फिरोजाबाद: जनपद में लगभग 17 साल पहले बसपा सरकार के दौरान आंदोलन कर रहे सपा नेताओं के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने और विकास भवन पर सपा का झंडा फहराने का केस दर्ज हुआ था. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए फिरोजाबाद की एमपी- एमएलए कोर्ट ने सपा के दो पूर्व विधायकों समेत 15 आरोपियों को बड़ी राहत दी. सभी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है. जिन नेताओं को बरी किया गया है उनमें पूर्व विधायक अजीम भाई इन दिनों बसपा में है, जबकि हरिओम यादव बीजेपी के नेता है.
साल 2007 में बसपा सरकार की नीतियों के खिलाफ सपा ने पार्टी के आह्वान पर प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर 25 सितंबर 2007 को प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन के दौरान फिरोजाबाद के सपा नेताओं पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने, सरकारी कार्य में बाधा डालने और सरकारी इमारत विकास भवन पर सपा का झंडा फहराने का आरोप लगा था. इस मामले में तत्कालीन थानाध्यक्ष मटसेना आदित्य कुमार द्विवेदी ने थाने में पूर्व विधायक हरिओम यादव, अजीम भाई समेत 15 सपा कार्यकर्ता सैफुर्रह्मान उर्फ छुट्टन भाई, गुलाम साबिर, मुकेश बाल्मीकि, सोनवीर सिंह, हाजी इशरार, शादाब मोहम्मद खान, डॉ.आफताब, विजय यादव प्रधान, नरेशचंद्र भोला, असलम परवेज, विजय सिंह, महबूब अजीज, प्रदीप सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी.
पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट, विशेष जज एमपी एमएलए कोर्ट अम्बरीष त्रिपाठी के कोर्ट में हुई. सपा नेताओं के वकील राजेश कुलश्रेष्ठ और नगीन खान ने बताया कि अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों को सुना, लेकिन अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित नहीं कर सका. सपा नेताओं के वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि इन सपा नेताओं को राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था. लिहाजा कोर्ट ने सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. जिन नेताओं को बरी किया गया है. उनमें पूर्व विधायक हरिओम यादव और अजीम भाई भी शामिल है. तत्कालीन एक सपा नेता महबूब अजीज की मौत हो चुकी है.