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मनमानी वसूली पर निजी अस्पतालों पर कार्रवाई, 20 को नोटिस और 2 पर FIR

कोरोना महामारी में आपदा को अवसर बनाकर निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों से की गई मनमानी वसूली अब उनको भारी पड़ने वाली है. शिकायतकर्ताओं के शिकायत को संज्ञान में लेने के बाद जांच कमेटी ने मनमानी वसूली करने वाले 20 से अधिक अस्पतालों को नोटिस जारी कर दिया है.

निजी अस्पतालों पर कार्रवाई
निजी अस्पतालों पर कार्रवाई
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Published : Jun 4, 2021, 2:29 PM IST

गोरखपुरः निजी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों से की गई मनमानी वसूली अब भारी पड़ने वाली है. मनमानी वसूली करने वाले 20 से अधिक अस्पतालों को जांच कमेटी ने नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही शिकायत की पुष्टि होने पर दो अस्पतालों का पंजीकरण भी निरस्त कर दिया है. जांच कमेटी को मिली शिकायत और उसके बाद मामले की जांच की गंभीरता इस बात से लगाई जा सकती है कि इसमें दो अस्पताल संचालक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. जिस हॉस्पिटल की मान्यता रद्द की गई है, उसका नाम शिवा हॉस्पिटल है. इसके साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन भी निलंबित कर दिया गया है. ईटीवी भारत ने मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ अपनी ख़बर प्रमुखता से चलाई थी.

निजी अस्पतालों पर कार्रवाई, 20 को नोटिस और 2 पर FIR

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तय शुल्क से निजी अस्पतालों ने वसूली थी ज्यादा फीस

शासन के निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे कोविड-19 का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों ने मरीजों से लिया था. जिसकी शिकायत कमिश्नर कार्यालय पर पहुंची थी. कमिश्नर ने इसकी जांच के लिए अपर आयुक्त न्यायिक रतीभान की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. जिसमें एडिशनल सीएमओ एके पांडे मुख्य भूमिका में थे. जिन अस्पतालों की शिकायत आई उन सभी के मालिकों को जांच कमेटी ने नोटिस भेजा था. जिन अस्पतालों ने अपने साक्ष्य और जवाब से जांच कमेटी को संतुष्ट किया और कुछ अस्पतालों ने जिला प्रशासन की हिदायत पर शिकायत कर्ताओं से लिए गए अधिक पैसे वापस किए. फिलहाल वो कार्रवाई से बच गए. लेकिन जिन अस्पतालों ने अभी तक सकारात्मक जवाब भी नहीं दिया और न ही पैसे वापस किए वो कार्रवाई की जद में आ गए. एडिशनल सीएमओ एके पांडेय ने ईटीवी भारत को बताया कि जो भी अस्पताल शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन किए हैं वह अपनी मान्यता तो खोएंगे ही, सुसंगत धाराओं में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. शासन ने एक दिन के इलाज का खर्च 12 हजार से 20 हजार तक निर्धारित किया था. वो भी अस्पतालों की ग्रेडिंग के हिसाब से. लेकिन यहां तो अस्पतालों ने मनमुताबिक फीस वसूल की है.

मनमानी वसूली पर निजी अस्पतालों पर कार्रवाई
मनमानी वसूली पर निजी अस्पतालों पर कार्रवाई

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शिवा और डिग्निटी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई

जिले में सबसे पहली कार्रवाई मेडिकल कॉलेज रोड स्थित चंद्रिका मेडिकल रिसर्च सेंटर पर हुई. जिसने मरीज को एक दिन भर्ती किया और चार्ज दो दिनों का वसूला था. ये आरोप अस्पताल पर सही पाया गया. जिससे उसका पंजीकरण निरस्त करते हुए संचालक पर एफआईआर भी कराई गई. इसी तरह डिग्निटी अस्पताल पर मनमानी वसूली और उचित इलाज न करने की दो-तीन शिकायतें हुई थीं. जांच में शिकायतें भी सही पाई गईं. इसलिए इस अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया. संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इसी प्रकार शहर के गोलघर स्थित शिवा हॉस्पिटल को भी नोटिस जारी कर जांच कमेटी ने जवाब मांगा था. लेकिन जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर प्रशासन ने हॉस्पिटल की मान्यता रद्द करने के साथ रजिस्ट्रेशन भी निलंबित कर दिया है. इस बीच कई अस्पतालों ने मरीजों के पैसे भी लौटाए हैं.

