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इटावा: चंबल घाटी में मैराथन दौड़ का आयोजन, पुलिस और जनता हुई शामिल

यूपी के इटावा की चंबल घाटी कभी डकैतों के लिए जानी जाती थी. अब इस चम्बल के बीहड़ का माहौल बदलने के लिए पुलिस ने पहल की है. बीहड़ की जनता के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की गई.

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Published : Nov 5, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST

मैराथन दौड़ का आयोजन.

इटावा: चंबल घाटी कभी खूंखार डकैतों की गोलियां की तड़तड़ाहट से गूंजा करती थी. लगभग डेढ़ दशक पहले इस इलाके में दस्यु सरगनाओं का दबदबा कायम रहता था. उस समय यहां के लोग पुलिस से दूरी बनाकर रहते थे और डकैतों के काफी नजदीक हुआ करते थे. अब इस चम्बल के बीहड़ का माहौल बदला है.

चंबल घाटी में हुआ मैराथन दौड़ का आयोजन.


मैराथन का आयोजन
इटावा के इस बीहड़ की जनता के बीच पुलिस ने अपने मित्रवत संबंध कायम करने की दिशा में दौड़ लगा दी है. बीहड़ की जनता के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की गई. इस मैराथन में इलाके के आठ सौ युवाओं ने हिस्सा लिया.

इसे भी पढ़ें:- अंबेडकरनगर: पराली न जलाने के लिए 'क्लीन एयर ग्रीन एयर' मैराथन का आयोजन

एसएसपी ने दी जानकारी
कभी दस्यु प्रभावित इलाके के नाम से जाना जाने वाले बीहड़ के युवा अब भारतीय सेना सीआरपीएफ और पुलिस में जाने की तैयारी के लिए आज सड़कों पर दौड़ रहे हैं. अब इस चंबल घाटी में डकैत पैदा नहीं होंगे. अब इस इलाके से भारतीय सेनाओं के वीर योद्धा पैदा होंगे, जो देश और समाज में कानून का राज स्थापित करेंगे. पुलिस और जनता की इस मैराथन से बीहड़ के इलाके में जनता के बीच पुलिस का नेटवर्क भी मजबूत होगा.

इटावा: चंबल घाटी कभी खूंखार डकैतों की गोलियां की तड़तड़ाहट से गूंजा करती थी. लगभग डेढ़ दशक पहले इस इलाके में दस्यु सरगनाओं का दबदबा कायम रहता था. उस समय यहां के लोग पुलिस से दूरी बनाकर रहते थे और डकैतों के काफी नजदीक हुआ करते थे. अब इस चम्बल के बीहड़ का माहौल बदला है.

चंबल घाटी में हुआ मैराथन दौड़ का आयोजन.


मैराथन का आयोजन
इटावा के इस बीहड़ की जनता के बीच पुलिस ने अपने मित्रवत संबंध कायम करने की दिशा में दौड़ लगा दी है. बीहड़ की जनता के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की गई. इस मैराथन में इलाके के आठ सौ युवाओं ने हिस्सा लिया.

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एसएसपी ने दी जानकारी
कभी दस्यु प्रभावित इलाके के नाम से जाना जाने वाले बीहड़ के युवा अब भारतीय सेना सीआरपीएफ और पुलिस में जाने की तैयारी के लिए आज सड़कों पर दौड़ रहे हैं. अब इस चंबल घाटी में डकैत पैदा नहीं होंगे. अब इस इलाके से भारतीय सेनाओं के वीर योद्धा पैदा होंगे, जो देश और समाज में कानून का राज स्थापित करेंगे. पुलिस और जनता की इस मैराथन से बीहड़ के इलाके में जनता के बीच पुलिस का नेटवर्क भी मजबूत होगा.

Intro:एंकर-सूबे की इटावा की चम्बल घाटी कभी यहां के खूंखार डकैतों की गोलियां की तड़तड़ाहट से गुंजा करती थीं।लगभग डेढ़ दशक पूर्व इस इलाके में दस्यु सरगनाओं का दबदबा कायम रहता था।उस समय यहां के लोग पुलिस से दूरी बनाकर रहते थे और डकैतों के काफी नजदीक हुआ करते थे,लेकिन अब इस चम्बल के बीहड़ में महौल बदला है।इटावा के इस बीहड़ की जनता के बीच पुलिस ने अब अपने मित्रवत सम्बन्ध कायम करने की दिशा में दौड़ लगा दी है और यह सब सम्भव हो सका है,इटावा के एसएसपी सन्तोष मिश्र की वजह से।बीहड़ की जनता के बीच पुलिस का गहरा सामंजस्य स्थापित करने के लिये इटावा के एसएसपी ने पुलिस के साथ जनता की मित्रवत मैराथन आयोजित की।इस मैराथन में इलाके के आठ सौ युवाओं ने हिस्सा लिया है।एसएसपी का कहना है कि कभी दस्यु प्रभावित इलाके के नाम से जाना जाने वाले इस बीहड़ के युवा अब भारतीय सेना सीआरपी व पुलिस में जाने की तैयारी के लिये आज सड़को पर पुलिस के साथ कंधा से कंधा मिलाकर दौड़ रहे हैं।
वाइट-सन्तोष मिश्र(एसएसपी)Body:वीओ(1)-एसएसपी सन्तोष मिश्र के द्वारा आयोजित की गई पुलिस-जनता मैराथन ने अब यह तो तय कर लिया है कि अब इस चम्बल घाटी में डकैत पैदा नहीं होंगे बल्कि अब इस इलाके में भारतीय सेनाओं के वीर योद्धा पैदा होंगे,जो देश व समाज मे कानून का राज स्थापित करने के लिये पुलिस के साथ कंधा से कंधा मिलाकर दौड़ते रहेंगे।साथ ही पुलिस व जनता की इस मैराथन से बीहड़ी इलाके में जनता के बीच पुलिस का नेटवर्क भी मजबूत होगा।Conclusion:सन्दीप मिश्र,इटावा।
Last Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST
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