फर्रुखाबाद : पहाड़ों और प्रदेश में रही मानसूनी बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. इसी क्रम में फर्रुखाबाद जिले की सीमा से होकर गुजरने वाली गंगा नदी उफान पर है, जिसके कारण नदी के तटवर्तीय व निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. सड़क से लेकर लोगों के घरों तक कमर से ऊपर तक पानी भरा हुआ है. घरों में पानी भर जाने के कारण स्थानीय लोग छतों पर खाना पकाने पर मजबूर हैं. वहीं पालतू जानवरों के लिए चारे व बांधने की समस्या बनी हुई है. बता दें, कि फर्रूखाबाद जिले के पांचाल घाट पुल पर नदी का जलस्तर 137 मीटर पर पहुंच गया है, जबकि खतरे का निशान 137.10 मीटर पर है.
नदी का जलस्तर खतरे के निशान(Danger Mark) से काफी नजदीक है. शनिवार की रात को नरौरा बांध से गंगा में 1,27,260 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके कारण गंगा का जलस्तर बढ़कर 137 मीटर पर पहुंच गया है. नदी के बढ़े जलस्तर के कारण कई गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट गया है. आवागमन के लिए लोग नाव का सहारा ले रहे हैं.
स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र जान-जोखिम में डालकर कमर से ऊपर पानी में घुसकर शहर जाने पर मजबूर हैं. शासन-प्रसासन की ओर से बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों को कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है. बारिश के मौसम में सर्दी, बुखार, जुकाम आदि बीमारियों का होना आम बात है. किसी बीमारी से ग्रसित होने पर स्थानीय लोग पूरी तरह झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हैं.
इन गांवों में भरा बाढ़ का पानी
गंगा नदी का पानी बढ़ने से कई गांवों में बाढ़ जैसे हालात हैं. जिनमें अहलादपुर भटौली, समैचीपुर चितार, कमथरी, अजीज, आबाद की नगरिया, कटरी तौफीक, पलानी दक्षिण, भगवानपुर, बसोला, चौरा, चौराहार, अंबरपुर, चित्रकूट, अंबरपुर की मड़ैया, रामपुर, जोगराजपुर, बमियारी, अबिराबद, लायकपुर, रतनपुर, सुंदरपुर, हरसिंहपुर कायस्थ, ऊगरपुर, करनपुर घाट, रामप्रसाद नगला, मिघन नगला, फुलाह, जगतपुर, राजाराम की मड़ैया, तीसराम की मड़ैया गांव शामिल हैं.
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