गोरखपुरः निजी अस्पतालों को कोविड-19 मरीजों से की गई मनमानी वसूली अब भारी पड़ने वाली है. मनमानी वसूली करने वाले 20 से अधिक अस्पतालों को जांच कमेटी ने नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही शिकायत की पुष्टि होने पर दो अस्पतालों का पंजीकरण भी निरस्त कर दिया है. जांच कमेटी को मिली शिकायत और उसके बाद मामले की जांच की गंभीरता इस बात से लगाई जा सकती है कि इसमें दो अस्पताल संचालक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है. जिस हॉस्पिटल की मान्यता रद्द की गई है, उसका नाम शिवा हॉस्पिटल है. इसके साथ ही उसका रजिस्ट्रेशन भी निलंबित कर दिया गया है. ईटीवी भारत ने मनमानी करने वाले अस्पतालों के खिलाफ अपनी ख़बर प्रमुखता से चलाई थी.

निजी अस्पतालों पर कार्रवाई, 20 को नोटिस और 2 पर FIR

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तय शुल्क से निजी अस्पतालों ने वसूली थी ज्यादा फीस

शासन के निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे कोविड-19 का इलाज करने वाले निजी अस्पतालों ने मरीजों से लिया था. जिसकी शिकायत कमिश्नर कार्यालय पर पहुंची थी. कमिश्नर ने इसकी जांच के लिए अपर आयुक्त न्यायिक रतीभान की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. जिसमें एडिशनल सीएमओ एके पांडे मुख्य भूमिका में थे. जिन अस्पतालों की शिकायत आई उन सभी के मालिकों को जांच कमेटी ने नोटिस भेजा था. जिन अस्पतालों ने अपने साक्ष्य और जवाब से जांच कमेटी को संतुष्ट किया और कुछ अस्पतालों ने जिला प्रशासन की हिदायत पर शिकायत कर्ताओं से लिए गए अधिक पैसे वापस किए. फिलहाल वो कार्रवाई से बच गए. लेकिन जिन अस्पतालों ने अभी तक सकारात्मक जवाब भी नहीं दिया और न ही पैसे वापस किए वो कार्रवाई की जद में आ गए. एडिशनल सीएमओ एके पांडेय ने ईटीवी भारत को बताया कि जो भी अस्पताल शासन की गाइडलाइन का उल्लंघन किए हैं वह अपनी मान्यता तो खोएंगे ही, सुसंगत धाराओं में उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. शासन ने एक दिन के इलाज का खर्च 12 हजार से 20 हजार तक निर्धारित किया था. वो भी अस्पतालों की ग्रेडिंग के हिसाब से. लेकिन यहां तो अस्पतालों ने मनमुताबिक फीस वसूल की है.

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शिवा और डिग्निटी अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई

जिले में सबसे पहली कार्रवाई मेडिकल कॉलेज रोड स्थित चंद्रिका मेडिकल रिसर्च सेंटर पर हुई. जिसने मरीज को एक दिन भर्ती किया और चार्ज दो दिनों का वसूला था. ये आरोप अस्पताल पर सही पाया गया. जिससे उसका पंजीकरण निरस्त करते हुए संचालक पर एफआईआर भी कराई गई. इसी तरह डिग्निटी अस्पताल पर मनमानी वसूली और उचित इलाज न करने की दो-तीन शिकायतें हुई थीं. जांच में शिकायतें भी सही पाई गईं. इसलिए इस अस्पताल का पंजीकरण निरस्त कर दिया गया. संचालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इसी प्रकार शहर के गोलघर स्थित शिवा हॉस्पिटल को भी नोटिस जारी कर जांच कमेटी ने जवाब मांगा था. लेकिन जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर प्रशासन ने हॉस्पिटल की मान्यता रद्द करने के साथ रजिस्ट्रेशन भी निलंबित कर दिया है. इस बीच कई अस्पतालों ने मरीजों के पैसे भी लौटाए हैं.

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