फिरोजाबाद : जिले में बनने वाली कांच की कलाकृतियों की खनक देश ही नहीं बल्कि दुनियां भर में सुनाई देती है. फिराजाबाद जिले की ये पहचान और शान कोरोना काल के दौरान फीकी पड़ गई है. कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में कांच उद्योग से जुड़े कल कारखानों से दिन-रात आने आने वाली खटर-पटर की आवाज रुक गई. जिसके कारण जिले में कांच की खनक शांत हो गई. कोविड का दौर थमने के बाद कांच उद्योग से जुड़े व्यापारी इस व्यवसाय को पटरी पर लाना चाहते हैं. बता दें, यूपी का फिरोजाबाद जिला देश के प्रमुख निर्यातक शहरों में गिना जाता है. यहां बनने वाली चूड़ियों के अलावा तमाम तरह की कांच की कलाकृतियां बनाई जातीं हैं.
कांच की इन कलाकृतियों का देश-विदेश में निर्यात किया जाता है. यहां बनने वाली कांच की वस्तुओं का अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, इंग्लैंड, स्पेन, इटली, स्वीडन, कोलंबिया, फ्रांस, डेनमार्क आदि देशों में निर्यात किया जाता है. जिसमें प्रमुख रूप से कांच के बने क्रिसमस ट्री, फ्लॉवर पॉट, केंडल स्टैंड, लालटेन, बाथरूम एसेसरीज, टूथब्रुश स्टैंड, टॉयलेट पेपर होल्डर, कॉटन, लैम्प, जार समेत तमाम सजावटी बस्तुओं का निर्यात किया जाता है. फिरोजाबाद जनपद का प्रत्यक्ष निर्यात 500 करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष निर्यात लगभग 2500 करोड़ रुपये का है.
इस जिले से 100 से अधिक कांच के कारोबारी एक्सपोर्ट के कारोबार से जुड़े हैं. कांच के कारोबार को फिर से पटरी पर लाने के लिए व्यापारियों ने सरकार से कई प्रकार की मांग रखी है. कांच कारोबारी/व्यापारियों की मांग है कि जो व्यापारियों के लिए जो व्यवस्था जीएसटी लागू होने से पहले थी. उसे फिर से लागू किया जाए. व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी(GST) लागू होने से पूर्व उन्हें 7 प्रतिशत ड्रा बैंक की ओर से और 7 प्रतिशत ड्रा सहयोग राशि मिलाकर कुल 14 प्रतिशत ड्रा भारत सरकार से मिलता था. देश में जीएसटी(GST) लागू होने के बाद भारत सरकार से मिलने वाला ड्रा 1.3 फीसदी रोडटेप के रूप में मिल रहा है. फिरोजाबाद ग्लास मेन्युफेक्चरिंग एंड एक्सपोर्टस एशोसिएशन संगठन ने कांच उद्योग से जुड़ी कई मांगो को लेकर डिप्टी कमिश्नर उद्योग और सदर विधायक मनीष असीजा को पत्र सौंपा है.
ग्लास मेन्युफेक्चरिंग एंड एक्सपोर्टस एशोसिएशन के सदस्य मुकेश बंसल उर्फ टोनी ने बताया कि कोरोना काल के दौरान कांच कारोबार बड़ा झटका लगा है. कोरोना काल में करोड़ो रुपये के ऑर्डर रद्द हो गए. व्यापारियों का बड़ी मात्रा में माल डंप हो गया. हालांकि अब ऑर्डर मिलना शुरू हो गए हैं, लेकिन कारोबारी सरकार से भी कुछ सहूलियत चाहते हैं. जिससे कि कांच कारोबार फिर से बहाल हो सके. व्यापारी मुकेश बंसल ने बताया कि जीएसटी लागू होने से पहले व्यापारियों को 7 फीसदी टैक्स लगता था और 14 फीसदी प्रतिपूर्ति मिलती थी. वह व्यवस्था जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो गई है. व्यापारियों को मिलने वाली प्रतिपूर्ति अब घटकर रोडटेप के रूप में केवल 1.3 प्रतिशत ही मिल रही है. व्यापारियों की मांग है कि सरकार पुरानी व्यवस्था बहाल करे, ताकि करोबार को गति मिल सके.
इन्डस्ट्रीज के उपयुक्त अमरेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि फिरोजाबाद के निर्यातकों की बैठक हुई थी. बैठक में निर्यात के दौरान टैक्स संबंधित आ रही समस्याओं को लेकर मंथन किया गया था. इस संबंध में विधायक मनीष असीजा के माध्यम से इस मामले को केंद्र सरकार तक पहुंचाया जायेगा. सरकार निर्यातकों को कुछ टैक्स देती थी, लेकिन रोडटेप के मुताविक इसे 7 फीसदी से घटाकर 1.3 फीसदी कर दिया गया है.
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