गाजियाबादः उत्तर प्रदेश में इस बार पंचायत चुनाव जिलेवार न होकर पूरे 4 चरणों में पूरे किए जाएंगे. हालांकि, अभी शासन की ओर से चुनावों की तारीखों का एलान नहीं किया गया है. इसके बावजूद प्रत्याशी दिन रात चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. इसके लिए गाजीपुर बॉर्डर से भी किसान पंचायत चुनाव में भाग लेने जा रहे हैं. यही, वजह है कि बॉर्डर पर इन दिनों किसानों की भीड़ कम दिखाई दे रही है.
किसानों नेताओं ने तैयार की रणनीति
कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर बॉडर पर चल रहे किसान आंदोलन को चार महीने पूरे होने जा रहे हैं. बीते दिनों देखने को मिला है कि गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या में गिरावट आई है. दरअसल, पंचायत चुनाव की हलचल बढ़ने के साथ किसान बॉर्डर से गांव की तरफ कूच कर रहे हैं. यही कारण है कि बॉर्डर पर किसानों की संख्या काफी कम नजर आ रही है, लेकिन किसानों की बॉर्डर पर उपस्थिति बरकरार रखने के लिए किसान नेताओं ने रणनीति तैयार कर ली है.
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चुनाव समाप्त होते ही वापस लौटेंगे किसान
किसानों का कहना है कि आंदोलन भी जरूरी है और पंचायत चुनाव भी जरूरी है. गांव का सही विकास हो, इसके लिए सही जनप्रतिनिधि का चुना जाना बहुत जरूरी है. किसानों ने बताया कि तकरीबन हफ्ते भर के लिए पंचायत चुनाव में भाग लेने के लिए बॉर्डर से गांव जाएंगे, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही बॉर्डर पर वापस लौटेंगे.
अन्य राज्यों से आएंगे किसान
पंचायत चुनाव दौरान के आंदोलन स्थल पर किसानों की संख्या कम ना हो, इसको लेकर किसान नेताओं ने रणनीति तैयार कर ली है. भारतीय किसान यूनियन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने बताया पंचायत चुनाव पूरी तरह से गांव और किसानों का होता है. गाजीपुर बॉर्डर से भी किसान गांव में चुनाव लड़ने और चुनाव की तैयारी करने के लिए गए हैं. गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की उपस्थिति कम ना हो, इसके लिए पहले से ही रणनीति तैयार कर ली गई. उत्तर प्रदेश में पंचायत के चुनाव होने हैं, लेकिन हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान में कोई चुनाव नहीं है. जहां चुनाव नहीं है, वहां से किसान गाजीपुर बॉर्डर आएंगे और किसान आंदोलन को मजबूत बनाएंगे. उत्तराखंड, राजस्थान और हरियाणा के पदाधिकारियों के साथ कई बैठक में भी हो चुकी है.