देवरिया: सिर्फ मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करने या फिर कोई बड़ा बिजनेस करके ही लाखों की कमाई नहीं होती, बल्कि डेयरी फार्मिंग (गौशाला) से भी हर महीने लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं. जी हां! ऐसा कर दिखाया है जनपद के भटनी थाना क्षेत्र के खैराट गांव निवासी किसान रामाशंकर ने. रामाशंकर के इस कार्य की लोग क्षेत्र में खूब चर्चा करते हैं. लोग उनकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि वह गांव में रहकर महीने की लाखों की कमाई कर रहे हैं.
अपने प्रयासों से रामाशंकर डेयरी व्यवसाय में किस्मत आजमाने की सोच रखने वाले लोगों के लिए एक मिसाल बन चुके हैं. उन्होंने छोटे स्तर से गौशाला की शुरुआत कर अपने काम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया. आज वह अपने इस कार्य से हर महीने करीब तीन लाख रुपये तक कमा रहे हैं. मन की संतुष्टि और कुछ अनूठा करने की चाह ने रामाशंकर को प्रेरित किया था.
रामाशंकर ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत के दौरान बताया कि जब सपा की सरकार थी तो उस समय सरकार गौशालाओं के लिए एक योजना लेकर आई थी. मैंने योजना को समझा तो लगा कि सरकार पशुपालकों के लिए बहुत ही अच्छी योजना लेकर आई है. जिसमें एक तिहाई पैसा किसान को लगाना है, जो लगभग 13 लाख रुपया बैठता है. शेष राशि बैंक से लोन पर मिलेगी. उस लोन के पैसे को बिना ब्याज दिए हुए सिर्फ मूलधन बैंक को वापस कर देना है. इसके अलावा जो सब्सिडी होगी वह सरकार देगी.
इसके बाद रामाशंकर ने इस योजना का लाभ उठाया. इस योजना के तहत उन्होंने 52 गाय रखकर गौशाला को शुरू किया. आज उनके पास लगभग 100 गाय हो गई है. रामाशंकर का कहना है कि हमारा लक्ष्य है कि आगे भी इस गौशाला को बृहद रूप से बढ़ाया जाये. रामाशंकर ने अपने खेतों के बीच जानवरों के लिए करीब छः हजार वर्ग फिट का शेड बनाया है.
इसके साथ ही जानवरों के लिए अपने खेतों में सुपर नेपियर घास लगा रखी है. यह घास पशुओं के लिए गुणकारी है. इससे उन्हें हरे चारे की 12 महीने कमी नहीं होती है. साथ ही चारे के लिए बाजार या दूसरों पर निर्भर भी नहीं रहना पड़ता.
ज्यादातर वक्त डेयरी पर ही बिताते हैं रामाशंकर
रामाशंकर ने अपनी डेयरी में पशुओं की देखभाल और दूध दुहने के लिए दस लोगों का स्टाफ लगा रखा है. इतना ही नहीं रामाशंकर खुद भी अपना ज्यादातर वक्त डेयरी पर ही बिताते हैं. वह बताते हैं कि पशुओं के बीमार होने पर वह जिले के डाक्टरों और ब्लॉक के डॉक्टरों को बुलाते हैं और जानवरों का पूरा उपचार समय-समय पर करवाते हैं. जिससे जानवरों को कोई परेशानी ना हो.
रोजाना बेचते हैं 500 लीटर दूध
रामाशंकर ने ईटीवी भारत से बातचीत कर बताया कि उनकी डेयरी में रोजाना 500 लीटर दूध का उत्पादन होता है. इस दूध को वह ₹40 लीटर के भाव से डेयरी में देते हैं. इस प्रकार से एक दिन का सारा खर्चा निकाल कर दस हजार रुपये रोजाना की बचत होती है. हर महीने का लगभग तीन लाख का मुनाफा हो जाता है. इतना ही नहीं रामाशंकर गोबर की आर्गेनिक खाद बनाकर अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं. साथ ही बड़ी मात्रा में इसे बेच भी देते हैं. एक ट्राली गोबर के करीब तीन हजार रुपये मिल जाते हैं.
रामाशंकर करीब 9 वर्षों से डेयरी का संचालन कर रहे हैं. रामाशंकर का कहना है कि जो व्यक्ति काम करने से नहीं थकता है, उसी को डेयरी खोलनी चाहिए. अभी तक कई अधिकारी नेता जनप्रतिनिधि रामाशंकर का डेयरी फार्म देखने उनके गांव जा चुके हैं.