गाजीपुरः बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के विरुद्ध मुहम्मदाबाद कोतवाली में शुक्रवार को आर्म एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज हुई. यह एफआईआर उसी कोतवाली के एसआई राजेश त्रिपाठी ने दर्ज कराई है. गौरतलब है कि मऊ क्षेत्र के विधायक मुख्तार अंसारी के विरुद्ध पहले से कई मुकदमे चल रहे हैं.
तत्कालीन डीएम ने निरस्त किया था लाइसेंस
कोतवाल मुहम्मदाबाद अशेषनाथ सिंह ने बताया, मुख्तार अंसारी का राइफल का लाइसेंस 2017 में तथा बंदूक का उनका लाइसेंस 1996 में डीएम ने निरस्त कर दिया था. नोटिस तामील कराए जाने के बावजूद न तो असलहे और न उनके लाइसेंस ही मुख्तार अंसारी ने जमा कराए, लिहाजा इस मामले में मुख्तार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है. मालूम हो कि मुख्तार अंसारी इन दिनों बांदा जेल में निरुद्ध हैं. पुलिस फाइल में अंतर प्रांतीय गैंग (आईएस-191) के सरगना के रूप में उनका नाम दर्ज है.
इसे भी पढ़ेंः अतीक अहमद पर ईडी का हंटर, रडार पर हैं कई और माफिया
सीबीसीआईडी ने मुकदमा दर्ज कराया था
सूत्रों की मानें तो 1997 में अवैध शस्त्र के मामले में सीबीसीआईडी ने मुकदमा दर्ज कराया था और वह मामला एमपी एमएलए कोर्ट प्रयागराज में चल रहा है. उसी कोर्ट के एक सम्मन को लेकर पूर्व में गाजीपुर पुलिस पंजाब जेल तक पहुंची थी और सम्मन तामील कराया था.
पहले से चल रहे हैं कई मुकदमे
मुख्तार अंसारी पर दर्ज मुकदमों की फेहरिस्त लंबी है. यूपी में मुख्तार पर कुल 53 मुकदमे दर्ज हैं. फिलहाल मुख्तार अंसारी बांदा जेल में बंद है. यहां पर तमाम सख्ती तो है ही, ड्रोन कैमरे से भी निगरानी की जा रही है. उन्होंने हाल ही में पंजाब की रोपड़ जेल से शिफ्ट करके बांदा लाया गया है. मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा 1988 में गाजीपुर जिले में दर्ज हुआ था लेकिन माना जाता है कि 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णानंद की हत्या के साथ उसका गुनाहों की दुनिया में प्रवेश हुआ. राजनीतिक जीवन की बात करें तो 1996 में मुख्तार ने मऊ की विधानसभा सीट पर चुनाव जीता. मुख्तार तब से पांचवीं बार विधायक बने हैं. एक बार बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर, दो बार निर्दलीय और एक बार खुद की बनाई पार्टी कौमी एकता दल से चुनाव लड़कर उन्होंने जीत हासिल की. फिलहाल वह बहुजन समाज पार्टी से विधायक हैं.