गाजीपुर: जिले का एकमात्र जंगल जिसे सोनहरिया वन कहा जाता है और इस जंगल की लकड़ी को कोई भी इस जंगल से बाहर ले जा नहीं सकता है. इसका कारण है कि इस लकड़ी को जो कोई भी बाहर ले गया उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है. पिछले कई सालों से इस वन की रक्षा सिद्ध बाबा और शहीद बाबा करते हैं. इसलिए यह वन हिंदू मुस्लिम आस्था का केंद्र बिंदु है. क्योंकि हिंदू परिवार भी शहीद बाबा के दहलीज पर मत्था टेकता है और मुस्लिम परिवार भी शहीद बाबा के दरबार में मत्था टेकता है.
36 एकड़ में फैला है सोनहरिया वन
जनपद गाजीपुर का यह सोनहरिया वन है. यह वन करीब 36 एकड़ में फैला हुआ है. इस वन में तमाम तरह के पेड़ और औषधि युक्त पेड़ भी हैं. जहां पर आयुर्वेद को जानने वाले लोग हमेशा यहां पर आते रहते हैं. यहां की मान्यता है कि जंगल के चारों ओर लोगों के खेत हैं और यदि कभी भी इस जंगल का पेड़ सूखकर या किसी वजह से टूट कर लोगों के खेतों में गिर जाता है तो लोग अपनी खेती उतनी जगह से पीछे कर लेते हैं, क्योंकि उन्हें किसी अनहोनी की आशंका होती है. इसी तरह यदि इस जंगल में भी पेड़ टूट कर गिर जाते हैं, तो लोग इसे अपने घर नहीं ले जाते हैं. बल्कि लकड़ी को जंगल के अंदर ही छोड़ देते है.
हिंदू-मुस्लिम आस्था का केंद्र है यह वन
यह जंगल हिंदू-मुस्लिम आस्था का केंद्र बिंदु भी है. इस कारण है कि इस जंगल की रक्षा खुद दोनों समुदाय के महापुरुष करते हैं, हिंदू समाज के सिद्ध बाबा का मंदिर जंगल शुरू होने पर ही मिलता है, वहीं मुस्लिम समाज के शहीद बाबा का मजार जंगल के दूसरी छोर पर मिलती है. यहां की मान्यता है कि दोनों समाज के लोग अपने हिंदू-मुस्लिम वैमनस्यता को छोड़कर यहां पर आते हैं और दोनों जगहों पर अपना मत्था टेकते हैं.
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स्थानीय निवासी देवकीनंदन बताते हैं कि आज भी सिद्ध बाबा और शहीद बाबा में मित्रता देखने को मिलती है, जो दोनों लोग रात्रि के समय इस जंगल के चारों और घूम कर इस जंगल की रक्षा करते हैं. जिसके वजह से इस जंगल के चारों और बसने वाले गांव का आज तक किसी भी प्रकार का अनिष्ट नहीं हो पाया है.
विगत 7 वर्षों में एक भी पौधा सरकार के तरफ से नहीं लगाया गया
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले 7 साल में वन विभाग की तरफ से कोई भी वृक्षारोपण का कार्यक्रम नहीं किया गया है. वहीं वन विभाग के एसडीओ ने बताया कि इस वन में लगातार वन महोत्सव का कार्यक्रम किया जाता रहा है और आगे आने वाले समय में भी वन महोत्सव आयोजित कर जंगल को संरक्षित करने का कार्य किया जाएगा.