गोरखपुर: छठ का महापर्व आज शुक्रवार से नहाय-खाय के व्रत (Chhath Puja 2022 Day 1) के साथ शुरू हो गया. इस व्रत को करने वाली महिलाओं ने आज से व्रत के सभी नियमों का पालन करना शुरू कर दिया. इसमें वह मीठे पदार्थ का भोजन करेंगी और अगले 3 दिनों तक जब तक वह सूर्य भगवान को अर्घ देकर अपने इस व्रत को पूर्ण कर नहीं लेती, वह बिस्तर पर नहीं सोएंगी. जमीन पर ही उनका बिस्तर लगेगा. वह इस व्रत के सभी नियम और धर्म का पालन करेंगी.
गोरखपुर में इस व्रत को लेकर महिलाओं में जहां पूरी उत्सुकता देखने को मिल रही है. वहीं, उनके परिवार के पुरुष बच्चे भी इसमें उत्साह के साथ शामिल हो रहे हैं. घाटों पर वेदी बनाने के लिए लोग अपनी अपनी जगहों को सुरक्षित कर रहे हैं. बेसमय आई बाढ़ की वजह से तमाम मंदिरों और नदियों के तट पर अब भी पानी भरा है. िससे महिलाओं को वेदी बनाने के लिए इधर-उधर व्यवस्था करने के बारे में सोचना पड़ रहा है. हालांकि, जिलाधिकारी से लेकर नगर आयुक्त और मेयर सभी घाटों पर व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए रात में भी भ्रमण कर रहे हैं. लेकिन, पानी और कीचड़ के बीच कुछ जगहों पर परेशानियां बढ़ी हुई हैं.
घाटों के पानी में डूबे होने से छठ महापर्व करने वाली और व्रत रखने वाली महिलाएं मुश्किल में पड़ गई हैं. यह स्थिति ग्रामीण अंचल के उन मंदिरों और घाटों पर देखने को मिल रही है, जो नदियों के किनारे हैं. घाटों पर वेदियों के लिए जगह ढूंढने पहुंची महिलाओं और उनके परिवार के लोगों को निराशा का सामना करना पड़ रहा है. राप्ती नदी के राजघाट स्थित गुरु गोरखनाथ घाट भी इस बार अक्टूबर माह में बाढ़ के पानी में डूब गया था. बाढ़ के पानी उतरने का सिलसिला शुरू होने के बावजूद सीढ़ियां ऊपर तक डूबी हुई हैं. यही वजह है कि समतल स्थान पर जो फर्श है, वहां पर मिट्टी और कीचड़ हो गया है. ऐसे में घाट पर वेदियां बनाने के लिए आने वाली महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
इसे भी पढ़े-अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बलिया के किन्नर ने रखा छठ व्रत
राजघाट की रहने वाली महिला सरोजिनी सिंह कई वर्षो से छठी मईया का व्रत कर रही हैं. वह बताती हैं कि वह राजघाट पर वेदियां बनाने के लिए जगह ढूंढने के लिए आई है. इस बार बाढ़ के पानी से सीढ़ियां डूब गई है. इससे लोगों को काफी मुश्किलें हो रही हैं. लेकिन, वे कहती हैं कि छठी मईया सब ठीक कर देंगी. उनके आशीर्वाद से थोड़ी जगह में भी सभी का व्रत पूरा हो जाएगा.
एयरफोर्स से रिटायर्ड सुनील कुमार कहते हैं कि उनके जानने वाले लोग छठ का व्रत करते हैं. वह यहां पर देखने के लिए आए हैं कि यहां पर पानी की क्या स्थिति है. अभी बाढ़ का पानी उतर नहीं पाया है. यही वजह है कि लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीण अंचल के मानीराम सिक्टौर के बामन्त देवी के मंदिर के सामने महेसरा ताल से सटे छिछले मैदान में हर साल छठ महापर्व पर महिलाएं आती हैं. लेकिन, यहां अभी पानी लगा है.
इस संबंध में नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने बताया कि राप्ती नदी का पानी काफी बड़ा हुआ है. लेकिन वह लोग 28 अक्टूबर तक साफ-सफाई और तैयारियों को पूरा कर लेंगे. जो काम बचेगा उसे 29 और 30 अक्टूबर को पूरा किया जाएगा. वह लोगों से अपील करेंगे कि वे मोहल्लों और कॉलोनियों में वैकल्पिक व्यवस्था करें. उन्होंने बताया कि, इसके लिए कृत्रिम तालाबों का भी इंतजाम किया जाएगा.
यह भी पढ़े-बाराबंकी में भी डाला छठ की धूम, हजारों श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को दिया अर्घ्य