फर्रुखाबाद: जिले में शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों के जरिए शिक्षक की नौकरी हासिल कर लाखों रुपये का वेतन रखने वाली सुमन को बर्खास्त करने में विभाग को 8 माह लग गए. मगर रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं कराई गई है. शिक्षिका को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. अब उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में भी विभागीय अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं.
दरअसल, विभाग को शिक्षिका को बर्खास्त करने में करीब 8 माह का समय लग गया. जबकि तीन दिन में रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे. फिर भी विभाग की लापरवाही से अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है. दरअसल, दिसंबर 2020 में आगरा जिले के ब्लॉक खंदौली स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय शेर खां में तैनात शिक्षिका सुमन और फर्रुखाबाद के ब्लॉक नवाबगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय सुमन के पैन कार्ड एक पाए गए थे. मामले की जांच शुरू हुई तो नवाबगंज में तैनात सुमन के अभिलेख फर्जी पाए गए. मगर कार्रवाई करने के बजाय नोटिस दिए जाने के दौर शुरू हो गया. मामला दबाने के लिए सांठगांठ का खेल शुरू हुआ तो कभी सुमन को मृत दर्शाया गया तो कभी जिंदा.
अभी तक न दर्ज करवा सके फर्जी शिक्षिका पर रिपोर्ट - एफआईआर दर्ज नहीं हुई
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में फर्जी शिक्षका को बर्खास्त करने में 8 माह का समय लग गया. वहीं, एफआईआर दर्ज करने के निर्देश होने के बावजूद भी अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. इस मुद्दे पर इटीवी भारत ने जब बीएसए से बात की तो वह भी गोलमोल जवाब देते नजर आए.
फर्रुखाबाद: जिले में शिक्षा विभाग में फर्जी अभिलेखों के जरिए शिक्षक की नौकरी हासिल कर लाखों रुपये का वेतन रखने वाली सुमन को बर्खास्त करने में विभाग को 8 माह लग गए. मगर रिपोर्ट अभी तक दर्ज नहीं कराई गई है. शिक्षिका को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. अब उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने में भी विभागीय अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं.
दरअसल, विभाग को शिक्षिका को बर्खास्त करने में करीब 8 माह का समय लग गया. जबकि तीन दिन में रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए गए थे. फिर भी विभाग की लापरवाही से अभी तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है. दरअसल, दिसंबर 2020 में आगरा जिले के ब्लॉक खंदौली स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय शेर खां में तैनात शिक्षिका सुमन और फर्रुखाबाद के ब्लॉक नवाबगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय सुमन के पैन कार्ड एक पाए गए थे. मामले की जांच शुरू हुई तो नवाबगंज में तैनात सुमन के अभिलेख फर्जी पाए गए. मगर कार्रवाई करने के बजाय नोटिस दिए जाने के दौर शुरू हो गया. मामला दबाने के लिए सांठगांठ का खेल शुरू हुआ तो कभी सुमन को मृत दर्शाया गया तो कभी जिंदा.