देवरिया: मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में आरोपी निलंबित डॉक्टर गौरव शाही की उपस्थिति पंजिका पर फर्जी हस्ताक्षर बनाकर वेतन भुगतान कराने का मामला उजागर हुआ है. वहीं इस मामले में सीएमओ ने जांच के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही डॉक्टर का फर्जी हस्ताक्षर बनाने वालों की पहचान में टीम लगाई गई है.
दरअसल, जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भलुअनी पर डॉ. गौरव शाही की तैनाती थी. मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले में डॉक्टर का नाम सामने आने के बाद सीबीआई उन्हें ढूंढते हुए अस्पताल और सीएमओ ऑफिस पहुंची थी. डॉक्टर के न मिलने पर सीबीआई ने स्वास्थ्य केंद्र भलुअनी और सीएमओ ऑफिस पर नोटिस भी चस्पा किया था. वहीं कुछ दिनों बाद डॉ. गौरव शाही सीबीआई के हत्थे चढ़ गए, जिसके बाद वह मध्य प्रदेश के छतरपुर जेल में कुछ माह तक बंद रहे.
इसके बाद वर्ष 2016 में उन्हें निलंबित कर सीएमओ कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया. इसके बाद गौरव शाही अवकाश पर चले गए. वहीं इस दौरान उनकी उपस्थिति पंजिका पर कई दिनों तक फर्जी हस्ताक्षर बनाकर वेतन भुगतान कराने की कोशिश की गई थी. यह हस्ताक्षर अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की गई थी.
सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय ने वेतन भुगतान के दौरान इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया. उन्हें शक हुआ कि ऑफिस के किसी नियमित संविदा कर्मचारी ने उपस्थिति पंजिका पर हाजिरी बनाई है. इसके लिए उन्होंने एक जांच समिति का गठन किया है.
सीएमओ डॉक्टर आलोक पांडे ने बताया कि जैसे ही यह मामला उनके संज्ञान में आया है, उन्होंने तुरंत कार्रवाई के लिए एक समिति बनाई है. उन्होंने कहा है कि इस मामले की तुरंत जानकारी कर उन्हें सूचित किया जाए. साथ ही उन्होंने एक अलग रजिस्टर बनाने को कहा है, ताकि जब डॉक्टर गौरव शाही आएं, तो वह उनके सामने हस्ताक्षर बनाएं. उन्होंने कहा कि जैसे ही कोई बात आती है, तो वह तुरंत कार्रवाई करेंगे. साथ ही जैसे ही समिति की रिपोर्ट आएगी, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.