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गोण्डा: एक्सीलरेटेड कैंप में बुना जा रहा दिव्यांग बच्चों का भविष्य - दिव्यांग बच्चों के लिए एक्सीलरेटेड कैंप

गोण्डा में एक्सीलरेटेड कैंप में दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. पूरे जिले से 60 बच्चों का चयन किया गया है. इन बच्चों को प्ररंभिक शिक्षा दी जा रही है.

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एक्सीलरेटेड कैंप में बुना जा रहा दिव्यांग बच्चों का भविष्य
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Published : Dec 26, 2019, 8:10 AM IST

गोण्डा: जब आप दिव्यांग बच्चों को देखते हैं तो जाहिर तौर पर आप भी सोचते होंगे कि ये कैसे पढ़ेंगे या कैसे आगे बढ़ेंगे. बार-बार लगता है कि इनकी दिव्यांगता शिक्षा ग्रहण करने में आड़े आएगी, लेकिन एक्सीलरेटेड कैंप में बच्चे अपनी कमजोरियों को मात देकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. मूक, बधिर व दृष्टिबाधित बच्चों के पढ़ने की रुचि देखकर आपको हैरत होगी.

एक्सीलरेटेड कैंप में बुना जा रहा दिव्यांग बच्चों का भविष्य.

इस कैंप के माध्यम से इन बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा हैं. एक्सीलरेटेड कैंप में पढ़ने वाले कई बच्चे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना परचम लहरा चुके हैं. फिलहाल, ये कैंप गोण्डा में एकलौता ऐसा संस्थान है, जहां दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती है.

मुख्यालय के महाराजगंज विद्यालय में स्थित कम्पोजिट विद्यालय में एक्सीलरेटेड कैंप का संचालन किया जाता है. वर्तमान समय में यहां पर 60 बच्चों का नामांकन किया गया है. यह वह बच्चे हैं, जो शारीरिक रूप से विशेष अक्षम है. ब्रेल पद्धति से इनको शिक्षा दी जाती है. इसके लिए इन्हें विशेष सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है. इस सामग्री में ब्रेल किट, ब्रेल स्लेट, टेलर फ्रेम और अबेकस दिया गया है. ब्रेल स्लेट के माध्यम से बच्चे जहां भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं तो वही ट्रेलर फ्रेम से गणितीय विधि सीखते हैं और अबेकस की मदद से इन्हें गिनती और पहाड़ा सिखाया जाता है.

कैसे होती हैं यहां पढ़ाई
ब्रेल भाषा सिक्स डॉट पद्धत पर आधारित होती है. इन्हीं छह बिंदुओं के माध्यम से बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी भाषा का बोध कराया जाता है. श्रवण बाधित बच्चों को सांकेतिक भाषा एवं चित्रों के माध्यम से शब्दों का ज्ञान दिया जाता है. श्रवण बाधित बच्चे सांकेतिक भाषा को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं. दृष्टिबाधित बच्चों के विशेष अध्यापक सुमित मिश्रा ने बताया कि टच (छूने) के माध्यम से उन्हें सबसे पहले दैनिक क्रियाविधि के बारे में बताते हैं. उसके बाद ब्रेल लिपि के माध्यम से उन्हें हम 6 डॉट के द्वारा लिखना पढ़ना आदि सिखाते हैं. इसी 6 डॉट की मदद से अक्षर ज्ञान भी कराया जाता है.

पढ़ें: गोरखपुर: लोक वाद्ययंत्रों की धुनों से सजी जनजातीय लोकोत्सव की शाम

ये चीजें दिव्यांग बच्चों के लिए सीखना आवश्यक
इसी तरह श्रवण बाधित बच्चों के विशेष अध्यापक रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि जो बच्चे सुन नहीं पाते हैं उनके लिये हम सम्पूर्ण सम्प्रेषण का प्रयोग करते हैं. इसमें फिंगर स्पेलिंग, लिप रीडिंग, जेस्चर, आदि का प्रयोग कर हम बच्चों को सिखाते हैं.

