फर्रुखाबाद: जिले के एक छोटे से गांव भटपुरा से आने वाले हवलदार आलोक दुबे को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया. यह सम्मान उन्हें खूंखार आतंकी को खत्म करने पर उनकी बहादुरी के लिए दिया गया. आलोक दुबे को यह वीरता पुरस्कार सोमवार को दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में दिया गया. हवलदार आलोक दुबे को वीरता पुरस्कार मिलने से जिले भर में खुशी का माहौल है. लोगों का कहना है कि आलोक दुबे ने जिले का नाम रोशन किया है. वो शहर के मसेनी चौराहे पर बने अपने निजी आवास में रहते हैं.
बता दें कि हवलदार आलोक दुबे जनवरी 2002 में राजपूत रेजीमेंट सेंटर फतेहगढ़ में भर्ती हुए थे. जून 2019 में आलोक दुबे ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए कई जिंदगियों को बचाया था. 22 जून को खबर मिली थी कि आंतकियों ने जम्मू-कश्मीर के एक गांव के पास बागों में घुसपैठ की है. इस दौरान हवलदार आलोक दुबे को आतंकियों की घेराबंदी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई.
सुबह 6 बजकर 45 मिनट पर हवलदार आलोक की नजर किसी संदिग्ध पर पड़ी. इसके ठीक पांच मिनट बाद हवलदार आलोक ने आतंकवादियों का एक ग्रुप देखा जो घेराबंदी को तोड़ने की कोशिश कर रहा था. वहां पर घना जंगल होने के कारण दूर तक नजर नहीं जा रही थी. आतंकियों ने इसका लाभ उठाया और सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया. साथ ही अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. हवलदार आलोक ने साहस दिखाते हुए आगे बढ़े और आतंकियों को चारों तरफ से घेर लिया. इसके साथ ही एक आतंकी को मार गिराया. उस आतकंवादी की पहचान ए प्लस प्लस आतंकी के रूप में हुई.
आतंक विरोधी अभियान में अदम्य साहस दिखाने वाले सेना के जवानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीरता पुरस्कार देकर सम्मानित किया. इस दौरान फर्रुखाबाद के आलोक दुबे को भी सोमवार को यह सम्मान मिला. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जब उनके सीने पर शौर्य चक्र लगाया तो उनके परिवार के लोगों के साथ हर किसी का सीना चौड़ा हो गया.
आलोक दुबे के परिवार में उनकी पत्नी पूजा दुबे, दो बेटी व एक बेटा है. आलोक दुबे पांच भाई और दो बहनों में सबसे बड़े हैं. उनके परिजनों ने उन्हे शुभकामनाएं दीं. जिले में वीरता पुरस्कार सबसे पहले आलोक दुबे को मिला है. जिससे उनके परिजनों व गांववासियों में खुशी की लहर है.
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