फर्रुखाबाद: जिले में बसों का परिचालन फिर से शुरू हो चुका है, लेकिन यहां पर निजी बस संचालक यात्रियों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जिले से दिल्ली, जयपुर समेत अन्य शहरों को जाने वाली बसों में तमाम नियम कायदों की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं. इन बसों में लोगों की भारी भीड़ देखी जा सकती है. सोशल डिस्टेंसिंग की किसी को परवाह नहीं रहती है. वहीं बस में सैनिटाइजर की व्यवस्था भी नहीं है.
केंद्र और प्रदेश सरकार की ओर से सुरक्षित यात्रा के लिए कोरोना सुरक्षा के संबंध में कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. जिले के अधिकांश निजी बस संचालक सरकार के निर्देशों को दरकिनार करते हुए धड़ल्ले से बसों का संचालन कर रहे हैं. बसों में यात्रियों की सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है और अधिकांश बसें बिना मरम्मत के ही चल रही हैं. जिले के निजी बस संचालक बिना थर्मल स्क्रीनिंग के ही यात्रियों को बस में बैठा रहे हैं.
एआरटीओ शांतिभूषण ने बताया कि मानक विपरित बसों का चालान लगातार किया जा रहा है.आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी.
यात्रियों के लिए सैनेटाइजर की व्यवस्था नहीं
वहीं बस में यात्रियों के लिए सैनिटाइजर की भी व्यवस्था नहीं की गई है. बसों में चढ़ने से पहले न तो लोगों के हाथों को सैनिटाइज किया जा रहा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. बिना मास्क लगाए आने वाले यात्रियों को भी बस में बिठाया जा रहा है. बस संचालक बिना सोशल डिस्टेंसिंग के यात्रियों से भरी बसों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं. इतना ही नहीं, निजी बस में यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है.
बिना सुरक्षा मानक के दौड़ रही निजी बसें
निजी बसों में कई बार हादसा भी हो चुका है. इस साल 10 जनवरी को कन्नौज बस हादसे में 10 से अधिक यात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि कई यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे. वहीं साल 2018 में मैनपुरी में निजी एजेंसी की एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. इस हादसे में 17 यात्रियों की मौत हो गई थी. इसके बावजूद अभी तक इन निजी बस संचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
एआरटीओ कार्यालय से 17 बसों की फाइलें गायब
कन्नौज हादसे का शिकार हुई बस सहित कुल 17 स्लीपर बसों की फाइलें एआरटीओ कार्यालय से गायब हैं. इस संबंध में तत्कालीन एआरटीओ शांति भूषण पांडे ने अज्ञात लोगों के खिलाफ फतेहगढ़ कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज कराया था. वहीं डीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि आरटीओ को मामले की जांच का आदेश दिया गया है. बिना परमिट और सुरक्षा मानक को नहीं पूरा करने वाली निजी बसों के संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.