ETV Bharat / state

5 साल पहले बंद हो चुका स्कूल, फिर भी हो रहे धड़ाधड़ एडमिशन - नोएडा में एडमिशन फर्जीवाड़ा

नोएडा निठारी गांव में दो स्कूल ऐसे हैं, जो बंद हो चुके हैं लेकिन शिक्षा विभाग धड़ाधड़ एडमिशन ले रहा है. यही नहीं RTE (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत लिया जा रहा है.

नोएडा में एडमिशन फर्जीवाड़ा
नोएडा में एडमिशन फर्जीवाड़ा
author img

By

Published : Mar 25, 2021, 10:41 PM IST

नोएडा: गौतमबुद्ध नगर शिक्षा विभाग का कथित फर्जीवाड़ा सामना आया है. नोएडा के निठारी गांव में दो स्कूल ऐसे हैं, जो बंद हो चुके हैं लेकिन शिक्षा विभाग धड़ाधड़ एडमिशन ले रहा है. यही नहीं RTE (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत लिया जा रहा है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कानों कान खबर नहीं है. कार्यवाहक खंड शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत से फोन पर बात करते वक़्त कहा कि अगर ऐसा है तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

बंद स्कूल में एडमिशन
बंद स्कूल में बदस्तूर एडमिशन जारी

आरटीई उत्तर प्रदेश वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा के निठारी गांव में महादेव पब्लिक स्कूल और सरदार पटेल पब्लिक स्कूल में एडमिशन हुए हैं. सरदार पटेल पब्लिक स्कूल में 40 एडमिशन हुए, जिसमें से 10 शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुए हैं. वहीं महादेव पब्लिक स्कूल में भी 41 एडमिशन हुए हैं, जिसमें 10 शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुए हैं.

डाटा
डाटा

ये भी पढ़ें- फर्जी दस्तावेज बनाने वाले तीन गिरफ्तार

RTE का फंड कहा जा रहा?

जिले में लंबे वक्त से शिक्षा के अधिकार अधिनियम की लड़ाई लड़ रहे अविनाश ने बताया कि "निठारी का महादेव पब्लिक स्कूल कोविड काल से पहले बंद हो गया था. स्कूल तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले बंद हो चुका है. इसके अलावा सरदार पटेल पब्लिक स्कूल किस जमीन बिक चुकी है."

एक निजी स्कूल ने अपनी इमारत खड़ी कर ली, पिछले 4 वर्षों से निजी स्कूल संचालित किया जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के कार्यों में आज भी पुराने स्कूलों के नाम पर एडमिशन हो रहे हैं, जो वास्तविकता में है ही नहीं. ऐसे में इन स्कूल में हो रहे हैं एडमिशन पर सवालिया निशान खड़े होते हैं आखिर में यह कौन से पेरेंट्स हैं, जिनका एडमिशन यहां कराया जा रहा है. कागजों में और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे जा रहे आरटीई के फंड कौन ले रहा है?

डाटा
डाटा

मैपिंग के वक्त का गड़बड़ झाला

जानकारी के मुताबिक सारा खेल मैपिंग का होता है, हर वर्ष शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत एडमिशन लेने से पहले खंड शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में टीम मैपिंग की मैपिंग होती है, स्कूलों के रजिस्टर जांचे जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि स्कूल की मैपिंग हुई तो फिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? या फिर जानबूझकर कर ये गलती की गई? क्योंकि एडमिशन के नाम पर सरकार RTE के तहत शिक्षा विभाग को लाखों रुपये को देती है.

नोएडा: गौतमबुद्ध नगर शिक्षा विभाग का कथित फर्जीवाड़ा सामना आया है. नोएडा के निठारी गांव में दो स्कूल ऐसे हैं, जो बंद हो चुके हैं लेकिन शिक्षा विभाग धड़ाधड़ एडमिशन ले रहा है. यही नहीं RTE (शिक्षा का अधिकार अधिनियम) के तहत लिया जा रहा है और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कानों कान खबर नहीं है. कार्यवाहक खंड शिक्षा अधिकारी ने ईटीवी भारत से फोन पर बात करते वक़्त कहा कि अगर ऐसा है तो मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

बंद स्कूल में एडमिशन
बंद स्कूल में बदस्तूर एडमिशन जारी

आरटीई उत्तर प्रदेश वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक नोएडा के निठारी गांव में महादेव पब्लिक स्कूल और सरदार पटेल पब्लिक स्कूल में एडमिशन हुए हैं. सरदार पटेल पब्लिक स्कूल में 40 एडमिशन हुए, जिसमें से 10 शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुए हैं. वहीं महादेव पब्लिक स्कूल में भी 41 एडमिशन हुए हैं, जिसमें 10 शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हुए हैं.

डाटा
डाटा

ये भी पढ़ें- फर्जी दस्तावेज बनाने वाले तीन गिरफ्तार

RTE का फंड कहा जा रहा?

जिले में लंबे वक्त से शिक्षा के अधिकार अधिनियम की लड़ाई लड़ रहे अविनाश ने बताया कि "निठारी का महादेव पब्लिक स्कूल कोविड काल से पहले बंद हो गया था. स्कूल तकरीबन डेढ़ वर्ष पहले बंद हो चुका है. इसके अलावा सरदार पटेल पब्लिक स्कूल किस जमीन बिक चुकी है."

एक निजी स्कूल ने अपनी इमारत खड़ी कर ली, पिछले 4 वर्षों से निजी स्कूल संचालित किया जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के कार्यों में आज भी पुराने स्कूलों के नाम पर एडमिशन हो रहे हैं, जो वास्तविकता में है ही नहीं. ऐसे में इन स्कूल में हो रहे हैं एडमिशन पर सवालिया निशान खड़े होते हैं आखिर में यह कौन से पेरेंट्स हैं, जिनका एडमिशन यहां कराया जा रहा है. कागजों में और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे जा रहे आरटीई के फंड कौन ले रहा है?

डाटा
डाटा

मैपिंग के वक्त का गड़बड़ झाला

जानकारी के मुताबिक सारा खेल मैपिंग का होता है, हर वर्ष शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत एडमिशन लेने से पहले खंड शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में टीम मैपिंग की मैपिंग होती है, स्कूलों के रजिस्टर जांचे जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि स्कूल की मैपिंग हुई तो फिर इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? या फिर जानबूझकर कर ये गलती की गई? क्योंकि एडमिशन के नाम पर सरकार RTE के तहत शिक्षा विभाग को लाखों रुपये को देती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.