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IMT कॉलेज जमीन प्रकरण मामला, कॉलेज को चुकाने होंगे 60 करोड़ - इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी

गाजियाबाद में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी की जमीन के आवंटन पर हुई सुनवाई के दौरान आईएमटी कॉलेज प्रबंधन ने पुरानी दर पर ब्याज लगाकर जमीन की कीमत तय करने का प्रस्ताव रखा है.

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Published : Sep 1, 2019, 5:53 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी गाजियाबाद की जमीन के आवंटन पुनः बहाल करने के मामले में प्रमुख सचिव ने देर रात लखनऊ में सुनवाई जारी की थी.

इसे भी पढ़ें- सहारनपुर: आयुष मंत्री की फटकार से हताश मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने दिया इस्तीफा

सुनवाई के दौरान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह वर्तमान सर्कल रेट लेकर ही जमीन का आवंटन कर सकते हैं. जिसकी कीमत करीब 60 करोड़ रुपये है. वही आईएमटी कॉलेज प्रबंधन ने पुरानी दर पर ब्याज लगाकर जमीन की कीमत तय करने का प्रस्ताव रखा है.

IMT कॉलेज को चुकाने होंगे 60 करोड़
अब प्रमुख सचिव आवास इस मामले पर निर्णय लेंगे, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जाएगा. आपको बता दें कि आईएमटी कॉलेज को राज नगर सेक्टर 20 में साल 1981 में 11 हजार 503 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी. तब आईएमटी को 1.95 लाख रुपये देने थे.

भुगतान के संबंध में नोटिस जारी
आवंटन के बाद भी आईएमटी ने जमीन का भुगतान नहीं किया गया था. साल 1994 तक जीडीए की तरफ से आईएमटी कॉलेज प्रबंधन को लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भी भेजा गया था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से फिर जीडीए भी पैसा मांगना भूल गया और आईएमटी ने भुगतान भी नहीं किया.

शासन ने की थी मामले की जांच
गौरतलब है कि इस मामले में काउंसलर राजेन्द्र त्यागी ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी. इसके बाद शासन स्तर पर इस पूरे मामले की जांच कराई गई. जांच में आरोप सही पाये जाने पर जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया. जिसके खिलाफ आईएमटी प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहां से आईएमटी प्रबंधन को यह आदेश दिया गया कि पहले वह 5 करोड़ पर जीडीए में जमा कराये उसके बाद इस मामले पर सुनवाई होगी.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी गाजियाबाद की जमीन के आवंटन पुनः बहाल करने के मामले में प्रमुख सचिव ने देर रात लखनऊ में सुनवाई जारी की थी.

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सुनवाई के दौरान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह वर्तमान सर्कल रेट लेकर ही जमीन का आवंटन कर सकते हैं. जिसकी कीमत करीब 60 करोड़ रुपये है. वही आईएमटी कॉलेज प्रबंधन ने पुरानी दर पर ब्याज लगाकर जमीन की कीमत तय करने का प्रस्ताव रखा है.

IMT कॉलेज को चुकाने होंगे 60 करोड़
अब प्रमुख सचिव आवास इस मामले पर निर्णय लेंगे, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जाएगा. आपको बता दें कि आईएमटी कॉलेज को राज नगर सेक्टर 20 में साल 1981 में 11 हजार 503 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी. तब आईएमटी को 1.95 लाख रुपये देने थे.

भुगतान के संबंध में नोटिस जारी
आवंटन के बाद भी आईएमटी ने जमीन का भुगतान नहीं किया गया था. साल 1994 तक जीडीए की तरफ से आईएमटी कॉलेज प्रबंधन को लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भी भेजा गया था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से फिर जीडीए भी पैसा मांगना भूल गया और आईएमटी ने भुगतान भी नहीं किया.

शासन ने की थी मामले की जांच
गौरतलब है कि इस मामले में काउंसलर राजेन्द्र त्यागी ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी. इसके बाद शासन स्तर पर इस पूरे मामले की जांच कराई गई. जांच में आरोप सही पाये जाने पर जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया. जिसके खिलाफ आईएमटी प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहां से आईएमटी प्रबंधन को यह आदेश दिया गया कि पहले वह 5 करोड़ पर जीडीए में जमा कराये उसके बाद इस मामले पर सुनवाई होगी.

Intro:गाजियाबाद : इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी गाजियाबाद की जमीन के आवंटन पुनः बहाल करने के मामले में प्रमुख सचिव आवास ने कल देर रात लखनऊ में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वह वर्तमान सर्कल रेट लेकर ही जमीन का आवंटन कर सकते हैं. जो कि करीब 60 करोड़ रुपय है. वही आईएमटी कॉलेज प्रबंधन ने पुरानी दर पर ब्याज लगाकर जमीन की कीमत तय करने का प्रस्ताव रखा है. अब प्रमुख सचिव आवास इस मामले पर निर्णय लेंगे जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जाएगा.


Body:आपको बता दें कि आईएमटी कॉलेज को राज नगर सेक्टर 20 में वर्ष 1981 में 11 हज़ार 503 वर्ग गज जमीन आवंटित की गई थी. तब आईएमटी को 1.95 लाख रुपय देने थे. आवंटन के बाद भी आईएमटी ने जमीन का भुगतान नहीं किया. वर्ष 1994 तक जीडीए की तरफ से आईएमटी कॉलेज प्रबंधन को लगातार भुगतान के संबंध में नोटिस भी भेजा गया. लेकिन उसके बाद आश्चर्यजनक रूप से फिर जीडीए भी पैसा मांगना भूल गया और आईएमटी ने भुगतान भी नहीं किया.


गौरतलब है कि इस मामले में काउंसलर राजेन्द्र त्यागी ने मुख्यमंत्री को शिकायत की थी. इसके बाद शासन स्तर पर इस पूरे मामले की जांच कराई गई. जांच में आरोप सही पाए जाने पर जीडीए ने इस जमीन का आवंटन निरस्त कर दिया. जिसके खिलाफ आईएमटी प्रबंधन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहां से आईएमटी प्रबंधन को यह आदेश दिया गया कि पहले वह 5 करोड़ पर जीडीए में जमा कराएं उसके बाद इस मामले पर सुनवाई होगी.


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