इस बाबत समग्र शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक समेकित शिक्षा राजेश सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसे 4616 बच्चों को चिन्हित किया गया है. उनमें से भी गंभीर समस्याओं वाले 60 बच्चे को यहां पढ़ते हैं. उन्होंने बताया कि जनपद में इस विद्यालय को छोड़ कर अन्य कोई विद्यालय दिव्यांग बच्चों के लिए नहीं है. उन्हें अन्य जनपदों में पढ़ने की लिए जाना पड़ता है.

गोण्डा: जब आप दिव्यांग बच्चों को देखते हैं तो जाहिर तौर पर आप भी सोचते होंगे कि ये कैसे पढ़ेंगे या कैसे आगे बढ़ेंगे. बार-बार लगता है कि इनकी दिव्यांगता शिक्षा ग्रहण करने में आड़े आएगी, लेकिन एक्सीलरेटेड कैंप में बच्चे अपनी कमजोरियों को मात देकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. मूक, बधिर व दृष्टिबाधित बच्चों के पढ़ने की रुचि देखकर आपको हैरत होगी.

एक्सीलरेटेड कैंप में बुना जा रहा दिव्यांग बच्चों का भविष्य.

इस कैंप के माध्यम से इन बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से जोड़ा जा रहा हैं. एक्सीलरेटेड कैंप में पढ़ने वाले कई बच्चे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना परचम लहरा चुके हैं. फिलहाल, ये कैंप गोण्डा में एकलौता ऐसा संस्थान है, जहां दिव्यांग बच्चों को शिक्षा दी जाती है.

मुख्यालय के महाराजगंज विद्यालय में स्थित कम्पोजिट विद्यालय में एक्सीलरेटेड कैंप का संचालन किया जाता है. वर्तमान समय में यहां पर 60 बच्चों का नामांकन किया गया है. यह वह बच्चे हैं, जो शारीरिक रूप से विशेष अक्षम है. ब्रेल पद्धति से इनको शिक्षा दी जाती है. इसके लिए इन्हें विशेष सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है. इस सामग्री में ब्रेल किट, ब्रेल स्लेट, टेलर फ्रेम और अबेकस दिया गया है. ब्रेल स्लेट के माध्यम से बच्चे जहां भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं तो वही ट्रेलर फ्रेम से गणितीय विधि सीखते हैं और अबेकस की मदद से इन्हें गिनती और पहाड़ा सिखाया जाता है.

कैसे होती हैं यहां पढ़ाई
ब्रेल भाषा सिक्स डॉट पद्धत पर आधारित होती है. इन्हीं छह बिंदुओं के माध्यम से बच्चों को हिंदी और अंग्रेजी भाषा का बोध कराया जाता है. श्रवण बाधित बच्चों को सांकेतिक भाषा एवं चित्रों के माध्यम से शब्दों का ज्ञान दिया जाता है. श्रवण बाधित बच्चे सांकेतिक भाषा को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं. दृष्टिबाधित बच्चों के विशेष अध्यापक सुमित मिश्रा ने बताया कि टच (छूने) के माध्यम से उन्हें सबसे पहले दैनिक क्रियाविधि के बारे में बताते हैं. उसके बाद ब्रेल लिपि के माध्यम से उन्हें हम 6 डॉट के द्वारा लिखना पढ़ना आदि सिखाते हैं. इसी 6 डॉट की मदद से अक्षर ज्ञान भी कराया जाता है.

पढ़ें: गोरखपुर: लोक वाद्ययंत्रों की धुनों से सजी जनजातीय लोकोत्सव की शाम

ये चीजें दिव्यांग बच्चों के लिए सीखना आवश्यक
इसी तरह श्रवण बाधित बच्चों के विशेष अध्यापक रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि जो बच्चे सुन नहीं पाते हैं उनके लिये हम सम्पूर्ण सम्प्रेषण का प्रयोग करते हैं. इसमें फिंगर स्पेलिंग, लिप रीडिंग, जेस्चर, आदि का प्रयोग कर हम बच्चों को सिखाते हैं.

