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जिले में बढ़ रही है सारस की संख्या, मगर नहीं है संरक्षण के इंतजाम

सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है साथ ही जैव विविधता और पर्यावरण के हिसाब से काफी शुभ भी माना जाता है. वहीं एक तरफ इनका प्रदेश में कुनबा बढ़ रहा है मगर इनके संरक्षण के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

संरक्षण की आस में सारस
संरक्षण की आस में सारस
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Published : Aug 7, 2021, 1:14 PM IST

फिरोजाबाद: सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है, और फिरोजाबाद जिले में इनका कुनबा बढ़ता जा रहा है लेकिन जिले में इनके संरक्षण का कोई इंतजाम नहीं है. हलांकि वन विभाग दावा करता है कि इनके संरक्षण के लिए अलग-अलग स्थानों पर विभागीय कर्मचारियों की टीम को तैनात कर उनका शिकार करने वालों पर नजर रखी जा रही है.

संरक्षण की आस में सारस

वहीं सारस पक्षी जैव विविधता और पर्यावरण के हिसाब से काफी शुभ माने जाते हैं. राजकीय प्राणी होने के कारण सरकार ने इसे संरक्षित प्रणियों की श्रेणी में रखा है. यूपी में कई स्थानों पर स्थापित प्राणी और उद्यानों में इनका संरक्षण भी किया किया जाता है. यह पक्षी अक्सर झील, नदी और तालाबों के किनारे उड़कर आ जाते हैं. फिरोजाबाद जिले की सीमा में कई नदियों के साथ ही यमुना नदी के होने की वजह से यहां इनकी संख्या दूसरी जगहों की अपेक्षकृत ज्यादा हैं. मानवीय आवाजाही और मशीनी कोलाहल से दूर यह पक्षी उन इलाकों में रहते है जहां प्रकृति, भोजन और पानी इनके अनुकूल हों. इनके संरक्षण के लिए हर साल इनकी गणना कराई जाती है. जिले में छह स्थानों फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, टूंडला, जसराना, सिरसागंज और नारखी इलाके की सीमा में पड़ने वाली नदी और तालाबों में इनकी गणना होती है.

वहीं, वन विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में इन पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जून 2019 में इनकी गणना कराई गई तो इनकी संख्या 211 थी. इसके बाद दिसम्बर 2019 में यह संख्या बढ़कर 212 हो गई. सितंबर 2020 में इसकी जब गणना करायी गई तो यह आंकड़ा 226 था जो जून 2021 में बढकर 227 हो गया. इस संबंध में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिगी फिरोजाबाद वीरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि इनके संरक्षण के लिए विभागीय टीमों को लगाया गया है, जो लगातार इन्हें शिकारियों से बचा रहे हैं, इसलिए इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने कहा कि इनकी जिओ टैगिंग भी कराई जाती है.

फिरोजाबाद: सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है, और फिरोजाबाद जिले में इनका कुनबा बढ़ता जा रहा है लेकिन जिले में इनके संरक्षण का कोई इंतजाम नहीं है. हलांकि वन विभाग दावा करता है कि इनके संरक्षण के लिए अलग-अलग स्थानों पर विभागीय कर्मचारियों की टीम को तैनात कर उनका शिकार करने वालों पर नजर रखी जा रही है.

संरक्षण की आस में सारस

वहीं सारस पक्षी जैव विविधता और पर्यावरण के हिसाब से काफी शुभ माने जाते हैं. राजकीय प्राणी होने के कारण सरकार ने इसे संरक्षित प्रणियों की श्रेणी में रखा है. यूपी में कई स्थानों पर स्थापित प्राणी और उद्यानों में इनका संरक्षण भी किया किया जाता है. यह पक्षी अक्सर झील, नदी और तालाबों के किनारे उड़कर आ जाते हैं. फिरोजाबाद जिले की सीमा में कई नदियों के साथ ही यमुना नदी के होने की वजह से यहां इनकी संख्या दूसरी जगहों की अपेक्षकृत ज्यादा हैं. मानवीय आवाजाही और मशीनी कोलाहल से दूर यह पक्षी उन इलाकों में रहते है जहां प्रकृति, भोजन और पानी इनके अनुकूल हों. इनके संरक्षण के लिए हर साल इनकी गणना कराई जाती है. जिले में छह स्थानों फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, टूंडला, जसराना, सिरसागंज और नारखी इलाके की सीमा में पड़ने वाली नदी और तालाबों में इनकी गणना होती है.

वहीं, वन विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में इन पक्षियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. जून 2019 में इनकी गणना कराई गई तो इनकी संख्या 211 थी. इसके बाद दिसम्बर 2019 में यह संख्या बढ़कर 212 हो गई. सितंबर 2020 में इसकी जब गणना करायी गई तो यह आंकड़ा 226 था जो जून 2021 में बढकर 227 हो गया. इस संबंध में प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिगी फिरोजाबाद वीरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि इनके संरक्षण के लिए विभागीय टीमों को लगाया गया है, जो लगातार इन्हें शिकारियों से बचा रहे हैं, इसलिए इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. उन्होंने कहा कि इनकी जिओ टैगिंग भी कराई जाती है.

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