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श्रद्धालुओं ने माघी पूर्णिमा पर गंगा में लगाई आस्था की डुबकी - ghat

माघी पूर्णिमा के पावन पर्व पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने फर्रुखाबाद के गंगा तट में डुबकी लगाई. इस स्नान के साथ ही एक महीने से मेले में रह रहे कल्पवासी विदा होने लगे हैं.

माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पांचाल घाट, ढाई घाट आदि गंगा तटों पर किया स्नान
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Published : Feb 19, 2019, 3:50 PM IST

फर्रूखाबाद : मंगलवार को माघी पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु तड़के ही घाटों में पहुंचने लगे थे. गंगा किनारे पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इसके बाद तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर परिवार की सुख-शांति के लिए कामना की.

माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पांचाल घाट, ढाई घाट आदि गंगा तटों पर किया स्नान
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वहीं संतों के शिविरों में भंडारे चलते रहे. श्रद्धालुओं के वाहनों की भीड़ के कारण कुछ देर के लिए बरेली-इटावा हाईवे पर जाम लग गया. तकरीबन एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिसकर्मी जाम खुलवा सके.


माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व


माघी पूर्णिमा स्नान का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना जाता है.

इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थानों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है, लेकिन यदि कोई पूरे माह स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है. मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन जन्म दिया था. इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था.

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फर्रूखाबाद : मंगलवार को माघी पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु तड़के ही घाटों में पहुंचने लगे थे. गंगा किनारे पहुंचे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इसके बाद तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर परिवार की सुख-शांति के लिए कामना की.

माघी पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने पांचाल घाट, ढाई घाट आदि गंगा तटों पर किया स्नान
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वहीं संतों के शिविरों में भंडारे चलते रहे. श्रद्धालुओं के वाहनों की भीड़ के कारण कुछ देर के लिए बरेली-इटावा हाईवे पर जाम लग गया. तकरीबन एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिसकर्मी जाम खुलवा सके.


माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व


माघी पूर्णिमा स्नान का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना जाता है.

इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थानों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक, भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है, लेकिन यदि कोई पूरे माह स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है. मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन जन्म दिया था. इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था.

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Intro:एंकर- माघी पूर्णिमा के पावन पर्व पर मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं ने फर्रुखाबाद के गंगा तट में डुबकी लगाई. इस स्नान के साथ ही 1 महीने से मेले में रह रहे कल्पवासी विदा होने लगे हैं.


Body:विओ- माघी पूर्णिमा पर गंगा में स्नान के लिए श्रद्धालुओं ने पांचाल घाट, ढाई घाट आदि गंगा तटों पर आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य कमाया. मंगलवार को माघी पूर्णिमा पर स्नान करने के लिए श्रद्धालु तड़के से ही घाटो में पहुंचने लगे थे. गंगा किनारे पहुंचे श्रद्धालुओं ने ठिठुरते हुए डुबकी लगाई. इसके बाद तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर परिवार की सुख शांति के लिए कामना की. स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने ठंड दूर करने के लिए गंगा तट पर चाय पकौड़ी व जलेबी का आनंद लिया. वहीं संतो के शिविरों में भंडारे चलते रहे. श्रद्धालुओं के वाहनों की भीड़ के कारण कुछ देर के लिए बरेली-इटावा हाईवे पर जाम लग गया. तकरीबन 1 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिसकर्मी जाम खुलवा सके.


Conclusion:विओ-
माघ पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व : माघी पूर्णिमा स्नान का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना जाता है. इस दिन गंगा, यमुना सहित अन्य धार्मिक तीर्थ स्थानों पर स्नान करने से दैहिक, दैविक,भौतिक आदि सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है.वैसे तो धार्मिक ग्रंथों में पूरे महीने स्नान करने का महत्व बताया गया है, लेकिन यदि कोई पूरे माह स्नान नहीं भी कर पाता है तो माघी पूर्णिमा से लेकर फाल्गुनी दूज तक स्नान करने से पूरे माघ मास स्नान करने के समान ही पुण्य की प्राप्ति की जा सकती है. एक मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में दानवीर कर्ण को माता कुंती ने माघी पूर्णिमा के दिन जन्म दिया था. इसी दिन कुंती ने उन्हें नदी में प्रवाहित किया था.
बाइट-शीला, श्रद्धालु
बाइट- डॉ ओम शंकर, श्रद्धालु
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