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पीएम मोदी ने किया FPO का शुभारंभ, जानें क्या है इसका मतलब

यूपी के चित्रकूट में पीएम मोदी ने एफपीओ का शुभारंभ किया. एफपीओ मतलब फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन. एफपीओ को जानने के लिए विस्तार से पढ़ें खबर.

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किसान.
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Published : Feb 29, 2020, 9:59 PM IST

चित्रकूट: जिले में पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) का शुभारंभ किया गया. भरतकूप गोंड गांव के कार्यक्रम स्थल में एफपीओ से संबंधित कई स्टॉल लगाए गए. स्टॉल का प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं जाकर अवलोकन किया. एफपीओ का हिंदी में अर्थ किसान उत्पादक संगठन है. इस स्टॉल में अलग-अलग प्रदेशों से आए एफपीओ से जुड़े किसानों ने स्टॉल लगाकर चित्रकूट के किसानों से अपना अनुभव साझा किया.

एफपीओ का मतलब किसान उत्पादक संगठन. इसका मतलब किसानों का एक ऐसा समूह, ऐसा संगठन जो उत्पादन भी स्वयं करता है और स्वयं उपभोक्ता होता है. किसान संगठन बनाकर कंपनी का नाम देकर स्वयं अनुमानित मूल्य निर्धारण कर बाजार में सामान बेच सकता है. एफपीओ में कम से कम 10 किसान से ज्यादा सदस्य होते हैं. इसमें पांच बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और 5 से 15 या इससे अधिक संख्या में शेयर होल्डर होते हैं, जो 1000 रुपये लगाकर शेयर होल्डर बन जाते हैं. इसके बाद कंपनी का रजिस्ट्रेशन होता है. कंपनी में एक पद सीईओ का होता है, जिसे 3 वर्षों तक वेतन नाबार्ड द्वारा दिया जाता है.

एफपीओ की जानकारी देते किसान.

एफपीओ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास पैन कार्ड होना जरूरी है. वह भी किसान होना चाहिए, बाकी किसानों के पास जमीन खेती से संबंधित कागजात और पहचान पत्र होना आवश्यक होता है, एफपीओ से जुड़ने के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं, जिससे किसानों को भरपूर मदद मिलती है. एक खाद-बीज एक जगह ही संगठन के जरिए मिल जाता है, जिससे किसानों का समय कम लगता है.

इसे भी पढ़ें:- चित्रकूट में पीएम मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर का किया शिलान्यास

उत्पाद को एक जगह एकत्रित करके बेचने से समय और लागत दोनों की बचत होती है. संगठन में रहने से बाजार स्वयं संगठन के पास आता है. मतलब अगर एक किसान एक टन अपना उत्पाद बेचने जाता है तो उसे मंडी स्वयं जाना पड़ेगा. संगठन एफपीओ के द्वारा उत्पाद ज्यादा होने से स्वयं बाजार से संबंधित लोग आपके पास आकर आपका उत्पाद खरीदेंगे. संगठन में रहने पर सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से किसानों को मिल जाता है. एफपीओ में रहने से एफपीओ में जुड़े रहने से किसान सरकारी योजनाओं की छूट का लाभ भी आसानी से ले सकते हैं.

इसे भी पढ़ें:- नृपेन्द्र मिश्रा ने श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र का किया निरीक्षण, निर्मोही अखाड़ा बेखबर

हिमाचल प्रदेश से आए किसान अमित ने बताया कि हमने 2017 में अपने एफपीओ का रजिस्ट्रेशन कराया था. अब हमारे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में 500 मेंबर हैं. इनकी रजिस्ट्रेशन फीस मात्र 500 रुपये है. किसानों को इससे बहुत लाभ मिलता है. उनका उत्पाद घर बैठे ही जाता है. हमारे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का इस साल का मुनाफा 91 लाख रुपये था. वहीं मुझे 2.5 लाख का मुनाफा हुआ है. इसके पूर्व हम लोग इतना मुनाफा नहीं कमा पाते थे.

चित्रकूट: जिले में पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) का शुभारंभ किया गया. भरतकूप गोंड गांव के कार्यक्रम स्थल में एफपीओ से संबंधित कई स्टॉल लगाए गए. स्टॉल का प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं जाकर अवलोकन किया. एफपीओ का हिंदी में अर्थ किसान उत्पादक संगठन है. इस स्टॉल में अलग-अलग प्रदेशों से आए एफपीओ से जुड़े किसानों ने स्टॉल लगाकर चित्रकूट के किसानों से अपना अनुभव साझा किया.

एफपीओ का मतलब किसान उत्पादक संगठन. इसका मतलब किसानों का एक ऐसा समूह, ऐसा संगठन जो उत्पादन भी स्वयं करता है और स्वयं उपभोक्ता होता है. किसान संगठन बनाकर कंपनी का नाम देकर स्वयं अनुमानित मूल्य निर्धारण कर बाजार में सामान बेच सकता है. एफपीओ में कम से कम 10 किसान से ज्यादा सदस्य होते हैं. इसमें पांच बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और 5 से 15 या इससे अधिक संख्या में शेयर होल्डर होते हैं, जो 1000 रुपये लगाकर शेयर होल्डर बन जाते हैं. इसके बाद कंपनी का रजिस्ट्रेशन होता है. कंपनी में एक पद सीईओ का होता है, जिसे 3 वर्षों तक वेतन नाबार्ड द्वारा दिया जाता है.

एफपीओ की जानकारी देते किसान.

एफपीओ फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के पास पैन कार्ड होना जरूरी है. वह भी किसान होना चाहिए, बाकी किसानों के पास जमीन खेती से संबंधित कागजात और पहचान पत्र होना आवश्यक होता है, एफपीओ से जुड़ने के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं, जिससे किसानों को भरपूर मदद मिलती है. एक खाद-बीज एक जगह ही संगठन के जरिए मिल जाता है, जिससे किसानों का समय कम लगता है.

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उत्पाद को एक जगह एकत्रित करके बेचने से समय और लागत दोनों की बचत होती है. संगठन में रहने से बाजार स्वयं संगठन के पास आता है. मतलब अगर एक किसान एक टन अपना उत्पाद बेचने जाता है तो उसे मंडी स्वयं जाना पड़ेगा. संगठन एफपीओ के द्वारा उत्पाद ज्यादा होने से स्वयं बाजार से संबंधित लोग आपके पास आकर आपका उत्पाद खरीदेंगे. संगठन में रहने पर सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से किसानों को मिल जाता है. एफपीओ में रहने से एफपीओ में जुड़े रहने से किसान सरकारी योजनाओं की छूट का लाभ भी आसानी से ले सकते हैं.

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हिमाचल प्रदेश से आए किसान अमित ने बताया कि हमने 2017 में अपने एफपीओ का रजिस्ट्रेशन कराया था. अब हमारे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन में 500 मेंबर हैं. इनकी रजिस्ट्रेशन फीस मात्र 500 रुपये है. किसानों को इससे बहुत लाभ मिलता है. उनका उत्पाद घर बैठे ही जाता है. हमारे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन का इस साल का मुनाफा 91 लाख रुपये था. वहीं मुझे 2.5 लाख का मुनाफा हुआ है. इसके पूर्व हम लोग इतना मुनाफा नहीं कमा पाते थे.

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