गोण्डा: प्रशासन की उदासीनता के चलते माइनर खोदे जाने के 18 वर्ष बाद भी खेतों तक पानी नहीं पहुंचा. आपको बताते चलें कि वर्ष 2001 में ग्राम पंचायत जेठपुरवा पुरवा से होते हुए जगदीशपुर बल्दी माइनर का निर्माण हुआ था, लेकिन करीब 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस माइनर में पानी नहीं आया.
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पानी के लिए तरस रहे किसान
गोण्डा जिले के कई गांवों के माइनरों का यही हाल है. जनपद के रुपईडीह की माइनर में पानी ही नहीं है, जबकि उसकी पुनर्स्थापना के लिए इस वर्ष 25 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है. बावजूद इसके अब तक जिले के किसान पानी के लिए तरस रहे हैं.
निजी संसाधनों से कर रहे सिचाई
किसानों ने बताया कि वर्ष 2001 में जगदीशपुर बल्दी माइनर की खुदाई हुई थी. इसके बाद भी पानी नहीं छोड़ा गया. धान रोपाई का मौसम चल रहा है, ऐसे में किसान निजी संसाधनों के माध्यम से धान की रोपाई कर रहे हैं.
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प्रशासन नहीं ले रहा सुध
किसानों ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन कोई भी उनकी सुध नहीं ले रहा है. उनका कहना है कि सरकार ने उपजाऊ जमीन को खोद तो डाला पर जिस उद्देश्य से यह बनाई गई थी, उसकी पूर्ति नहीं हो सकी.
लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी माइनर में गैप
पुनर्स्थापना के नाम पर लाखों खर्च होने के बाद भी किसानों के खेत तक पानी नहीं पहुंचा. बीते 4 माह पूर्व पुनर्स्थापना के नाम पर करीब 30 लाख रुपये डकार लिए गए. फिर भी माइनर में जगह-जगह गैप है.
अब 18 वर्षो के बीत जाने के बाद भी माइनरों में गैप होना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है. हर वर्ष इन माइनरों की साफ-सफाई के लिए लाखों रुपये का बजट आता है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजारा दिखता है.