गोण्डा: जब आप दिव्यांग बच्चों को देखते हैं तो जाहिर तौर पर आप भी सोचते होंगे कि ये कैसे पढ़ेंगे या कैसे आगे बढ़ेंगे. बार-बार लगता है कि इनकी दिव्यांगता शिक्षा ग्रहण करने में आड़े आएगी, लेकिन एक्सीलरेटेड कैंप में बच्चे अपनी कमजोरियों को मात देकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. मूक, बधिर व दृष्टिबाधित बच्चों के पढ़ने की रुचि देखकर आपको हैरत होगी.
इस कैंप के माध्यम से इन बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा हैं. एक्सीलरेटेड कैंप में पढ़ने वाले कई बच्चे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना परचम लहरा चुके हैं. फिलहाल, ये कैंप गोण्डा में एकलौता ऐसा संस्थान है, जहां दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती है.
मुख्यालय के महाराजगंज विद्यालय में स्थित कम्पोजिट विद्यालय में एक्सीलरेटेड कैंप का संचालन किया जाता है. वर्तमान समय में यहां पर 60 बच्चों का नामांकन किया गया है. यह वह बच्चे हैं, जो शारीरिक रूप से विशेष अक्षम है. ब्रेल पद्धति से इनको शिक्षा दी जाती है. इसके लिए इन्हें विशेष सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है. इस सामग्री में ब्रेल किट, ब्रेल स्लेट, टेलर फ्रेम और अबेकस दिया गया है. ब्रेल स्लेट के माध्यम से बच्चे जहां भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं तो वही ट्रेलर फ्रेम से गणितीय विधि सीखते हैं और अबेकस की मदद से इन्हें गिनती और पहाड़ा सिखाया जाता है.
कैसे होती हैं यहां पढ़ाई
ब्रेल भाषा सिक्स डॉट पद्धत पर आधारित होती है. इन्हीं छह बिंदुओं के माध्यम से बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी भाषा का बोध कराया जाता है. श्रवण बाधित बच्चों को सांकेतिक भाषा एवं चित्रों के माध्यम से शब्दों का ज्ञान दिया जाता है. श्रवण बाधित बच्चे सांकेतिक भाषा को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं. दृष्टिबाधित बच्चों के विशेष अध्यापक सुमित मिश्रा ने बताया कि टच (छूने) के माध्यम से उन्हें सबसे पहले दैनिक क्रियाविधि के बारे में बताते हैं. उसके बाद ब्रेल लिपि के माध्यम से उन्हें हम 6 डॉट के द्वारा लिखना पढ़ना आदि सिखाते हैं. इसी 6 डॉट की मदद से अक्षर ज्ञान भी कराया जाता है.
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ये चीजें दिव्यांग बच्चों के लिए सीखना आवश्यक
इसी तरह श्रवण बाधित बच्चों के विशेष अध्यापक रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि जो बच्चे सुन नहीं पाते हैं उनके लिये हम सम्पूर्ण सम्प्रेषण का प्रयोग करते हैं. इसमें फिंगर स्पेलिंग, लिप रीडिंग, जेस्चर, आदि का प्रयोग कर हम बच्चों को सिखाते हैं.
इस बाबत समग्र शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक समेकित शिक्षा राजेश सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसे 4616 बच्चों को चिन्हित किया गया है. उनमें से भी गंभीर समस्याओं वाले 60 बच्चे को यहां पढ़ते हैं. उन्होंने बताया कि जनपद में इस विद्यालय को छोड़ कर अन्य कोई विद्यालय दिव्यांग बच्चों के लिए नहीं है. उन्हें अन्य जनपदों में पढ़ने की लिए जाना पड़ता है.