गाजियाबाद: कोरोना काल में टीचर्स डे भी काफी बदल गया है. बच्चों को तैयार करने के लिए आज टीचर्स को खुद एक तरह की परीक्षा देनी पड़ रही है. पहली बार ऐसा टीचर्स डे आया है, जब स्टूडेंट्स अपने टीचर से नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं टीचर्स भी स्टूडेंट्स को काफी याद कर रहे हैं.
आज के इस खास मौके पर ईटीवी भारत ने कुछ टीचर से बात की. टीचर्स ने बताया कि कोरोना काल के दौरान स्टूडेंट्स को पढ़ाने से पहले उन्हें खुद एक तरह की परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है.
बच्चे मोबाइल ना होने की वजह से हैं मजबूर
सबसे बड़ी चुनौती सरकारी स्कूल के टीचर्स के सामने है, क्योंकि सरकारी स्कूल के अधिकतर बच्चों के पास स्मार्ट मोबाइल उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन तक पहुंच बनाना भी टीचर्स के लिए आसान नहीं है. फिर भी उन बच्चों को टीचर्स ने एक सहूलियत प्रदान की है. ऐसे बच्चों के लिए टीचर्स ने दिन में किसी भी वक्त फोन पर बातचीत करके स्टडी संबंधित जानकारी लेने का विकल्प खुला रखा है.
गाजियाबाद के कैलाश्वती स्कूल के टीचर्स ने टीचर्स डे पर बच्चों के इस दर्द को बयां किया. उन्होंने बताया कि अधिकतर बच्चों के पास मोबाइल नहीं है. जिससे उनको पढ़ाना काफी मुश्किल हो रहा है लेकिन हर कोशिश कर रहे हैं कि उनको एग्जाम के लिए तैयारी करा सकें.
कुछ बच्चों के घर में सिर्फ एक ही मोबाइल होता है. जब उनके पिता शाम को लौट कर आते हैं, तब वे बच्चे अपने पिता के मोबाइल से, सवालों के जवाब टीचर से पूछ लेते हैं. टीचर्स भी हर समय उन बच्चो के लिए तैयार रहते हैं.
बच्चों को टीचर कर रहे मिस
आज टीचर्स डे पर कुछ स्टूडेंट्स, अपने टीचर्स को वीडियो कॉल के जरिए ग्रीटिंग भेजते हुए दिखाई दिए. टीचर्स ने भी कहा कि बच्चों, हम आपको काफी मिस कर रहे हैं. लेकिन उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में सब कुछ ठीक होगा.