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जानें मकर संक्रांति में चित्रकूट के रामघाट स्नान का महत्व - मकर संक्रांति 2020

यूपी के चित्रकूट में लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट के रामघाट पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से फल की प्राप्त होती है.

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मकर संक्रांति में चित्रकूट के रामघाट स्नान का महत्व
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Published : Jan 15, 2020, 5:00 PM IST

चित्रकूट: साल 2020 में सूर्य का मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहा है. इस दिन माघ कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है. जब भी सूर्य मकर राशि में गोचर करता है, तो उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन का काफी महत्व माना गया है. सूर्य के मकर राशि में जाते ही खरमास की समाप्ति भी हो जाती है. जिसमें शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से फल की प्राप्त होती है. इसी आस्था से लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट के रामघाट पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते हैं.

मकर संक्रांति में चित्रकूट के रामघाट स्नान का महत्व.
मकर संक्रांति के दिन रामघाट पर स्नान करने का महत्व
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में मकर संक्रांति के समय रामघाट पहुंचकर मां मंदाकिनी में स्नान का बहुत बड़ा महत्व है. मकर संक्रांति के दिन नर, असुर, गंधर्व सभी योनि के लोग चित्रकूट में आकर स्नान करते हैं. चित्रकूट में तीर्थराज प्रयाग स्वयं चलकर भगवान के आदेश के बाद चित्रकूट पधारे हैं.
इससे चित्रकूट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. इसी कारण प्रातः काल 3 बजे से यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित हो जाती है. इसके बाद श्रद्धालु मां मंदाकिनी नदी में स्नान कर खिचड़ी का दान करते हैं और अपने आपको पूर्णकारी भाग्यशाली मानते हैं. क्योंकि इसी समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाता है. इससे सारे कार्यों का श्रीगणेश होता है और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस पावन मां मंदाकिनी नदी में माता अनसूया का तपोवृत भी मिला हुआ है. इस प्रकार चित्रकूट का एक अपना ही बहुत महत्व है.

कलयुग में श्री रामचंद्र जी ने तुलसीदास को चित्रकूट में दर्शन दिए थे. इसी श्रद्धा के साथ प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के समय जरूर स्नान करने आते हैं. यहां बने सारे धार्मिक स्थलों में जाकर उनका दर्शन करता हूं, जिससे मुझे बहुत शांति मिलती है.
-अनिल गुप्ता, श्रद्धालु

इसे भी पढ़ें- प्रयागराज: नवनियुक्त एडीजी ने मकर संक्रांति पर लिया माघ मेले का जायजा

चित्रकूट: साल 2020 में सूर्य का मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहा है. इस दिन माघ कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है. जब भी सूर्य मकर राशि में गोचर करता है, तो उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इस दिन का काफी महत्व माना गया है. सूर्य के मकर राशि में जाते ही खरमास की समाप्ति भी हो जाती है. जिसमें शादी-विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान-पुण्य करने से फल की प्राप्त होती है. इसी आस्था से लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट के रामघाट पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाते हैं.

मकर संक्रांति में चित्रकूट के रामघाट स्नान का महत्व.
मकर संक्रांति के दिन रामघाट पर स्नान करने का महत्व
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में मकर संक्रांति के समय रामघाट पहुंचकर मां मंदाकिनी में स्नान का बहुत बड़ा महत्व है. मकर संक्रांति के दिन नर, असुर, गंधर्व सभी योनि के लोग चित्रकूट में आकर स्नान करते हैं. चित्रकूट में तीर्थराज प्रयाग स्वयं चलकर भगवान के आदेश के बाद चित्रकूट पधारे हैं.
इससे चित्रकूट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है. इसी कारण प्रातः काल 3 बजे से यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित हो जाती है. इसके बाद श्रद्धालु मां मंदाकिनी नदी में स्नान कर खिचड़ी का दान करते हैं और अपने आपको पूर्णकारी भाग्यशाली मानते हैं. क्योंकि इसी समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाता है. इससे सारे कार्यों का श्रीगणेश होता है और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस पावन मां मंदाकिनी नदी में माता अनसूया का तपोवृत भी मिला हुआ है. इस प्रकार चित्रकूट का एक अपना ही बहुत महत्व है.

कलयुग में श्री रामचंद्र जी ने तुलसीदास को चित्रकूट में दर्शन दिए थे. इसी श्रद्धा के साथ प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के समय जरूर स्नान करने आते हैं. यहां बने सारे धार्मिक स्थलों में जाकर उनका दर्शन करता हूं, जिससे मुझे बहुत शांति मिलती है.
-अनिल गुप्ता, श्रद्धालु

इसे भी पढ़ें- प्रयागराज: नवनियुक्त एडीजी ने मकर संक्रांति पर लिया माघ मेले का जायजा

Intro:साल 2020 में सूर्य का मकर राशि में गोचर 15 जनवरी को हो रहा है। इस दिन माघ कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। जब भी सूर्य मकर राशि में गोचर करता है तो उस दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस दिन का काफी महत्व माना गया है। सूर्य के मकर राशि में जाने जाते ही खरमास की समाप्ति भी हो जाती है ।जिसमें शादी-ब्याह जैसे सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने से पुण्य फल की प्राप्त होती है। इसी आस्था से लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट के रामघाट पहुंचकर अपने आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।


Body:उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट में मकर मकर संक्रांति के समय रामघाट पहुंचकर मां मंदाकिनी में स्नान का बहुत बड़ा महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर् नर असुर गंधर्व सभी योनि के लोग चित्रकूट में आकर स्नान करते हैं। चित्रकूट में तीर्थराज प्रयाग स्वयं चलकर भगवान के आदेश के बाद चित्रकूट पधारे हैं। क्योंकि जब पापो का छार करते करते जब हंस का स्वरूप कौव्वे के समान ले लेगा तो स्वयं आपको चित्रकूट ही आना पड़ेगा। इससे चित्रकूट का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है ।इसी कारण प्रातः काल 3:00 से यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित होकर मां मंदाकनी गंगा नदी में स्नान करने और खिचड़ी का दान करते हैं और अपने आप को बहुत ही पूर्णकारी भाग्यशाली मानते हैं। क्योंकि इसी समय से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर जाते हैं ।जिससे सारे कार्यों का श्रीगणेश होता है और मांगलिक कार्य चालू हो जाते हैं इस पावन नदी में मां मंदाकिनी में माता अनसूया का तपोवृत भी मिला हुआ है। भगवान की कृपा से ही प्रयागराज स्वयं चित्रकूट चले आये थे । इस प्रकार से चित्रकूट का एक अपना ही बहुत महत्व है
दिल्ली से सपरिवार चित्रकूट आए श्रद्धालु अनिल गुप्ता ने बताया कि कलयुग में श्री रामचंद्र जी ने तुलसीदास को इसी चित्रकूट में दर्शन दिए थे। इसी श्रद्धा के साथ प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के समय जरूर स्नान करने आते है। और यहां बने सारे धार्मिक स्थलों में जा जाकर उनका दर्शन करता हूं जिससे मुझे काफी शांति मिलती है।

बाइट-जीवनदास (महन्त रामघाट)
बाइट-अनिल गुप्ता(श्रद्धालु)


Conclusion:
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