देवरिया: बनकटा ब्लॉक में मनरेगा कार्यो में हुए 30.98 लाख रुपये घोटाले के मामले में डीआरडीए के एई चंद्रभान सिंह को निलंबित कर दिया गया है. इस घोटाले के सामने आने पर जिलाधिकारी अमित किशोर ने मामले का संज्ञान लिया था. साथ ही मामले की जांच के बाद डीएम ने जिला ग्राम विकास अभिकरण के एई पर कार्रवाई के लिये शासन को पत्र लिखा था. उसी के आधार पर ग्राम विकास विभाग ने एई को सस्पेंड कर आयुक्त ग्राम्य विकास लखनऊ कार्यालय में संबद्ध कर दिया है.
क्या है मामला जाने
बनकटा ब्लॉक में 31 मार्च को मनरेगा के तहत 1.70 करोड़ रुपये का अनियमित भुगतान होने की बात सामने आई थी, जिसकी जानकारी होने पर जिलाधिकारी के निर्देश पर सीडीओ शिव शरणप्पा जीएन ने जांच टीम गठित की थी. जांच में पाया गया कि चार ग्राम पंचायतों में संचालित पांच परियोजनाओं के पिछले वित्तीय वर्षों में कराए गए कार्यों को वित्तीय वर्ष 2019 में होना दर्शाया गया. वहीं परियोजना कार्य से संबंधित 17.63 लाख रुपये का अनियमित तरीके से भुगतान करने की पुष्टि हुई थी.
परियोजनाओं को संचालित किए बिना ही किया गया भुगतान
इतना ही नहीं अन्य पांच ग्राम पंचायतों में पांच परियोजनाओं का काम शुरू किए बिना ही गलत तरीके से 13.65 लाख रुपये का भुगतान करने की पुष्टि हुई थी. जांच रिपोर्ट आने के बाद संबंधित ग्राम पंचायतों के सचिव, ग्राम प्रधानों सहित मनरेगा तकनीकी सहायकों के खिलाफ डीसी मनरेगा की तहरीर पर 25 अप्रैल को बनकटा थाने में केस दर्ज किया गया था.
कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा और लेखा सहायक की संविदा समाप्त करने का नोटिस
बनकटा ब्लॉक पर तत्कालीन बीडीओ के चार्ज पर रहे ग्राम विकास एई चंद्रभान सिंह और लेखाकार रामाशीष के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जिलाधिकारी ने शासन को पत्र लिखा था. इसके साथ ही बनकटा ब्लॉक के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा रितु दीप सिंह और लेखा सहायक नंदू कुमार की संविदा समाप्त करने की नोटिस जारी की गई थी. इसी पत्र के आधार पर ग्राम विकास विभाग ने 11 मई को एई चंद्रभान सिंह को निलंबित कर दिया है.
संयुक्त सचिव मनोज कुमार सिंह ने इससे संबंधित आदेश जारी किया है. आदेश में कहा गया है कि चंद्रभान सिंह ने बनकटा ब्लॉक के कार्यक्रम अधिकारी के रूप में 2019 के मध्य संचालित परियोजनाओं का भुगतान करने के पूर्व न तो स्थलीय सत्यापन किया गया और न ही कार्य की वास्तविक स्थिति जानने का प्रयास किया गया. चंद्रभान सिंह को 30.98 लाख रुपये के अनियमित भुगतान करने सहित गंभीर वित्तीय अनियमितता बरतने का दोषी पाया गया. इस स्थिति में उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. साथ ही आरोपों की जांच के लिए संयुक्त विकास आयुक्त गोरखपुर मंडल को जांच अधिकारी नामित गया है.