गोरखपुर: भाजपा विधायक विपिन सिंह के हाथी ने सोमवार को अपने ही महावत की हत्या कर दी थी. महावत हाथी के लिए चारा काट रहा था, तभी हांथी ने सूंड में लपेटकर उसे पटक दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी. बताया जा रहा है कि हाथी का मानसिक संतुलन खराब हो गया है, जिसको अब महावतों ने वन विभाग की मदद से काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं.
विधायक को देख हाथी हुआ शांत
घटना के बाद बीजेपी विधायक मौके पर पहुंचे और हाथी को चारा खिलाया. साथ ही उन्होंने जैसे ही हाथी को गंगा प्रसाद नाम लेकर संबोधित किया वैसे ही विधायक को देखकर हाथी शांत हो गया, जिसे महावतों ने मिलकर काबू में करने की कोशिश की. वहीं झंगहा थानेदार ने भी बताया है कि हाथी के मालिक बीजेपी विधायक विपिन सिंह हैं.
किसी संरक्षित जगह जाएगा हाथी
हाथी का वन विभाग के पास कोई पंजीकरण न होने के कारण वन विभाग हाथी को किसी संरक्षित जगह भेजने की तैयारियां कर रहा है. इसके लिए जिले के डीएफओ ने मंगलवार को चार सदस्यों की टीम को झंगहा के सिंहपुर में हाथी को लाने के लिए भेजा था, जिसमें क्षेत्रीय वन अधिकारी के अलावा कई वन दारोगा शामिल थे.
हाथी को काबू करने के लिए बुलाए गए कई महावत
हाथी को काबू में करने के लिए अलग-अलग जगहों से कई महावतों को बुलाया गया है. वहीं हाथी की मानसिक स्थिति को देखते हुए मौके पर पहुंचे महावतों ने उसे मजबूत जंजीरों में जकड़ने के लिए कई घण्टों तक पसीना बहाया. इस दौरान हाथी बार-बार खुद को जंजीरों से मुक्त कराने की कोशिश करते हुए दिखाई दिया.
हाथी के हरकत से खौफ में क्षेत्र के लोग
क्षेत्र में महावत को मारने वाले हाथी की चारों तरफ चर्चा चल रही है. जानकर लोगों का कहना है कि अगर कहीं हाथी किसी तरह से अपनी जकड़ खोलता है तो तबाही मचा देगा.
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हाथी को अपने महावत की हत्या का दुःख
जानकारों का कहना है हाथी एक संवेदनशील जानवर है. वह सभी बातों को भावनात्मक रूप से जान लेता है. उसे अपने महावत की हत्या का कही न कही आभास हो गया है और वह अब पछता भी रहा है, जिसका प्रमाण हाथी की आंख से निकलने वाले आंसुओं की जलधारा है.
महावतों से मैंने मुलाकात की है. हाथी अभी दो दिन यहीं रहेगा, जब तक कि इसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं हो जाता. भीड़-भाड़ अधिक होने के कारण हाथी लगातार चिंघाड़ मार रहा है. इसके बिदकने का भी डर बना हुआ है. फिलहाल इसको मजबूत जंजीरों में जकड़ा गया है. दो दिन बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी.
संजय कुमार, क्षेत्रीय वन अधिकारी, गोरखपुर