फर्रुखाबाद: प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करके ग्रामीणों की सुविधा के लिए ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य केंद्र बनवाए थे. लेकिन उन स्वास्थ्य केंद्रों पर अभी तक किसी भी डॉक्टर और एएनएम की तैनाती नहीं की गई है. डॉक्टरों की तैनाती न होने से स्वास्थ्य केन्द्र कबाड़ में तब्दील हो गए हैं. उन स्वास्थ्य केंद्रों पर ग्रामीणों का कब्जा है और वह अपने जानवर बांध रहे हैं.
15 साल से अस्पताल में नहीं हुई किसी स्वास्थ्य कर्मचारी की नियुक्ति
जिले के ब्लॉक शमशाबाद में जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां देखा कि ग्राम अमलैया आशानन्द में एक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है, जिसमें दरवाजे खिड़कियां सब लगाए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से यह टूट गए हैं. यहां ग्रामीण अपने जानवर बांधकर कब्जा किए हुए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यहां पर स्वास्थ्य केंद्र करीब 12 से 15 साल पहले बनाया गया था. इसमें बिजली की फिटिंग से लेकर पंखे, सबमर्सिबल पाइप तक लगाया गया था. गांव में ग्रामीणों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इसे तैयार किया गया था, लेकिन करीब 15 साल से इस अस्पताल में किसी भी स्वास्थ्य कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई. जिससे यह स्वास्थ्य केन्द्र पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो गया है.
झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा रहे ग्रामीण
ग्रामीण यहां पर लगे पंखे, स्विच, तार, सबमर्सिबल पंप उखाड़ कर अपने घर ले गए, लेकिन आज तक किसी भी स्वास्थ्य अधिकारी ने यहां पर आकर देखना उचित नहीं समझा. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में गांव के कई लोग खांसी, जुखाम और बुखार से पीड़ित हैं. वह झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं, जबकि जिला मुख्यालय से यह गांव मात्र 25 किलोमीटर दूरी पर बसा हुआ है.
ग्रामीण ने बताया कि इस गांव की आबादी करीब 3000 है. आजकल गांव में लोग खांसी, जुखाम, बुखार से पीड़ित हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कोई भी टीम या आशा बहू ग्रामीणों का हाल जानने के लिए अभी तक नहीं आई हैं.
इस पर सीएमओ वंदना सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके द्वारा जानकारी हुई है. जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी.