गाजीपुर: जिले को शहीदों की धरती भी कहा जाता है. वहीं जिले के लाल महेश कुमार कुशवाहा के शहादत के बाद से परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. कहने को तो एक साल हो गए हैं, लेकिन सरकार की उपेक्षा ने परिवार की समस्याओं को बढ़ा दिया है. परिवार अपने बेटे की शहादत को यादकर रो रहा है. शहीद महेश कुशवाहा की मां, पिता, पत्नी और बच्चे सभी मायूस हैं. महेश कुशवाहा की शहादत के एक साल पूरे हो गए, लेकिन सरकारी ऐलान के मुताबिक न शहीद के नाम पर सड़क बनी और न ही पत्नी को नौकरी मिली. हद तो तब हो गई जब बच्चों की पढ़ाई के लिए मिलने वाला भत्ता तक नहीं मिल सका. ऐसे में शहीद के परिवार की नजर में सारे वादे अब झूठे साबित हो गए हैं. जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटाने के बाद भी कहीं से कोई मदद मिलती नहीं दिख रही है.
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में आतंकी हमले के दौरान गाजीपुर के लाल महेश कुशवाहा शहीद हो गए थे. 12 जून 2019 को देश की रक्षा करते हुए जिले का ये लाल शहीद हो गया था. महेश का पार्थिव शरीर जब उनके पैतृक गांव जैतपुरा पहुंचा तो सबकी आंखें नम थीं. शहीद की पार्थिव शरीर के साथ योगी सरकार के मंत्री नीलकंठ तिवारी भी पहुंचे थे. इस दौरान यह ऐलान हुआ था कि शहीद के नाम पर सड़क, द्वार और पार्क बनाया जाएगा. साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी दी जाएगी, लेकिन यह ऐलान हकीकत में तब्दील नहीं हुआ.
साल भर बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ वादा
शहीद की पिछले माह 12 जून को बरसी थी. गाजीपुर के लाल की शहादत को 1 साल से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बाद भी न उनके नाम पर सड़क बनी, न ही पार्क... वहीं न पत्नी को नौकरी मिली और न बच्चों को पढ़ाई के लिए भत्ता मिला. शहीद के घर तक बनाई जाने वाली सड़क इतनी बदहाल की जो शायद जिले में बदहाली की मिसाल पेश कर रही है. सवाल यह है कि गाजीपुर जिला प्रशासन और सरकार की तरफ से शहीद के परिजनों और शहीद को यह कैसा सम्मान दिया जा रहा है, जो महज कागजों तक ही सिमटकर रह गया है.
ग्रामीणों कर रहे वादा पूरा करने की मांग
खास बात यह है कि जिला प्रशासन की ओर से शहीद के नाम पर बनाई जाने वाली सड़क की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बारिश के मौसम में सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे पानी और कीचड़ का अंबार है. दावों के मुताबिक शहीद के घर तक पक्की सड़क बनाई जानी थी, लेकिन हालात यह हैं कि ग्रामीण अपनी जान जोखिम में डालकर सड़क पर चलने को मजबूर है. इन हालातों में ग्रामीणों की मांग है कि शहीद के नाम पर बनने वाली सड़क को जल्द ही बनाया जाए.
बच्चों की पढ़ाई तक के लिए नहीं मिल रहा भत्ता
सीआरपीएफ जवान महेश कुशवाहा के पिता ने कहा कि उनका बेटा 12 जून 2019 को शहीद हो गया. जब बेटे का पार्थिव शरीर आया तो सारा प्रशासन और प्रदेश सरकार के मंत्री नीलकंठ तिवारी भी गाजीपुर पहुंचे. ऐलान किया गया कि शहीद की पत्नी को नौकरी मिलेगी, लेकिन कुछ नहीं हुआ, स्मारक भी नहीं बना, शहीद बेटे के नाम से बनने वाली सड़क तक नहीं बनी. बच्चों को पढ़ने के लिए एजुकेशन एलाउंस भी नहीं मिला. शहीद की मां ने कहा बीवी का सिंगार गया और मेरी तो गोद ही सुनी हो गई. कोई मुझे मेरा बेटा नहीं लौटाएगा, लेकिन कम से कम बच्चों को पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई में मदद मिल जाती तो अच्छा होता, मगर वो भी नहीं हो रहा है. शहीद की पत्नी की मानें तो सरकार के सारे दावे महज खोखले ही निकले, क्योंकि हमारे परिवार को कुछ नहीं मिला. उन्होंने बताया कि डीएम और राज्यपाल के यहां जा चुके हैं, लेकिन कोई किसी ने हमारी कोई मदद नहीं की. जो पैसा बच्चों की पढ़ाई का मिलना था, वह भी नहीं मिल रहा है. सरकार से जो पैसे उस वक्त मिले थे, किसी तरह उसी से गुजारा चल रहा है.
शहीद के परिवार की अनदेखी के मामले को लेकर जब जिलाधिकारी ओम प्रकाश आर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में ऐसे 2 प्रकरण हैं. एक में शासन से अनुमति मिल चुकी है और दूसरे प्रकरण में उन्होंने अनुमति के लिए रिमाइंडर भेजा है. वे कोशिश करेंगे कि जल्द ही शासन से संपर्क स्थापित कर उन्हें सेवा में लिए जाने की शासन से अनुमति प्राप्त कर ली जाए. जैसे ही शासन से अनुमति मिलेगी, उनके वारिस को नौकरी दे दी जाएगी. शहीद के नाम पर बनाई जाने वाली सड़क और सिंह द्वार को लेकर किए गए सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा कि इस प्रकरण को दिखवाया जाएगा और कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट से टाइअप कर पूरी कोशिश का जाएगी कि जल्द से जल्द इसका निर्माण कराया जाए.