इस बाबत समग्र शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक समेकित शिक्षा राजेश सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसे 4616 बच्चों को चिन्हित किया गया है. उनमें से भी गंभीर समस्याओं वाले 60 बच्चे को यहां पढ़ते हैं. उन्होंने बताया कि जनपद में इस विद्यालय को छोड़ कर अन्य कोई विद्यालय दिव्यांग बच्चों के लिए नहीं है. उन्हें अन्य जनपदों में पढ़ने की लिए जाना पड़ता है.

Intro:ऐसा नहीं है, कि शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को उनकी दिव्यांगता शिक्षा ग्रहण करने में आड़े आती है। एक्सीलरेटेड कैंप में दिव्यांगता को मात देकर बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । मूक बधिर व दृष्टिबाधित बच्चों के पढ़ने की रुचि को देखकर आप दंग रह जाएंगे इस कैंप के माध्यम से इनको प्रारंभिक शिक्षा देकर शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा यहां शिक्षा ग्रहण करके कई बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा चुके हैं यह जिले का एकमात्र शिक्षण संस्थान है जहां पर शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को शिक्षा दी जाती है।




Body:मुख्यालय के महाराजगंज विद्यालय में स्थित कम्पोजिट विद्यालय में एक्सीलरेटेड कैंप का संचालन किया जाता है। वर्तमान समय में यहां पर 60 बच्चों का नामांकन किया गया है यह वह बच्चे हैं जो शारीरिक रूप से विशेष अक्षम है। ब्रेल पद्धति से इनको शिक्षा दी जाती है इसके लिए इन्हें विशेष सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है मसलन ब्रेल किट ब्रेल स्लेट, टेलर फ्रेम तथा अबेकस दिया गया है ब्रेल स्लेट के माध्यम से बच्चे जहां भाषा का ज्ञान प्राप्त करते हैं वही ट्रेलर फ्रेम से गणितीय विधि तथा अबेकस से गिनती पहाड़ा का इन्हें ज्ञान कराया जाता है ब्रेल भाषा सिक्स डॉट पद्धत पर आधारित होती है इन्हीं छह बिंदुओं के माध्यम से इन्हें हिंदी अंग्रेजी बोध कराया जाता है श्रवण बाधित बच्चों को सांकेतिक भाषा एवं चित्रों के माध्यम से शब्दों का ज्ञान दिया जाता है श्रवण बाधित बच्चे सांकेतिक भाषा को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं। दृष्टिबाधित बच्चो के विशेष अध्यापक सुमित मिश्रा ने बताया कि टच के माध्यम से उन्हें सबसे पहले उन्हें हम दैनिक क्रियाविधि के बारे में बताते हैं उसके बाद ब्रेल लिपि के माध्यम से उन्हें हम 6 डॉट के द्वारा लिखना पढ़ना आदि सिखाते हैं। इसी 6 डॉट से हम ए से जेड व नंबर आदि को सिखाते हैं। इसी तरह श्रवनबाधित बच्चो के विशेष अध्यापक रवि प्रताप सिंह ने बताया कि जो बच्चे सुन नहीं पाते हैं उनके लिये हम सम्पूर्ण सम्प्रेषण का प्रयोग करते हैं। इसमें हमें चेहरे के हाव भाव से लेकर फिंगर स्पेलिंग लिप रीडिंग गेस्चर, इन सारे सम्प्रेषण का प्रयोग कर हम बच्चो को सिखाते हैं।



Conclusion:इस बाबत समग्र शिक्षा अभियान के जिला समन्वयक समेकित शिक्षा राजेश सिंह ने बताया कि जनपद में ऐसे 4616 बच्चो को चिन्हित किया गया है। उनमें से भी गंभीर समस्याओं वाले 60 बच्चे यहाँ पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में इस विद्यालय को छोड़ कर अन्य कोई विद्यालय दिव्यांग बच्चो के लिए नहीं है उन्हें अन्य जनपदों में पढ़ने की लिए जाना पड़ता है।

बाईट- सुमित मिश्रा( अध्यापक)
बाईट- रवि प्रताप सिंह(अध्यापक)
बाईट- राजेश सिंह( जिला समन्वयक समेकित शिक्षा)
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