गोंडा: कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी के चलते देश में लॉकडाउन है. ऐसे में गरीब के लिये देश पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की है. इस योजना से जहां सरकार अंत्योदय कार्ड धारकों को मुफ्त में राशन मुहैया करा रही है, वहीं गरीब परिवारों को प्रति यूनिट 5 किलो अतिरिक्त चावल देने का आदेश दिया था.
वहीं सरकार की यह योजना जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई. हालांकि भ्रष्टाचार पर मुहर तब लगी जब प्रमुख सचिव ने डीएम को भेजे गये पत्र में गोदाम से खाद्यान्न कम दिए जाने की बात लिखी. इस बात को लेकर जिला प्रशासन में खलबली मच गई है. आनन-फानन में तीन सदस्यीय टीम गठित कर इसकी जांच शुरू कर दी गई है.
हर गरीब को उसके हक का पूरा राशन मिले इसकी जिम्मेदारी आपूर्ति विभाग की है. आपूर्ति विभाग पर्यवेक्षक की तैनाती कर राशन का वितरण कराता है, लेकिन वितरण से पहले गोदाम से खाद्यान उठान की जिम्मेदारी खाद्य विपणन विभाग संभालता है. लेकिन यहां पर किसी की नजर नहीं पहुंचती. विपणन विभाग के अफसरों के शिथिल रवैये का फायदा उठाकर खाद्यान माफिया गोदाम से राशन की घटतौली करा रहे हैं. ऐसे मे कोटेदार को प्रति बोरी 4-5 किलो खाद्यान कम मिल रहा है. अगर कोटेदार इसकी शिकायत करता है तो उसे कार्रवाई की धमकी देकर चुप करा दिया जाता है,.
वहीं इस पूरे मामले में खाद्यान उठान की जिम्मेदारी संभालने वाले खाद्य विपणन विभाग की शिथिलता की पुष्टि तब हुई जब शासन ने यह माना कि गोदाम से ही खाद्यान दुकानदारों को राशन कम दिया जा रहा है. खाद्यान विभाग की प्रमुख सचिव ने डीएम को पत्र भेजकर तहसीलदार या उसके समकक्ष अधिकारी की मौजूदगी में खाद्यान निकासी कराने का निर्देश दिया है. वहीं खाद्यान घटतौली करने का आरोप झेल रहे कोटेदारों को भी इस पत्र के बाद राहत मिली है.
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चौरी हरसोपट्टी के कोटेदार संतराम तिवारी का कहना है कि गोदाम पर तौल के लिए जो तराजू लगाया गया है. वह 25 कुंतल का है. इस 25 कुंतल में ही हमे 5 प्रतिशत खाद्यान कम दिया जाता है. कोटेदार के जो राशन दिया जाता है उसे जब वह घर जाकर उसकी तौल करते हैं तो 50 किलो की बोरी 48 से 43 किलो की ही ठहरती है.
वहीं देवी पाटन मंडल के संभागीय खाद्य नियंत्रक दिनेश शर्मा से जब इस पर बात की गई तो उनका कहना था कि शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी की तरफ से नोडल अफसर तैनात किए गए हैं. अगर कहीं इस तरह की शिकायत आती है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.