विशेष सत्र का खाका तैयार किया गया है. छठा सत्र नाथ पंथ में उपलब्ध साहित्य के संकलन व अनुवाद पर केंद्रित होगा. इस सेक्टर में हिंदी और संस्कृत भाषा को छोड़कर भारतीय और विदेशी भाषाओं में उपलब्ध साहित्य के अध्ययन और उनके अनुवाद की संभावनाओं को तलाशने के साथ उन्हें पूरा करने की दिशा में सार्थक कदम बढ़ाएंगे.