फिरोजाबाद : जनपद में एक बार फिर पीएम शहरी आवास योजना में हुए घोटाले का जिन्न बंद बोतल से बाहर निकला है. इस मामले में शासन के आदेश के बाद साल 2019 में जिला नगरीय विकास अभिकरण डूडा के परियोजना अधिकारी रहे अनुपम गर्ग के खिलाफ थाना मटसेना में एफआईआर दर्ज करायी गयी है.
इस मामले में कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों की गर्दन फंस सकती है. जांच में जो तथ्य सामने आये, उनके मुताबिक विभाग ने साल 2019 में 206 अपात्रों को लाभ पहुंचाया और विभाग को एक करोड़ 53 लाख की धनराशि का चूना लगाया.
गौरतलब है कि नगरीय इलाकों में रहने वाले बेघरों को अपना घर मिल सके, इसके लिए सरकार पीएम आवास योजना चला रही है. यह आवास उन्हीं को दिया जाता है जिनके पास घर नहीं है. साथ ही योजना के पात्रों के पास कम से कम पांच सौ फीट का खाली प्लॉट नगर सीमा में होना चाहिए. एक निश्चित प्रक्रिया के तहत इन लाभार्थियों का चयन होता है.
योजना के तहत तीन किस्तों में ढाई लाख की धनराशि पात्रों के खाते में ट्रांसफर की जाती है. समय-समय पर उसका भौतिक सत्यापन भी होता है. पहली किस्त के रूप में 50 हजार की धनराशि दी जाती है. इसके बाद डेढ़ लाख और बाद में फिर 50 हजार की धनराशि दी जाती है.
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पहली किस्त के बाद स्थलीय सत्यापन भी किया जाता है. साल 2019 में जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे. को ऐसी तमाम शिकायतें मिलीं जिनमें नगरीय विकास अभिकरण डूडा के परियोजना अधिकारी अनुपम गर्ग द्वारा बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता बरतने की बात कही गई.
अपात्रों को भी इस योजना का लाभ दिया जाने का आरोप लगा. आरोपों के अनुसार एक-एक लाभार्थी को ढाई लाख से भी ज्यादा धनराशि दे दी गयी. इन आरोपों की तत्कालीन जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे द्वारा मामले की जांच करायी गयी.
जिलाधिकारी की जांच मामला सही पाए जाने पर शासन को रिपोर्ट भेजी गयी. विभागीय निदेशालय से भी चार सदस्यीय टीम जांच को भेजी गयी. उसने सभी पत्रावलियों का अवलोकन किया. जांच में यह भी पाया गया कि जिन लोगों के खाते में धनराशि ट्रांसफर की गयी, उनके मकान मौके पर मिले ही नहीं.
लिहाजा इस मामले में निदेशालय द्वारा तत्कालीन पीओ डूडा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश स्थानीय अफसरों को दिए गए. निदेशालय के आदेश के बाद नगरीय विकास अभिकरण के परियोजना अधिकारी सुभाष वीर राजपूत ने तत्कालीन परियोजना अधिकारी अनुपम गर्ग के खिलाफ थाना मटसेना में केस दर्ज कराया.